कुमाउनी शगुनआँखर गीत


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संकलन व लेख- 
श्रीमती तारा पाठक, हल्द्वानी (उत्तराखंड)
मो. +91 72484 60657
शगुनआँखर-    
      शगुनआँखर कुमाउनी समाज में शुभ काम-काजों में गाई जाणी मांगलिक गीतों / संस्कार गीतों कैं कुनी। क्वे लै भल काम हुं त पैंली शकुनआँखर गाई जानी फिर जे काज भय वी हिसापैल तत्संबन्धी गीत। द्वि जनानी यो शकुनआँखर गानी, जनों में मुख्य गायिका गिदार, सहगायिका भगारि कई जैं ।हमार कुमाऊं अंचल में संस्कार गीतों भौत महत्व छ । बालकक पैद हुंण बटी छयां दिन छट्टी संस्कार(छट्टी केवल च्यालों कि मनाई जें)इग्यारों दिन नामकर्म संस्कार ,बाइसां दिन बैसोल,एक साल में जनमबार (पैंली जबान में चेलियों जनमबार नि मनाई जांछी)एसिकै और लै संस्कार भाय।
       हमार आंचलिक गीतों में संध्या गीतनौल पूजनआपदेव निमंत्रण,सूर्य दर्शन गीतनामकरण गीत, विदाई गीत, बन्ना-बन्नी गीत, शय्या दान गीत, सुवास पथाई गीत , कन्यादान तैयारी गीत, बरयात ऊणै गीत भौत मनमोहक छन त दुहर तरब बैंणियन न्यूंतण हुं सु(तोता) पितरन न्यूंतण हुं भौंर (भँवरा) कें भेजण एक ढंगैंल प्रकृति दगाड़ जुडा़व लै झलकूं। कएक दृश्यों समावेश यों गीतों में छ, कैं चेली बिदाई उदासीण गीत त कैं नई ब्योली घर ऊंण पर उल्लासपूर्ण गीत।बरेतियों कें बिटमण लै भौत सुंदर परंपरा छ। बडि़ शालीनताल ब्योलि पक्षा गिदार बरेतियन चिढू़नी। बदाव में बरेती लै कटाक्ष करनी या फिर नाचनी। लोक जीवन में संस्कार गीतों उतुकै महत्व छ जतु कि हमार नसों में दौड़नी खूनकि, यो केवल संस्कार गीत न्हैंतन बल्किन पीढि़यों बटी (बुढि़ आम, उ है लै बुढि़ आम, सबों है बुढि़ आमा कंठ बटी होते हुए यों ज्याड़ज,इज फिर काखि ,बोजि भोल हुं ब्वारि, पण ब्वारि तक अविरल गंगा चारी निर्झर झरते रूंणी परंपरा छ। मोत्यूं गछ्याई माव छ। जैमें पैंल मोती छु शकुनआँखर। 

            ( चित्र- इंटरनेट  बै साभार)
      नई पीढी़ नई तकनीक दगाड़ जुडी़ छ त हमार लिजी यो जरूरी है जां कि नानों कें फेसबुका माध्यमैल यो विरासत सौंपी जावौ।आश करनू कि नान यै मान धराल और हमरि अनमोल परंपरा कें समाई बेर अघिल पीढी़ कें हस्तांतरित करा्ल।


 आओ जाणनू शकुनआँखर गीतों कैं- 

    ( घरा बैगों नाम त ल्हिनी लेकिन सुहागिलि स्यैंणी नाम नि ल्हिबेर वी बैगक नामक पैंल अक्षर बटी अमकण सुंदरी कूनी और दुहरि ब्या वालि धें अमकण मंजरी कूनी।
उदाहरण-  
बैगक नाम कैलाश छ त उनरि दुल्हैंणि धैं कमला सुंदरी या कमला मंजरी कौल।सोई फूल मोलावान्त कैलाश चन्द्र , जीवन चन्द्र ।
सोई पाट पैरीरैंन कमला सुंदरी,जया सुंदरी या कमला मंजरी ,जया मंजरी।
मली बैगक् नाम कैलाश या जीवन छ त उनरि दुल्हैंणि कमला सुंदरी या जया सुंदरी ।बैगक नामक पैंल अक्षर पर आधारित।)

शकूना दे, शऽकूऽऽना दे , काजए अती नीको।
सो रंगीलो पाटल अँचली कमल को फूल।
सोई फूल मोल वान्त ।
गणेश,रामी चँद्र,लछीमण,भरत,चतुर,लब कुश।
जीवा जनम आध्या अमरो होय।
सोई पाट पैरी रैंन,सिद्धी -बुद्धी,सीता देही ,बहूराणी
आईवान्ती ,पुत्रवान्ती होय।
सोई फूल मोलावान्त (घरा बैगों नाम और च्यालों नाम)
जीवा जनम आध्या अमरो होय।
सोई पाट पैरीरैंन (घरा सुहागिलियों नाम)
आईवान्ती ,पुत्रवान्ती होय।

•••

         गीत-1:  शकुनाखर (गणेश ज्यूक )

(शुभ काजक शुरवात में गणेश ज्यू पूजन करी जां। उंई सब बिघन दूर करनी।) 

जय जय गणपति ,जय जय हेरम्ब सिद्धि विनायक।
एकदन्त एकदन्त ,सूपकर्ण ,गौरी के नंदन,मूषक वाहन।
सिन्दूर सोहै,अग्नि बीना होम नहीं,ब्रह्मा बिना बेद नहीं।
पुत्रधन काज सोहै ,राज सोहै।
शुभ जय गणपति ,आरम्भ रचीयां लै शंकर देव ए।
फुलनीछ ,फलनीछ जायसी वान्ती ए ।
फूल ब्योंणी ल्यालो बालो ,आपू रूपी बाणी ए।
मोत्यूं माणिक हीरा चौक पुरीयां लै।
सोभ्रन भरीयो कलेश ए।
तैसो चौका बैठाला रामी चंद्र ,लछीमण बिप्र ए।
ज्योलडी़ सीतादेही ,बहूराणी काज करै,राज रचै।
फुलनीछ,फलनीछ जायसी वान्ती ए।
फूल ब्योंणी ल्यालो बालो आपूं रूपी बाणी ए।
मोत्यूं माणिका हीरा चौक पुरीयां लै ।
सोभ्रन भरीया कलेश ए।
तैसो चौका बैठाला (घरा बैगों और च्यालों नाम)बिप्र ए।
ज्योंलडी़(घरै सुहागिलियों-सुंदरी मंजरी)काज करै राज रचै।
शुभ जय गणपति ,आरम्भ रचियांलै शंकर देव ए।
•••

       गीत -2: शकुनआँखर (गणेश ज्यूक) 

श्री गणपति नाइले ,तेल पैराइले,
कुमकुम कस्तूरी परिमल अंग पैराइले 
तैसो गणपति पूजिले।
गणपती पूजूं मैं रगत चँदन,
रोहिणी पिठ्या,शाली का अक्षत,नारियल सुपारीलै 
तैसो गणपति पूजिले।
गणपती पूजूं मैं रेशमी वस्त्रै लै,
बेल बिजौरी लै,लाल पुष्प लै,बीडा़ बतासों लै।
तैसो गणपति पूजिले।
खाण खजूरा लै,लाडू़ सुवाली लै,
दही,दूध,धृत लै, धन और दृव्य लै।
तैसो गणपति पूजि ले।
गणपती पूजूं मैं हल्दी की गांठी लै ,दूबै की डाली लै,
तैसो गणपति पूजि ले।
अती सयानी ,अती बयानी ,कानन कुंडल धायके
तैसो गणपति पूजि ले।
•••

         शकुनाखर ( न्यूतणक गीत )
 (शुभकाज हुण छ त पुर समाजै जरवत रैं और सबों कें न्यूंतणै परंपरा लै छ , बिना न्यूंतै क्वे लै शामिल नि हुन। हमार पूर्वजों यो संदेश छ कि हमरि सृष्टि केवल मैंसों कें ल्हिबेर नि बणी छ बल्किन जीव-जन्तु, धरती अकाश, सूर्ज-चाँद-ता्र और त और हमार पितर, सृष्टि रचयिता द्याप्त लै यमै शामिल छन। जब सबों कें ल्हिबेर सृष्टि बणी छ त शुभकाज में सबों कें न्यूंतियल , जब सब शामिल ह्वाल तबै सिद्धि लै होलि।पितर न्यूंतणक गीत बाद में आल।)

प्रात जो न्यूंतूं मैं सूरज,सांझ जो न्यूतूं मैं चँद्रमा,

किरणन को अधिकार,ज्यूनिन को अधिकार ,

तारन को अधिकार,समाए बधाए न्यूंतिए,

आज बधाए न्यूंतिए।

गणपति न्यूंतूं मैं काज सों,ब्रह्मा बिष्णु न्यूंतूं मैं काज सों,

शंख घंट न्यूंतूं मैं काज सों,

गणपति सिद्धि करा,ब्रह्मा बिष्णु सृष्टि रचा,

शंख घंट शबद सुणाए ,समाए बधाए न्यूंतिए।

आज बधाए न्यूंतिए।

ज्योतिषी न्यूंतूं मैं काज सों,ब्राह्मण न्यूंतूं मैं काज सों,

सोहागिली न्यूंतूं मैं काजसों,

ज्योतिषी लगन लेखा,ब्राह्मण बेद पढा़,

सोहागिली मंगल गाए,समाए बधाए न्यूंतिए ,

आज बधाए न्यूंतिए।

बहनिया न्यूंतूं मैं काज सों,कामिनी न्यूंतूं मैं काज सों,

भाई बंद न्यूंतूं मैं काज सों,

बहनिया रोचन ला,कामिनी दियो जला ,

भाई बंद शोभा बढा़ए,समाए बधाए न्यूंतिए ,

आज बधाए न्यूंतिए।

मालिनी न्यूंतूं मैं काज सों,हलवाई न्यूंतूं मैं काज सों,

तमोलिनी न्यूंतूं मैं काज सों,

मालिनी फूल ले आ,हलवाई सिन्नी ले आ,

तमोलिनी बीडा़ ले आए ,समाए बधाए न्यूंतिए,

आज बधाए न्यूंतिए।

ग्वालिनी न्यूंतूं मैं काज सों,अहिरीनी न्यूंतूं मैं काज सों,

कुम्हारिनी न्यूंतूं में काज सों,

ग्वालिनी दूध ले आ,अहिरीनी दहिया ले आ,

कुम्हारिनी कलश ले आए ,समाए बधाए न्यूंतिए,

आज बधाए न्यूंतिए।

धिंवरिनी न्यूंतूं मैं काज सों,ज्यूरिया न्यूंतूं मैं काज सों,

बढ़इया न्यूंतूं मैं काज सों,

धिंवरिनी शकुन ले आ,ज्यूरिया दूब ले आ,

बढ़इया चौख ले आ,समाए बधाए न्यूंतिए ,

आज बधाए न्यूंतिए।

बजनिया न्यूंतूं मैं काज सों,

बजनिया बाजो बजा।

आंगनि घाई -बधाई,दिन दिन होवेंगे काज।

सब दिन होवेंगे काज, समाए बधाए न्यूंतिए,

आज बधाए न्यूंतिए।
•••
( चित्र- इंटरनेट  बै साभार)

     शकुनाखर (मातृ पूजनक गीत )
पिल रंगैंल रंग्याई लाकड़क् चौख में लाल पिठ्याल् श्री गणेश जी और सोल मात्रा बणाई जानी।गणेश जी पुज बाद मात्रा पूजन हूं।यों सोल मात्रा-गौरी ,शची ,पद्मा,मेधा,सावित्री,विजया,जया,देव सेना ,स्वधा,स्वाहा,मात्रा,लोकमात्रा,धृता,पुष्टि,तुष्टि,आत्मना)

कैरे लोक उपजनी माई मात्रा देब,

कैरे कोखी उपजनी नारायण पुत्र ए।

कौशल्या राणि कोखी उपजनी,सुमित्रा राणि कोखी उपजनी ,

रामी चँद्र,लछीमण पुत्र ए।

माथी लोक उपजनी माई मात्रा देव ए।

चलौ तुमी माई मात्रा इनूं घरी आज ए।

इनूं घरी धौलीहार काज सोहै ,राज रचै।

(ज्याड़्ज ,काखी,इजा क् नाम -सुंदरी ,मंजरी)कोखी उपजनी ,

(पैंल पीढी़ बैगों नाम।)पुत्र ए।

माथी लोक उपजनी माई मात्रा देब ए।

ब्वारियों नाम (सुंदरी ,मंजरी)कोखी उपजनी,

(दुहर पीढी़ च्यालों नाम)पुत्र ए।

माथी लोक उपजनी माई मात्रा देब ए।

(एसिकै पीढी़वार नाम ल्ही)

चल तुमी माई मात्रा इनूं घरी आज ए।

इनूं घरी धौलीहार काज सोहै,राज रचै।
•••

शकुनआँखर (बसोद्धारा गीत)
(जब मातृ पूजन है जां वी में घ्यूल सात धारा दी जानी जै धें बसोद्धारा कई जां। उ पवित्र घ्यू कें परवारा बैग ख्वार पर लगूनी और सुहागिली मांग भरनी।यै भाव छ।)

बसोद्धारा ,बसोद्धारा धार उधारा।

तैसो घृत लै रामी चँद्र,लछीमण माथ भराए।

बसोद्धारा ,बसोद्धारा धार उधारा।

तैसो घृत लै सीता देही ,बहूराणी श्रृंगार कराए।

बसोद्धारा ,बसोद्धारा धार उधारा।

तैसो घृत लै (परवारा बैगों और च्यालों नाम)माथ भराए।

तैसो घृत लै (परवारा सुहागिली-सुंदरी ,मंजरी)श्रृंगार कराए।

बसोद्धारा,बसोद्धारा धार उधारा।
•••


 पुण्याह वाचन गीत
(पुण्याह वाचन पुज करण लै शुभकाज में मंगलदायी मानी जां,यै अर्थ छ-पुण्य वचन, (आशिर्वाद)पुरोहित जजमान कें अशीष दिनी तुमर काम भली कै निभि जौ और जजमान उनूं कें दक्षिण दिनी।पुण्याह वाचनक् टैम पर पुरोहित,चेली -बेटी ,गिदार सबों कें दक्षिण दिई जें।
मली गीतक् भाव छ कि -शुभकाज करणी जजमान धार्मिक प्रवृत्तिक छन ।इनरि घरिणी दानशील छन ,यो बाड़ अमीर (ठुल सोच वाल)छन,सम्पत्तीवान छन।यो काज में सुहागिली मंगल गीत गाणी और पुरोहित जजमान कें आशिर्वाद दिणी।बेद व्याख्या करणी।)

रामी चन्द्र ,लछीमण दीना छन धरमी धरो ,एहो धरमी धरो।
सीता देही,बहूराणी दियो बडो़ दान तो बाडा़ रे अमीरों लै ,सम्पती पुरीयां लै।

ऐवान्ती मंगल देलीन ,ब्राह्मण बेद पढे़।

सोहागिली मंगल देलीन ब्राह्मण बेद पढे़।

(घरा बैगों और च्यालों नाम)दीना छन धरमी धरो ,ऐहो धरमी धरो।

(घरा सुहागिली-सुंदरी ,मंजरी)दीयो बडो़ दान तो बाडा़ अमीरों लै ,संपती पुरीयां लै।

ऐवान्ती मंगल देलीन ब्राह्मण बेद पढे़,

सोहागिली मंगल देलीन ब्राह्मण बेद पढे़।
•••



      शकुनआँखर ( आपदेवक गीत) 
(शुभकाज में आपदेव पुज जरूरी छ,पुजै साज में सफेद मर्दानि धोति,चावल,दाल,साग,घ्यू,हल्द,मसाल,धन दृव्य,फल, पंच मेवा,मिठाइ लगभग सब चीज धरी जानी। तीन पीढी़ पितरों( घर और माकोट) नाम लिई जां। यो पुज पितरों लिजी श्रद्धाभाव प्रकट करणक् तरिक छ और कामकाज निर्बिघन हो कै पितरों अशीष ल्हिई जैं।)
आपदेवक गीत -१
सृष्टि मंडल ओबरी दियडा़ जग है संसार,अहो कुलदीपक।

फूलन हार गुंथाए,पलकन सेज बिछाए।

तैसो सेज सोवनी रामी चँद्र,लछीमण पितरों लै सपन देखाय।
अहो कुलदीपक।

भले भले सपन दिखाय ,अहो कुलदीपक।

भली करी राणि सीता देही, बहु राणी ऐसो करे सब कोय।
अहो कुलदीपक।

पुत्र जनी जनी घर भरो ,बहुवां लै भरी  है रसोई ,अहो कुलदीपक।

फूलन हार गुंथाए,पलकन सेज बिछाए।

 तैसो सेज सोवनी( घरा बैगों नाम ,)पितरों लै सपन देखाय,भले भले सपन देखाय अहो कुलदीपक।

भली करी (घरा सोहागिलियों-सुंदरी,मंजरी नाम) ऐसो करै सब कोय ,अहो कुलदीपक।

पुत्र जनी जनी घर भरो ,बहुवां लै भरी है रसोई अहो कुलदीपक।

दियडा़ जग है संसार अहो कुलदीपक।
•••


     आपदेवक गीत-२

जाना-जाना भंवरीला माथलोक,पितरन न्यूंत दे आज ए।
नौं नी जाणन्यूं,गौं नी पछ्याणन्यूं,कां रे होला पितरों का द्वार ए।
आधा सरग सूरज ,चन्द्रमा,आधा सरग बादल रेखा ए।
जां रे होला सुनूं का द्वार,रूपा का खुटकूंण ए,रेशमी निशाण ।
वां रे होला पितरों का द्वार ए।जाना जाना भंवरीला माथलोक ए।
स्वर्ग बटी पुछन छना छन दशरथ ज्यू, भगीरथ ज्यू , कोरे पुत्रों लै देवायो छ न्यूंत।
कनरा घर बेद ध्वनि काज ए, शंख ध्वनी बाज ए।
जोरे तुमूलै पाला सैंता ,दूध धोया ,घृत मला,अमृत सींचा,रुमाल पोछा।
रामी चँद्र लै,लछीमण लै उं रे पुत्रों लै देवाय छ न्यूंत ए।
स्वर्ग बटी पुछनी छन कौशल्या राणि ज्यू,सुमित्रा राणि ज्यू ,कोरे बहुवां लै बढा़यो छ गोत्र ए,देखायो उछप ए।
जो रे तुमूलै लाई छन बाडा़ कुल की ,बाडा़ वंश की सीता देही लै ,बहुराणि लै बढा़यो छ गोत्र ए ,देखायो उछप ए।
स्वर्ग बटी पुछन छन (पितरों में सबों है नान बटी ठुल पितरों नाम)कोरे पुत्रों लै देवायो छ न्यूंत ए।
कनर घर बेद ध्वनि काज ए, शंख ध्वनि बाज ए।
जोरे तुमूलै पाला सैंता,दूध धोया ,घृत मला,अमृत सींचा,रुमाल पोछा।
घराक पैंल पीढी़ बैगों नाम) उं रे पुत्रों लै देवायो छ न्यूंत ए।
स्वर्ग बटी पुछनी छन(पितरों में नानि बटी ठुलि हुं सुंदरी मंजरी)को रे बहुवां लै बढा़यो छ गोत्र ए, देखायो उछप ए।
जोरे तुमूंलै लाई छन बाडा़ कुल की ,बाडा़ वंश की (मली घराक जो बैगों नाम- उं रे पुत्रों लै ऐ रौ ,यां उनरी सुंदरी मंजरी )उं रे बहुवां लै बढा़यो छ गोत्र ए,देखायो उछप ए।
कसी ऊंनूं पुत्र नातियो तुमार घर ,धरती हूणी डीठ नि पड़नी ,पांऊं हमारा भिंनी पुजना।
आहो पितरो हमारा घर, पांऊं तुमारा पौडी़ बडूंला,आँखों तुमारा चशम बडू़ला।यांई बटी  द्यूंल अशीष,
जी राया तुम पुत्र ,नातियों लाख बरीष,बहुवा तुमरी जनम आईवान्ती ,बहुवा तुमरी जनम पुत्रवान्ती।
•••



प्रस्तुति - 
ललित तुलेरा,
 लाहुरघाटी, बागेश्वर ( उत्तराखंड )
मो.- 7055574602 
ई-मेल- tulera.lalit@gmail.com 

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