कुमाउनी कहावतें और मुहावरे
कुमाउनी आण ( पहेलियाँ) संकलन- कृपाल सिंह शीला 1. तलि गाड़ि मिर्गा, पैताल गाड़ो खाल, एक मिर्गा ऐसा देखा, खाल का भितेर खाल। 2. हाथी आयो जल्लर-बल्लर, ऊंट आयो कुचि। जहां लै आयो म्यर गिगजू, तहां लै गयो मुझि। 3. जीरूलिया दंता, नानु कणि रोयै दिछै, बिगड़िया रंडा। 4. लंबी लगुलि मिठ फौ। 5. अहा रे अहा आँखि तेरि डुबु डाबु मुनइ कहां। 6. काव डनम भुरकुनी नाच। 7. अन्यार कुण तितिरा बासो, ओहो बिजैसिंह जुङ मलासो। 8. गंगा ए गंगा, सार गौं मांगा, द्वी पाट घाघरिक, भेलम नांगा, 9. नानि-नानि माछि, भीपन नाचि। 10. जैंता रे जैंता, मैं जानू माथै लोक नानू कैं सैंता। उत्तर- 1. आमकि गुठली, 2. सनेसु या उपन, 3. मर्च 4. माछ, 5. ज्ञाज 6. जूं, 7. मुस-बिराउ, 8. मा्ख 9. झाइड़, 10. तैड़। इकासी बर्षीय बुजुर्ग श्री बचीराम ज्यू सहयोगल संकलित कुमाउनी कहावतें संकलन- खुशाल सिंह खनी 1. हर सिंह झिमौड़लि चटका, बीर सिंह उसाण। इधर का प्रभाव उधर अर्थात स्वजनों के दुख से दुखी होना। 2. खुट अलिज्यूण। जिम्मेेदारी सौंपना। 3. बो्ज...