'श्री पंचमि' क दिन नाक - कान छेड़णक रिवाज
बसंत पंचमी त्यार कैं गौं-घरौं पन 'श्री पंचमि' नामल लै पुकारी जां। य परबी बसंत ऋतु उणक निशाणि छु। माघ क महैण शुक्ल पक्ष क दिन पुश्तों बै पुर कुमाऊं में य त्यार मनाते उणई। य दिन खेतों बै जौ क हरी पात नानतिन, ज्वान, बुढ़ ख्वार में धरनी और गोरूक गुबर और लाल माट कै सानि बेर द्याव-मोहरिक चौखटों में जौ क हरी पात चिपकूनी व मंदिर में चढूनी। पिङव रङक रूमाव रंङि बेर नानतिनों कैं दिई जां। य दिन बै बैठ होलि क लैै शुरूवात है जैं। क्वे-क्वे इलाकों मेंं सैणी य दिन सुहाग क रक्षा क लिजी बरत लै धरनी।
य त्यार हिंदू त्यार हुणक वजैल उत्तर- दक्षिण भारत समेत नेपाल, बंग्लादेश व हौर देशों में लै मनाई जां। य परबी विद्या, वाणी क देबि सरस्वती कैं याद करणक लै छु। य दिन माता सरस्वती क पुज करी जैं।
आपूं सबों कैं य शुभ परबी बसंत पंचमीक खूब बधाइ, नई ऋतु में भल मन हो, नई कल्ल फूटनै रवो , सरस्वती माता क आशीष हमूकैं मिलनै रवो... 💐
(सब फोटक नैट बै जुटाई हुई)
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