कुमाउनी भल बिचार



(१)
" हमेशा दुसरोंक दगड़ करो
पत्त ना य पुण्य
तुमर दगाड़ कब दि जाओ..."




(२)

‘असजिल बा्ट जिंदगीक 
ठोकर लागते रूनी 
हर ठोकर बै होश समावण 
जरूड़ी छु जिंदगी में ।’ 
-ललित तुलेरा 


(३)
ठा्ड उठो तब तलब नि रूको 
जब तलक तुमुकैं 
मंज़िल नि मिल जानि ।’


(४)
‘ दुसरूंक दिल नी 
दुखूण चैंन।’ 


(५)
‘ तुम जतुकै मुख पलासो
सुख उदुकै सुकनी,
तुम जतुकै ऑंसु घरयाओ 
दुख उदुकै दुगुनी।
लागी में तो लागनै रैं 
य तो लागी रीत छु।
हारी में लै हार नी मानो 
उमें मैंसक जीत छु ।’
- शेरदा ‘अनपढ़’ 



प्रस्तुति- ललित तुलेरा 
     

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