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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

'श्री पंचमि' क दिन नाक - कान छेड़णक रिवाज

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       बसंत पंचमी त्यार कैं गौं-घरौं पन ' श्री पंचमि ' नामल लै पुकारी जां।  य परबी बसंत ऋतु उणक निशाणि छु। माघ क महैण शुक्ल पक्ष क दिन पुश्तों बै पुर कुमाऊं में य त्यार मनाते उणई। य दिन खेतों बै जौ क हरी पात नानतिन, ज्वान, बुढ़ ख्वार में धरनी और गोरूक गुबर और लाल माट कै सानि बेर द्याव-मोहरिक चौखटों में जौ क हरी पात चिपकूनी व मंदिर में चढूनी। पिङव रङक रूमाव रंङि बेर नानतिनों कैं दिई जां। य दिन बै बैठ होलि क लैै शुरूवात है जैं। क्वे-क्वे इलाकों मेंं सैणी य दिन सुहाग क रक्षा क लिजी बरत लै धरनी।         य शुभ परबी क दिन छ्योड़ियोंक नाक-कान छेड़ण क लै रिवाज हमर कुुुमूं में छु।       य त्यार हिंदू त्यार हुणक वजैल उत्तर- दक्षिण भारत समेत नेपाल, बंग्लादेश व हौर देशों में लै मनाई जां। य परबी विद्या, वाणी क देबि सरस्वती कैं याद करणक लै छु। य दिन माता सरस्वती क पुज करी जैं।        अलीबेर य त्यार १६ पैट माघ क महैैैण( ३० जनवरी २०२०)  हुं छु।  आपूं सबों कैं य शुभ प...

कुमाउनी पत्रिका 'पहरू' कैं मुशीबतक घड़ि में आर्थिक मधत

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                                             ( पहरू जनवरी २०२० अंक मुखपृष्ठ )      पिछाड़ि ११ है सकर सालोंं बै कुमाउनी भाषाक प्रसिद्ध मासिक पत्रिका पहरू द्वारा 'कुमाउनी भाषा विकास' क एक मुहिम जसि चलै रौ। पहरू हर महैैैैण छपि बेर कुमाउनी भाषा साहित्य क भकार भरणक ठुल काम करनौ। पहरू क पास कुमाउनी भाषा में साहित्य तो अथ्था छु मगर जनसहयोगल छपणी यो पत्रिका क पास डबलोंक कमी खलनै अच्यालों य आर्थिक रूपल कमजोर चलि रै। य कमजोरी कैं देखते पहरू में पिछाड़ि कई अंकों में अपील लै छपते उणौछी कि 'पहरू आर्थिक संकट में छु-                पहरू क य अपील कैं पहरू संरक्षक सदस्य कुमाउनी भाषा प्रेमी श्री एच. एन. भंडारी ज्यूल गंभीरताल ल्हे और पहरू कैं आर्थिक संकट बै दूर करणै लिजी २५००० (पच्चीस हजार) रूपैंक मधत करौ। उनर बार में पहरू जनवरी २०२० अंक में छपी य परकार छु-            ...

कुमाउनी भल बिचार

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(१) " हमेशा दुसरोंक दगड़ करो पत्त ना य पुण्य तुमर दगाड़ कब दि जाओ..." (२) ‘असजिल बा्ट जिंदगीक  ठोकर लागते रूनी  हर ठोकर बै होश समावण  जरूड़ी छु जिंदगी में ।’  -ललित तुलेरा  (३) ठा्ड उठो तब तलब नि रूको  जब तलक तुमुकैं  मंज़िल नि मिल जानि ।’ (४) ‘ दुसरूंक दिल नी  दुखूण चैंन।’  (५) ‘ तुम जतुकै मुख पलासो सुख उदुकै सुकनी, तुम जतुकै ऑंसु घरयाओ  दुख उदुकै दुगुनी। लागी में तो लागनै रैं  य तो लागी रीत छु। हारी में लै हार नी मानो  उमें मैंसक जीत छु ।’ - शेरदा ‘अनपढ़’  प्रस्तुति- ललित तुलेरा