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  उत्तराखंड की कुमाउनी भाषा, साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार व सँजोने के उद्देश्य से यह ब्लॉग कुमाउनी भाषा में जनवरी २०२० से ललित तुलेरा द्वारा शुरू किया गया है। 




ई मेल - tulera.lalit@gmail.com 

टिप्पणियाँ

प्रणाम ! ललित जी
आपकी कहानी बहुत ही सूंदर लगी , भेजी जो कार्य आप करना छ बडू सराहनीय छ अपनी बोली अपनी भाषा को बचाण का वास्ता निरंतर लग्या रां !!
धन्यवाद !!
आपकु अपणु सी
कैलाश रौथाण
ललित तुलेरा ने कहा…
🙏 आपका दिल से धन्यवाद । 😊
भुला ने कहा…
नमस्कार ललित दा,

मैंने आपके लेख पढ़े। कुमाँऊनी भाषा संरक्षण में आपका योगदान सराहनीय है।
अब जैसे वैदिक संस्कृत अन्ततः शास्त्रीय संस्कृत बनकर उभरी, क्या आपके विचार में हमारी कुमाँऊनी भी शास्त्रीय रूप धारण करेगी? और यदि करेगी तो यह हिंदी (ब्रज, अवधी, कौरवी, देहलवी) और नेपाली से स्वयं को भिन्न किस प्रकार रख पायेगी?

आपके विचार जानने का इच्छुक,
आपका भुला

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