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मंजू आर साह ज्यूक ‘पिरूल आर्ट’

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  हमर पहाड़ पुरा्ण जमान बटी हुनरक मामिल में सेठ रई छु, हुनरमंदोंकि यां कभै क्वे लै क्षेत्र में कमी नि रइ। हस्तशिल्प क्षेत्र में यसै एक नाम छु मंजू आर साह । ऊं सव (चीड़) क बोटक ‘ पिरूल ’ कैं ल्हिबेर कलाकारी करनी। कलाकार तो ऊं ऐपण व मेहंदीक लै छन पर पिरूल कलाकार रूप में समाज व देश में पछयाण छु। उनर पिरूलकि कलाकारी देख बेर अचंभ हुंछ कि पिरूलल इदुक शानदार कालाकरी करी जै सकी कै? Pirool art by Manju R Sah .  पिरूल आर्ट पर काम करणै लिजी उनूकैं सम्मान लै मिल रई। पिरूल आर्ट पर उनूल कार्यशाला, आॅनलाइन ट्रेनिंग लै दिई छन। पिरूल आर्ट दगडै़ ऊं ऐपण कला इस्कूली नानू व पहाड़ाक स्यैणियों कैं सिखूनी, दगड़ै पिरूल आर्ट कैं रूजगारक रूप में लै बदलनई।  उनर जनम 09 अगस्त 1984 हुं बागेश्वर जिल्लक असों (कपकोट) गौं में भौ। नानछना बै उनर मन कला और रचनात्मक कामों में लागछी। पिरूल आर्ट बणूणकि सीप उनूल आपणि कैंजै चेलि बटी सिखौ। आपण कलाक श्रेय ऊं आपण परवार, रिश्तदार और गुरूओं कैं दिनी। करीब आठ-दस सालों बटी ऊं कलाक क्षेत्र में छा्व छन। ‘पिरूल आर्ट’ में पछयाण दिलूनक श्रेय ऊं हल्द्वाणि निवासी शिक्षक गौरीशंक...

अमेरिका में भी उत्तराखंड की ‘ऐपण कला’ बनाती हैं डॉ. चन्दा पन्त त्रिवेदी

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      हजारों किलोमीटर का फासला हो, चाहे देश, काल, परिस्थितियां जो भी हों अपनी संस्कृति व परंपराओं से जुड़े रहना व उसे वहां दूर रहकर भी उसी रूप में अपनाना कोई  डॉ.   चन्दा पन्त त्रिवेदी   जी से सीखे।          यह रोचक और प्रेरणादायी कहानी है अमेरिका में रहने वाली उत्तराखंड (भारतीय) मूल की ऐपण कलाकार डॉ.   चन्दा पन्त त्रिवेदी की, जो उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक कला ऐपण को अमेरिका में रहकर भी बना रही हैं। उनका  ऐपण मोह ऐसा की वो खुद तो बनाती हैं ही मगर निस्वार्थ रूप से अपने यूट्यूब चैनल के जरिए ऐपण कला सिखाती भी हैं,  ऐपण कला को नए प्रतिमान देने के लिए ऐपण कलाकारों के बीच ऐपण प्रतियोगिता भी आयोजित करती हैं। वर्ष 2011 से उन्होंने फेसबुक पर भी ऐपण कला को पेश करना शुरू कर दिया था। क़रीब 16 साल की उम्र से उनका ऐपण कला के प्रति मोह हो चुका था। सोशल मीडिया में उन्होंने आज तक अपने आप को गुप्त रखा, अपनी पहचान ना ही साझा किया और ना ही किसी को बताया क्योंकि मकसद था निस्वार्थ भाव से ऐपण कला को जीवंत रखना और ऐपण कला का विकास ।...

बिहार की विश्वप्रसिद्ध ‘मधुबनी’ पेंटिंग के साथ उत्तराखंड की ‘ऐपण’ कला को नया आयाम दे रही हैं जया डौर्बी

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        भा रतकि चित्रकलाक कहानि शिलाचित्रों बै शुरू है बेर कंप्यूटर चित्रों तलक पुजि गे । य कतुक पुराणि छु यैक अंताज मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, चन्हूदड़ो व लोथल आदि उत्खन्न में मिली वस्तुओं बै लगाई जै सकीं ।       भारतकि चित्रकलाक अजन्ता शैली, गुजराती शैली, पाल शैली, जैन शैली, अपभ्रंश शैली, राजस्थानी शैली, मुगल शैली, पहाड़ी शैली, पटना शैली, सिख शैली, दक्कन शैली, लोक शैली, मधुबनी शैली, आधुनिक शैली दुनी भर में भौत प्रसिद्ध छन ।          रवीन्द्रनाथ टैगोर ज्यू कुनी - " कला मानव की बाह्य वस्तुओं की अपेक्षा स्वानुभूती की अभिव्यक्ति है।"         पुराण जमा्न बटी आज तलक हमा्र लोक कलाकारोंलि भारतकि कला कैं सजूण सवारण व दुनी में प्रसिद्धी दिलूण में ठुल भूमिका निभै। आजकई हुनरमंद कलाकार भारतकि कला परंपरा कैं बरकरार धरी छन और नई प्रयोग लै करण रई जैल कलाक बिस्तार होते जां।             कलाक क्षेत्र में कुछ अलग व नई प्रयोग करण रई युवा लोककलाकार  जया डौर्बी । Aipan art by Jaya...