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कुमाउनी शगुनआँखर गीत

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kumaunibhasa.blogspot.com  संकलन व लेख-  श्रीमती तारा पाठक, हल्द्वानी  (उत्तराखंड) मो.  +91 72484 60657 शगुनआँखर -            शगुनआँखर कुमाउनी समाज में शुभ काम-काजों में गाई जाणी मांगलिक गीतों / संस्कार गीतों कैं कुनी।  क्वे लै भल काम हुं त पैंली शकुनआँखर गाई जानी फिर जे काज भय वी हिसापैल तत्संबन्धी गीत। द्वि जनानी यो शकुनआँखर गानी, जनों में मुख्य गायिका  गिदार , सहगायिका   भगारि   कई जैं ।हमार कुमाऊं अंचल में संस्कार गीतों भौत महत्व छ । बालकक पैद हुंण बटी छयां दिन   छट्टी संस्कार (छट्टी केवल च्यालों कि मनाई जें)इग्यारों दिन   नामकर्म संस्कार   ,बाइसां दिन   बैसोल ,एक साल में जनमबार (पैंली जबान में चेलियों जनमबार नि मनाई जांछी)एसिकै और लै संस्कार भाय।        हमार आंचलिक गीतों में  संध्या गीत ,  नौल पूजन ,  आपदेव निमंत्रण,सूर्य दर्शन गीत ,  नामकरण गीत, विदाई गीत, बन्ना-बन्नी गीत, शय्या दान गीत, सुवास पथाई गीत , कन्यादान तैयारी गीत, बरया...

कुमाउनी संगीत व कविता कैं ढाई में पुजूणी कलाकार : हीरा सिंह राणा

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     कुमाउनी लोकसंगीत व साहित्य संसार में ‘हीरा सिंह राणा’ एक जाणी - मानी नाम छु। आपण कुमाउनी गीत व कविताओंल कुमाउनी भाषा, संस्कृति कैं देश-दुनी में नाम और पछ्याण दिलूणी हीरा सिंह राणा ज्यूक जनम 10 सितंबर, 1942 हुं अल्मोड़ा जिल्लक सल्ट पट्टिक डढोली (मानिला) गौं में किसान परवार में भौ । उनर इजक नौं श्रीमती नारंगी देवी व बौज्यूक नौं श्री मोहन सिंह राणा छी । प्राथमिक शिक्षा उनरि मानिला में भै और प्राइमरी तकै इस्कूल पढ़ौ ।      उनूल दिल्ली में सेल्समैनकि नौकरी करै लेकिन य नौकरी में उनर मन नीं लाग । संगीत में रूची हुणा कारण उनूल संगीतकि स्कालरशिप ल्हे और  कलकत्ता ऐ ग्याय वां संगीत में उनर मन भल लागौ और हनरक बदौलत संगीत में भल नाम कमूण लागीं । कुमाउनी साहित्य मंडल, दिल्ली में लोककला निर्देशक पद पर लै राणा ज्यू रई।           बर्ष 1961 बटी उनूल कुमाउनी कविता लेखण शुरू करौ। संगीतक व साहित्य में उनरि ख़ूब मन लागछी । गीत लेखन और गायन उनार खास शौक छी । कुमाउनी भाषाक बिद्वान साहित्यकार डॉ. नारायण दत्त पालीवाल ज्यूक स्योव में  उनूल...

कुमाउनी भाषा में हौर सालोंक चारि २०२० में चली लेखन पुरस्कार योजना

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    कुमाउनी भाषा में आज निरछव साहित्य लेखी जाणौ और कोई लै भाषा तबै अघिल बढ़ि सकैं जब उमें साहित्य लेखी जाओ।कुमाउनी  भाषा आ्ब उरातार उन्नतीक तरब बढ़नै, य सब तबै हुणौ जब कुमाउनी में रचनाकारोंक तादाद बणनै। उसी तो कुमाउनी भाषाक अस्तित्वक सबूत  हिंदी  है बेर पैंलीक मिलनी पर कुछ कमी हमूं में रै हुनलि जो हमरि कुमाउनी हिंदी भाषाक चारि उन्नति न करि सकि।            जां कुछ सालों पैंली तक कुमाउनी में जादेतर सिरफ पद्य (कविता) देखींछी वांई आज कुमाउनी भाषा में साहित्यकि कहानी , उपन्यास , निबंध , लेख , निबंध , समालोचना व   स्मारक साहित्य समेत साहित्यकि तमाम विधाओं में साहित्य लेखी जाणौ। दुखकि बात य लै छु कि हमरि नई पीढ़ी कुमाउनी भाषा बै दूर होते जाणै वांई कुछ बुद्धिजीवी कुमाउनी भाषा बिकासक जुगुत में लागि रईं।          आओ जाणनू कुमाउनी भाषाक बिकासै लिजी चलण लागी लेखन योजनाओंक बा्र में-                      कुमाउनी भाषा बिकासकि लिजी एक पहल ब...

खसकुरा (पुरानी पहाड़ी) शब्दकोश : 'यूनेस्को' से सहायता प्राप्त कुमाउनी शब्दकोश

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ललित तुलेरा tulera.lalit@gmail.com            कु माउनी भाषा में पैंल शब्दकोश सन 1983 में ´ कुमाउनी हिंदी व्युत्पत्तिकोश´   रूप में सामणि ऐ¸ जैक कोशकार कुमाउनी भाषा बिद्वान डॉ. केशवदत्त रूवाली  (अल्मोड़ा) छी। वीक बाद साल 1985 में ' कुमाउनी हिंदी शब्दकोश' रूप में दुसरि शब्दोकोश देखिण में ऐ। य कोशक कोशकार कुमाउनी भाषाक मर्मज्ञ बिद्वान डॉ. नारायण दत्त पालीवाल ( अल्मोड़ा ) छी । यैक बाद कएक भाषा बिद्वानों द्वारा कुमाउनी शब्दकोशोंकि रचना करी गे।        इन शब्दकोशों में एक छु-  ´ खसकुरा (पुरानी पहाड़ी ) शब्दकोश ´ । य शब्दकोश कैं 'यूनेस्को' द्वारा मान्यता लै मिलै और वित्तीय मधत लै प्रदान करी गो। कुमाउनी भाषाकि य शब्दकोश कैं लेखक द्वारा खसकुरा शब्दकोश  नाम दिई गो।  खसकुरा-   विद्वानोंक मानण छु कि कुमाऊँ में पैंली ‘ खश’  जाति निवास करछी। यई तर्ज पर कोश में लेखक द्वारा  खसकुरा  शीर्षक पर जानकारी दिई गे कि पुर पर्वतीय अंचल में अफगानिस्तान बै चंपारण तिरहुत तक नैना देवीक क...