संदेश

अक्टूबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

किताब पर चर्चा : भाग दो । उत्तराखंडाक लोकभाषाओं पर जुड़ी द्वी खाश किताब- ललित तुलेरा

चित्र
 (  किताब पर चर्चा (भाग-२) में आपूं लोगनक भौत स्वागत छु। यां आज \" हे जन्माभूमि\"  और "\" उत्तराखंड लोकभाषाओं के सृजनरत रचनाकार\"  किताबों पर चर्चा करी जाणै। चर्चा करण लागि रीं युवा कुमाउनी समीक्षक - ललित तुलेरा । )       एक तरफ \"हे जन्माभूमि!\" कुमाउनी कबिताओंक हिंदी अनुवाद रूप में कुमाउनी अनुवाद साहित्य में नई प्रयासों में एक छु। तो वांई दुसर तरफ \"उत्तराखंड के सृजनरत रचनाकार\" लै उत्तराखंडाक लोकभाषाओं में कलम चलूण लागी लेखारोंक परिचय दिणी किताब रूप में सामणि ऐ रै जो य क्षेत्र में नई प्रयास प्रयास छु। यों दुवै किताब हमुकैं आपणि भाषाओं में भौत कुछ करणकि सीख दिनी।    हे जन्माभूमि ! : राणा ज्यूकि हियकि बात हिंदी में लै         आ पणि प्रतिभाक दम पर कुमाउनी पद्य साहित्य व लोक साहित्य कैं नई मुकाम तलक पुजूणी प्रतिभाक सेठ रचनाकार हीरा सिंह राणा ज्यूकि 51 कुमाउनी कबिताओंक हिंदी अनुवाद रूप में ‘ हे जन्माभूमि ! ’ किताब उज्याव में ऐरै। राणा ज्यूल कुमाउनी भाषा में सैकड़ों कबिता लेखीं और उनूल उनूकें आपणि अवाज दे। उनरि...