कुमाउनी इंटरव्यू : साहित्यकार पद्मश्री डॉ. रमेश चंद्र शाह ज्यू दगाड़ डॉ. हयात सिंह रावत ज्यूक बातचीत
साहित्य समाजक आलोचक हुंछ : पद्मश्री डॉ. रमेश चंद्र शाह ( जून 2004 कि बात छू। पद्मश्री डाॅ . रमेशचन्द्र शाह उतकांन अल्मा्ड़ ऐ रौछी। मैंल उनू दगै गंगोला मोहल्ला में उना्र घर में साहित्य और उनर जीवन दगै जुड़ी सवालों पर कुमाउनी भाषा में बातचीत करै। ) - डाॅ . हयातसिंह रावत संपादक - ‘पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका , अल्मोड़ा (उत्तराखंड) प्रश्न - दाज्यू ! हमूकैं भौत खुशी छु कि आपूँल साहित्यकि हर विधा में खूब किताब ल्यखि राखी और हिंदी साहित्य में भल नाम कमै रा्खौ। मैं यो जा्णन चाँ कि आपूँल को उमर बटी ल्यखन शुरू करौ और उभत आपूँ को दर्ज में पढ़छिया ? उत्तर - हयात ! बजार में हमरि दुकान छी। वाँ रद्दी बटी मैंकें ‘ चाँद ’ पत्रिकाक एक अंक मिलौ। ऊ विधवा अंक छी। ऊ कैं पढ़ि बेर मैंल एक कविता ल्यखी। वीक नाम लै ‘ विधवा ’ छी। यो म्येरि पैंल रचना छु। यो कविता चैपाई में ल्यखी छु। म्यर ख्यालल उभत में जीआईसी में दर्जा चार में पढ़छ्यूँ। ...