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कुमाउनी भाषा में इस वर्ष (२०२५) की नौ लेखन पुरस्कार योजनाएं

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कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति  कसारदेवी, अल्मोड़ा व ‘ पहरू ’ कुमाउनी मासिक पत्रिका द्वारा साल 2010 बटी कुमाउनी भाषा में कुमाउनी साहित्य और भाषा बिकासै लिजी साहित्यकि तमाम बिधाओं में लेखन पुरस्कार योजना चलाई जानई। य लेखन योजनाओंल कुमाउनी में साहित्यकि नई गङ बगै। जां एक तरफ कुमाउनी साहित्य में नई-नई बिधाओं में कुमाउनी साहित्य लेखी जै सकौ, तो वांई कुमाउनी में लेखण-पढ़नक लै रिवाज बढ़ौ। नई लेखार लै सामणि आई और कुमाउनी में उरातार साहित्यक बिकास हुनै गो। कुमाउनी में गद्य और पद्य में आज जाधेतर साहित्य य लेखन योजनाओंकि लै उपज छु। य लेखन योजनाओंक बदौलतक कुमाउनीक कयेक लेखारोंल साहित्यक नई बिधाओं में कलम उठा।  अलीबेर (2025) लै हौर सालोंक चारि समिति व ‘पहरू’ पत्रिका द्वारा 09 लेखन योजना चलाई जानई। यों 09 लेखन पुरस्कार योजना यों छन- ०१.  कुँवर दलीप सिंह बिष्ट स्मृति बाल नाटक लेखन पुरस्कार योजना बी.एस.एफ. बै रिटायर सूबेदार श्री रूप सिंह बिष्ट ,  रैथमी ग्रा.-तल्ली नाली ,  सेराघाट ,  जिला-अल्मोड़ा द्वारा दिई मधतल कुमाउनी भाषा में बाल नाटक लेखन कें ...

डाकघट का संक्षिप्त इतिहास ( A Brief History of DANKGHAT)- ललित तुलेरा Lalit Tulera

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ललित तुलेरा tulera.lalit@gmail.com उ त्तराखंड में कई घाटियां और स्थान ऐसे भी हैं जिनका महत्त्वपूर्ण इतिहास रहा है और वे मुख्य धारा में शामिल न हो पाने के कारण अब तक प्रकाश में नहीं आ पाए हैं। ये ऐसे स्थान हैं जो आजादी के कई दशकों बाद भी सड़क, संचार, स्वास्थ्य आदि मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहे हैं। ऐसा ही एक स्थान है डाकघट । कुमाऊं मंडल स्थित बागेश्वर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर व गरूड़ ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर सुदूर लाहुर घाटी में एक छोटा व्यावसायिक केन्द्र है- डाकघट । लाहुर नदी के किनारे बसा यह एक छोटी बाजार है। इसका स्थानीय कुमाउनी भाषा में मूल नाम ' डाङघट ' है। यह नाम ' डाङ ' और ' घट' दो शब्दों से मिलकर बना है। 'डाङ' शब्द कुमाउनी का है जिसका अर्थ है विशाल चट्टान, और 'घट' शब्द का उपयोग कुमाउनी में घराट या पनचक्की के लिए होता है। इस तरह 'डाङघट' नामकरण विशाल चट्टान और घराट दोनों की मौजूदगी की वजह से रखा हुआ मालूम पड़ता है, क्योंकि यहां घट और विशाल चट्टान हैं। 'डाङघट' का हिंदीकरण करके इसे ' डाकघट ...