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क्यों जरूरी है कुमाउनी के लिए सरकारी मान्यता?

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~ ललित तुलेरा     उप संपादक- पहरू पत्रिका tulera.lalit@gmail.com ( कुमाउनी को सरकारी मान्यता की आवश्यकता पर एक चिंतन)       ह मर भारत देश में कतुकै भाषा बोली जानी, जां हर इलाककि माटि बै एक बिशेष संस्कृति और भाषाकि खुसबू ऐंछ। उत्तराखंडक कुमाऊं क्षेत्रकि पछयाण 'कुमाउनी' भाषा आज ढीक नजीक बै पलि जाण लागि रै। यो सिरफ एक भाषा न्हां, बल्कि एक सभ्यता, एक जीवनशैली और पुस्तोंकि फाम छु। फिर सवाल ठा्ड उठूं— कुमाउनी कैं सरकारि मान्यता किलै मिलन चैंछ? (कुमाउनी के व्याकरण पर पद्मश्री डॉ. डी.डी. शर्मा की महत्वपूर्ण पुस्तक।) के कुमाउनी सरकारि मान्यताकि हकदार छु? या इमें इतुक सामर्थ छु कि यकैं सरकारि मान्यता दिई जाण चैं? के बिगर सरकारि मान्यताकि य ज्यून नि रै सकलि? ठुल सवाल य लै छु कि सरकारि मान्यता मोहताज बिना हमरि भाषाक के अस्तित्वै न्हैं के?       य हमुकैं नि भुलण चैन कि हमरि भाषा क्वे किरपाक ना, बल्कन आपण इतिहास, अस्तित्व और सामर्थक बल पर सरकारि मान्यताक हकदार छु। यो हमर लोकतांत्रिक, संवैधानिक अधिकार छु, मनखी हुणक अधिकार छु। ...

कुमाउनी भाषा के अभिलेख : कुमाउनी की प्रचीनता को बयां करते साक्ष्य, Archival heritage of Kumauni

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● ललित तुलेरा ईमेल- tulera.lalit@gmail.com     ( उत्तराखंड की दो प्रमुख भाषाओं कुमाउनी व गढ़वाली का भी अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। इन भाषाओं के संरक्षण के लिए इन भाषाओं के पैरोकारों ने उल्लेखनीय कार्य किया है। इन भाषाओं के अभिलेखीय प्रमाण को खोजने की ओर भी विद्वानों का ध्यान गया है। कुमाउनी भाषा के अभिलेखों पर प्रकाश डालता ललित तुलेरा का आलेख।)  Archival heritage of Kumauni               हि मालयी भाषान में  कुमाउनी खास भाषा छु। कुमाउनी उन गौरवशाली भाषान में छु जो कभै राजभाषाक रूप में अपनाई गेछी। भलेई उ बखतकि कुमाउनी और आजकि कुमाउनी में भौत फरक देखीं पर राजकाज में अपनाई जाणल कुमाउनी भाषाक उन्नतिक बा्ट बणते रौ। डाॅ. चंद्र सिंह चौहान द्वारा लेखी किताब ‘ कुमाउनी भाषा के अभिलेख ’ कुमाउनी भाषाक अभिलेखीय बिरासत पर एक सबन है ठुल सबूतक दस्तावेज कई जै सकीं। डाॅ. चंद्र सिंह चौहान ज्यूक क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई में काम करणक दशकों लंब अनुभव छु। उनूल आपणि किताब में राज भाषाक रूप में कुमाउनी कैं तीन वर्गों में बांटि रौ- 1. पूर्व राजभ...

कुमाउनी लेख - अल्माड़क मुहर्रम : ऐतिहासिक संदर्भ

मुहम्मद नाजिम अंसारी भाटकोट रोड तिराहा, पिथौरागढ़ मो.-87550 53301     उ सिक पुर देश में मुहर्रमक त्यार इमाम हुसैन क बलिदान दिवस रूप में मनाई जां पर कुमाऊंक पहाड़ि इलाक में रूणी वाल पहाड़ी मुसलमान आपण खास पहाड़ी तरिकल य त्यार मनूनी। यां हिंदू-मुसलमान सबै मुहर्रम में शामिल हुनी। इस्लाम धरम में चंद्रदर्शन हिसाबल जो सालाक बार महैण छन, उनन में पैंल महैणक नाम मुहर्रम छु। य महैणक नाम पर यैकें मुहर्रम कई जां। मुहर्रम महैणक पैंल तारिख बटी नई साल शुरू हुंछ, जैकें मुसलमान खुश है बेर नि मनून किलैकी य महैण में एक दुखद घटना घटी। यो महैणक दस तारिख हुणि इस्लाम धरमाक महान पैगम्बर (अवतार) मुहम्मद सैपक नाति (चेलिक च्यल) इमाम हुसैन और उनार परिवारक 72 लोग करबलाक मैदान में बेदर्दीक साथ शहीद कर दिई गई। उनरि बलिदानकि याद में हर साल मुहर्रमक महैण में ताजिया निकाली जानी। करबलाक ऐतिहासिक लड़ै किलै लड़ी गेछी? के य द्वी राजांक बीचकि लड़ै छी? के य लड़ै राजपाट प्राप्त करणा लिजी छी? यो सवालनाक उत्तर जाणनै लिजी करबलाक काथकि जानकारी जरूड़ी छ- इराक में उ बखत यजीद नामक राज छी, उ भौतै भ्रष्ट और अय्यास आदिम छी। खलीफा ह...

कुमाउनी लेखः घण चलूण बटी निदेशक तकक सफर - लीला टम्टा

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-ललित तुलेरा ई मेल- tulera.lalit@gmail.com       उ  बखत देश कैं नई आजादी मिल रछी। गरीबी, अभाव, अशिक्षा समाज में पसरी छी। चेलि कां, लौंड लै भौत कम इस्कूल जाई करछी। उ चेलि बड़भागि हुंछी जैकें इस्कूल नसीब है सकौ और उ उच्च शिक्षा पै सकौ। शिक्षा पाणक लिजी गरीब परवार तरस छी। यस कठिन बखत में एक हुस्यार किरसाण चेलि आपण बौज्यूक कारबार में हात बटूनै पढ़ाई करनै रै। बौज्यूक पितव, ता्म, लू आदिक भा्न-कुन बणूनक कारबार छी। बौज्यू दगै भा्न-कुन बणून में हात बटूंछी। घण लै चलाई करछी। गरीबी व अभाव में बिती बचपन बै ल्हिबेर शिक्षा निदेशक बै रिटायर हुणक सफर सबन कैं सीख दिणी छु। ऊं स्वाभिमानल आपुण बा्ट बणूनै गई। समाज हित और जिंदगीक ब्यस्तता कारण उनूल ब्या नि कर और ऊं सदा समाजै लिजी लौलीन रई।  (सुश्री लीला टम्टा)         सुश्री लीला टम्टा ज्यूक जनम अल्माड़ नगरक टम्टा मुहल्ल में 04 मार्च 1938 ई. हुं भौ। आपूंक इजक नौं श्रीमती गोमती देवी और बौज्यूक नौं श्री प्रेम लाल टम्टा छी। आपूंकि पराइमरी शिक्षा दर्जा 1 बै 10 तलक पढ़ाई ‘एडम्स गल्र्स हाईस्कूल, अल्मोड़ा’ में भै, वीक बाद आपू...

कुमाउनी लेख : देवकी महरा और उनर साहित्य

डॉ. गीता खोलिया एशोसियेट प्रोफेसरः हिंदी  एस.एस.जे. वि.वि.अल्मोड़ा मो.-9412042208 ‘‘मैं कणि देवकीकि कबिता देवकीई जसि लागनी। तिनाड़-तिनाड़ कट्ठ करि बेर घोल बणूनी चाड़-प्वाथनै चार, उलै गुद-गुद जमक्यूंछि और खपाड़ भितेर हालणि बखत बिरति है जांछि वी कणि। आब त उ भोवक समाव, ब्याखुलै जुगुत, अमकणै फिकर, फलसणै जिगर है लेक मुक्ति खोजणै आपणि कबितान में। पंगत-पंगत पीड़ छु गीतन में वीक। सैत योई नियति छु वीकि-   तिमुलि का पात मजी लसकनी खीर छू।       मरोड़िया पात जसी म्यर मनकि पीड़ छू।।           (डाॅ. प्रयाग जोशी, ‘पराण पुन्तुर’ )       अनुभूति अभिब्यक्तिकि पैंल सिढ़ि छू। मैंसनक अपेक्षा स्यैणिनकि अभिब्यक्ति में तीव्र अनूभूति, बिचारनकि बिबिधता, गंभीर भाव और बोलिक सौंदर्य भौत जादा देखीं, किलैकी स्यैणिनकि मन कोमल, संबेदनशील और भावुक हूं। तबै त इनरि रचना भौतै मर्मस्पर्शी और ग्राह्य बण जैं। श्रीमती देवकी महरा ज्यूक साहित्य पढ़नक बाद य बात सांचि लागैं। वास्तव में इनूल अपुण मनकि सांचि भावनाओं कैं सरल शब्दन में ढ़ालि बेर स्यैणिनकि मनकि सहज अनुभूति ...

देवकी महराक काव्य में नारी

डॉ.देव सिंह पोखरिया खत्याड़ी, अल्मोड़ा  मो.-9412976889 कु माउनी कबिता संसार में देवकी महरा ज्यूकि एक बिशेष जाग छू। उनार कुमाउनी कबिताक द्वि संकलन छन। पैंल संकलन  ‘ निशास ’ नामल 1984 में ‘तक्षशिला प्रकाशन’ दिल्ली बटी सामणि आ। दुसर संकलन ‘आधारशिला प्रकाशन’ हल्द्वानी बटी ‘ पराण पुन्तुर ’ नामल 2010 में परकाशित भौ। यहै पैंली कयेक पत्र-पत्रिकान में 1970 बटी उनरि कबिता छपनै रूंछी। यो दुवै किताबन में उनरि नारी बिषयक दृष्टि भौत गैराइल परगट हैरै। आपणि कबितान में उनूल नारीक बिबिध रूपन कैं स्वर दि राखौ। नारी हियकि झांकी कैं अनेक रूपन में उनूलि प्रस्तुत कर राखौ। नारीक कन्या, स्यैणि, इज, देबि, चेलि कई रूप इनरि कबिता में देखीनी। पहाड़ै स्यैणिक दिनचर्या, शिक्षा-अशिक्षा, ब्या, वैधब्य, पुरूष समाज में नारीकि जाग, सामाजिक कुप्रथानक शिकार नारी, नारीमुक्तिकि आकांक्षा, नारी उत्थान संबंधित बिचार, पहाड़ि नारीक हौर तमाम पारिवारिक समस्यानक चित्रण उनरि कबितान में देखींछ। एक तरफ उनरि आदर्श रूप सामणि ऊं और दुसरि तरफ सासु और पारिवाराक हौर सदस्यनक हातन सताई नारीक रूप लै देखीण में ऊं। ‘निशास’ संग्रह में उन...