अमेरिका में भी उत्तराखंड की ‘ऐपण कला’ बनाती हैं डॉ. चन्दा पन्त त्रिवेदी




      हजारों किलोमीटर का फासला हो, चाहे देश, काल, परिस्थितियां जो भी हों अपनी संस्कृति व परंपराओं से जुड़े रहना व उसे वहां दूर रहकर भी उसी रूप में अपनाना कोई डॉ. चन्दा पन्त त्रिवेदी जी से सीखे।



         यह रोचक और प्रेरणादायी कहानी है अमेरिका में रहने वाली उत्तराखंड (भारतीय) मूल की ऐपण कलाकार डॉ. चन्दा पन्त त्रिवेदी की, जो उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक कला ऐपण को अमेरिका में रहकर भी बना रही हैं। उनका ऐपण मोह ऐसा की वो खुद तो बनाती हैं ही मगर निस्वार्थ रूप से अपने यूट्यूब चैनल के जरिए ऐपण कला सिखाती भी हैं, ऐपण कला को नए प्रतिमान देने के लिए ऐपण कलाकारों के बीच ऐपण प्रतियोगिता भी आयोजित करती हैं। वर्ष 2011 से उन्होंने फेसबुक पर भी ऐपण कला को पेश करना शुरू कर दिया था। क़रीब 16 साल की उम्र से उनका ऐपण कला के प्रति मोह हो चुका था। सोशल मीडिया में उन्होंने आज तक अपने आप को गुप्त रखा, अपनी पहचान ना ही साझा किया और ना ही किसी को बताया क्योंकि मकसद था निस्वार्थ भाव से ऐपण कला को जीवंत रखना और ऐपण कला का विकास । 
Aipan art by Dr. Chanda pant triwedi
• जानें, कौन हैं डॉ. चन्दा पन्त त्रिवेदी


(अपने बनाए ऐपण कला के साथ डॉ. चन्दा पन्त त्रिवेदी

     मूलत: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट की निवासी हैं मगर पिताजी (बाैज्यू) श्री श्यामदत पंत फौज में सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हैं उनके फ़ौजी कार्यकाल में बचपन असम में बीता और प्रारंभिक पढ़ाई से जूनियर हाईस्कूल तक पढ़ाई असम में ही हुई। माताजी (इजा) श्रीमती लीला पंत अध्यापिका थी। आगे की पढ़ाई बी.एस.सी. व एम.एस.सी. कुमाऊँ विश्वविद्यालय से पूर्ण हुई।आगे पढ़ाई के लिए वे पीएच.डी. (सोयल इकोलॉजी) के लिए ऑस्ट्रेलिया चली गई, पीएच.डी. पूर्ण हो जाने के  बाद कोलोराडो विश्वविद्यालय अमेरिका से एक वर्ष का  ‘पोस्ट डॉक्टरेट’ करने के पश्चात वर्तमान में अमेरिका के कोलोराडो विश्वविद्यालय में ‘डेटा साइंटिस्ट’ पद में सेवारत हैं। ऐपण कला कला के प्रति उनका लगाव माता और दादी से पैदा हुआ, उन्ही से उन्होंने यह कला सीखी भी। काम के अलावा ऐपण के लिए वे छुट्टी का समय, शनिवार या रविवार को समय निकालती हैं। निस्वार्थ रूप से ऐपण कला को आगे बढ़ाना व उसका प्रचार करना, ऐपण बनाने की परंपरा बरक़रार रखना उनके मूल उद्देश्य हैं।



ऐपण कला  : एक परिचय 

(चित्र : ‘मीनाकृति द ऐपण प्रोजेक्ट’ से साभार) 
   यह भारत के उत्तराखंड राज्य  की प्रसिद्ध लोककला है । यहां  की ‘लोक कला’ के कई रूप हैं । यहां की लोक कला - मूर्ति कला, काष्ठ कला, धातु कला, चित्रकला आदि कलाओं में वर्गीकृत है। चित्रकला में ऐपण काफी प्रसिद्ध है। जो ख़ासतौर महिलाओं के द्वारा शुभ काम-काजों में बनाई जाती है । पहले यह कला सिर्फ घर के आँगन या मंदिर के अंदर तक सीमित थी ।
 असली रूप में यह चावलों को भिगाने के बाद सिलबट्टे में पीसकर चावल का घोल (स्थानीय भाषा में बिस्वार कहते हैं ) द्वारा लाल मिट्टी या गेरू से लिपी हुई घर के आँगन, दीवारों या मंदिर में शुभ काम - काज या त्यौहार के मौके पर बनाई जाती है। ऐपण कला में विवाह चौकी, लक्ष्मी चौकी, शिवचौकी सहित कई चौकियां व कई डिजाइन प्रसिद्ध हैं । 
Aipan art by Dr. Chanda pant triwedi
ऐपण आर्ट का फेसबुक पेज बना लिया था साल 2011 में - 

(‘ऐपण आर्ट’ फेसबुक पेज )
  ऐपण कला के लगाव के चलते उन्होंने इसके प्रचार प्रसार के लिए ‘ऐपण आर्ट’ नाम से वर्ष 2011 में फेसबुक पेज भी बना लिया था। इससे 9 वर्ष के भीतर करीब 9 हज़ार ऐपण कलाकार व ऐपण प्रेमी जुड़ चुके हैं। सैकड़ों पोस्ट विभिन्न ऐपण कलाकारों के ऐपण कला की कर चुकी हैं। इसी पेज से उन्होंने ऐपण प्रतियोगिता का भी ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित कराई थी । 

कोरोना महामारी के लॉकडाउन काल में फेसबुक पेज से ऑनलाइन किया ऐपण प्रतियोगिता-


    लॉकडाउन काल में वे ऐपण के लिए समर्पित रही, उन्होंने इस दौरान ऐपण प्रतियोगिता का ‘ऐपण आर्ट’ के फेसबुक पेज से ऐपण कला पर प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें उत्तराखंड सहित देश के बैंगलुरु, दिल्ली, राजस्थान, लखनऊ, भोपाल से कलाकारों ने प्रतिभाग किया। 17 जून 2020 को चौकी ऐपण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया इस प्रतियोगिता में करीब 127 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। 8 जुलाई 2020 को देहली ऐपण प्रतियोगिता आयोजित की गई इस प्रतियोगिता में भारत भर से करीब 45 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इन प्रतियोगिताओं में प्रथम विजेता को 1000 रूपये की धनराशि व प्रमाण पत्र, द्वितीय विजेता को 500 रूपये की धनराशि व प्रमाण पत्र, लक्कीड्रॉ विजेता को 500 रूपये की धनराशि व प्रमाण पत्र, अपरिशिएशन विजेता को 500 रूपये की धनराशि व प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इन प्रतियोगिताओं में दो बूढ़ी औरतें दादी जी व नानी जी ने भी प्रतिभाग किया और वे अपरिशिएशन विजेता चुनी गई थी उन्हें भी प्रमाण पत्र व धनराशि प्रदान की गई। इन प्रतियोगिताओं में लगने वाले खर्चे का वहन स्वयं डॉ. चन्दा पन्त त्रिवेदी ने ही किया था। 
        बड़ी बात यह भी रही कि इन प्रतियोगिताओं में उन्हें   दुनिया भर के कनाड़ा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अबुधाबी, दुबई, फ्रांस जैसे देशों से लाइक, कमेंट, और मैसेज आए थे । 
Aipan art by Dr. Chanda pant triwedi

( फेसबुक पेज ‘ऐपण आर्ट’ के 9 वर्ष पूर्ण होने पर बनाया गया कोलाज फोटो ) 


० यूट्यूब चैनल के जरिए ऐपण कला सिखाती हैं - 

  
     ऐपण कला के व्यापक प्रचार-प्रसार व सिखाने के उद्देश्य से उन्होंने 10 नवंबर 2016 को ‘ऐपण आर्ट’ के नाम से अपने यूट्यूब चैनल की शुरूवात की और अब तक ऐपण कला के लक्ष्मी चौकी, स्वास्तिक चौकी आदि ऐपण की कई विडियो बना चुकी हैं। अपने यूट्नयूब चैनल, फेसबुक पेज, इंस्टाग्राम अकाउंट पर वे अलग व अनोखे तरीके से एेपण कला बनाना भी सिखाती हैं। 

( ‘ऐपण आर्ट’ यूट्यूब चैनल के बारे में ) 

• एक नजर में डॉ. चन्दा पन्त त्रिवेदी की ऐपण कला- 



       वर्तमान समय में ऐपण कला लाल व सफेद रंग के द्वारा ब्रुश के माध्यम से ज़मीन से उठकर कपड़ों पर बनाई जा रही है। कई बर्तनों, नेम प्लेट आदि में उपयोग के चलते ऐपण प्रसिद्धि पाने लगी है। उनके द्वारा बनाई कुछ ऐपण कला निम्न प्रकार हैं-




































• उनकी अन्य चित्र कला - 
    कला में गहरी रूची के चलते वे ऐपण कला के अलावा ‘डौटिंग आर्ट’, ‘बोटल आर्ट’, स्टोन आर्ट बनना पसंद करती हैं। इनके कुछ उदाहरण - 









भविष्य में ऐपण कला को लेकर रणनीति- 
   ऐपण कला का व्यापक प्रचार प्रसार के लिए वे भविष्य में ऑनलाइन प्रचार- प्रसार माध्यम अपनाना चाहती हैं जिससे की ऐपण कला लोगों तक आसानी से पहुंच पाए। कलाकारों को अपने ऐपण कला को बेचने में भी सहूलियत व आसानी हो, उन्हें मदद मिल सके।
Aipan art by Dr. Chanda pant triwedi
ऐपण कलाकार के रूप में उनका समाज को संदेश - 
   वो कहती हैं कि काम के प्रति समर्पित रहकर हम किसी भी चीज में बुहत अच्छा कर सकते हैं। ऐपण कला को भी विश्व पटल पर लाने के लिए हमें लगातार काम करना होगा। ऐपण लोक कला के महत्व को समझना होगा।
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      युवा लोक कलाकार  डॉचन्दा पन्त त्रिवेदी  के साथ ‘ऐपण आर्ट’ से आप भी जुड़ सकते हैं सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर निम्न लिंकों के ज़रिए- 



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प्रस्तुति- 

-ललित तुलेरा 
उत्तराखंड (भारत) 
tulera.lalit@gmail.com 
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