बिराणि माय : कहानीकार महेन्द्र ठकुराठी की कुमाउनी कहानी

महेन्द्र ठकुराठी जनम - 2 अक्टूबर, 1964 निवासी - ग्राम-बड़ालू (धपौट) जिला-पिथौरागढ़ छपी किताब: ●ठुलि बरयात (कुमाउनी कहानी संग्रह) ●हिमुलि परफाम (कुमाउनी कहानी संग्रह) पुरस्कार: बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कहानी पुरस्कार- 2014 मो.- 9568583401 र घुवरदत्त कैं लागो, जसी वीक खुटपन बै जमीन धँसि गै। आज सौरास बै वीक सा्व ऐ रौछी। हँसी-खुशी माहौल छी। परिवाराक सबै मैंस फसक-फराव और हँसि-मजाक करण रई भ्या। बात-बातों में सा्व यानी हंसादत्तल जब यो बता कि उनर गौं में बेवाई शकुंतला गंभीर हालत में छु और इलाजक लिजी उकैं दिल्ली सफदरजंग अस्पताल हुं ल्हिजै रई, त अफसोसल रघुवरक कान ठाड़ है ग्याय। ‘‘ ओहो! के भौ शकुंतला कैं?’’ सोदियै बिगर उ नंै रै सक। ‘‘हुंछी के भिनज्यू, आपूंकैं मालुमै भय। नशाखोरील आज पहाड़क गोंनोंकि हालत बिगाड़ि बेर राखि है। शकुंतलाक घरवाव हरदेव हमेशा शराब पी बेर टल्ली हैरूं। स्यैणि-नानतिनोंकि क्वे फिकर नैं रुनि उकैं। स्यैणि बिचारिल थ्वड़ घरपनक ख्याल धरण हुं के कै दे, रीसल बण...