'जो य गङ बगि रै' ( कुमाउनी युवा लेखवारोंक काब्य संकलन)

जै बखत जिगर पहाड़ी भाषाओंकि हैंछ तो 'कुमाउनी' भाषाकि नौं लै खास पहाड़ि भाषान में लिई जांछ। जब पहाड़ि भाषान में आज सृजन व शोधक नजरियल खूब काम हुण लागि रौ तो हमरि 'कुमाउनी' लै य मामिल में कसिक पछिल रै सकैं। 'जो य गङ बगि रै' कुमाउनी में पद्य साहित्य में सृजनक नजरियल ज्वान लेखवारोंकि किताब छु। 15 बै 25 उमराक 17 ज्वान लेखवारोंकि 68 कबिता इमें एकबट्याई छन। जनूमें हमर कुमू (कुमाऊं) क अलग-अलग जिल्लन बै ज्वान लेखवार शामिल छन, जनूमें भास्कर भौर्याल, प्रदीप चंद्र आर्या, भारती जोशी, दीपक सिंह भाकुनी, गायत्री पैंतोला, हिमानी डसीला, कविता फर्त्याल, ममता रावत, मनोज सोराड़ी, रोहित जोशी, कमल किशोर कांडपाल, भावना जुकरिया, प्रकाश पांडे 'पप्पू पहाड़ी', पीयूष धामी, पूजा रजवार, ज्योति भट्ट, ललित तुलेरा क कबिता छन। हम नानतिनोंकि य काम कुमाउनी भाषाकि बिकास में कदुक मधतगार साबित है सकलि य बखतै बतै सकल। कुमाउनी समाज कैं खुशी हुण चैं कि आज हमरि कुमाउनीक बिकास, वीक सज-समाव में दर्जनों नौजवान लै जुटी छन। बड़भागि छूं कि मैं य किताबक संपादन करि सकूं। म्यर डिमाग में कुमा...