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प्रदेश में हुण चैं ‘कुमाउनी भाषा अकादमी’, मुख्यमंत्री उत्तराखंड कैं भेजी गो ज्ञापन

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अल्मोड़ा।  कुमाउनी   भाषा ,  साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी, अल्मोड़ाक नई कार्यकारिणी पदाधिकारियों द्वारा जिलाधिकारी अल्मोड़ा माध्यमल मुख्यमंत्री उत्तराखंड श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत कैं ज्ञापन भेजी गो। कुमाउनी भाषा बिकासै लिजी य ज्ञापन में कुमाउनी भाषा कैं भारतीय संविधानकि आठवीं अनुसूची में शामिल करूण, उत्तराखंड में ‘कुमाउनी भाषा आकादमी’क गठन करण, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा में कुमाउनी भाषा विभागकि स्थापना करूण संबंधी प्रस्ताव शामिल छी। य शिष्टमंडल में समिति अध्यक्ष- देव सिंह पिलख्वाल, उपाध्यक्ष- जमन सिंह बिष्ट, सचिव- हयात सिंह रावत, प्रवीण सिंह कर्मचाल, आनंद सिंह बिष्ट, शशि शेखर जोशी, ललित तुलेरा छी।         मुख्यमंत्री उत्तराखंड कैं भेजी ज्ञापन-   (  अल्मोड़ा कलेक्ट्रेट में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कैं ज्ञापन सौंपता शिष्टमंडल)       मुख्यमंत्री उत्तराखंड कैं भेजी ज्ञापन में कुमाउनी भाषा बिकासै लिजी आठ माड. शामिल छी जो यो परकार छन-        कुमाउनी, भाषा साहित्य एवं संस्कृति प्र...

कुमाउनी भाषा बिकासै लिजी भईं आठ प्रस्ताव पारित, नई कार्यकारिणीक करी गो गठन

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तिसर दिन  अल्मोड़ा।  पोरूं 18 दिसंबर २०२० बटी सांस्कृतिक नगरी अल्माड़ में  गोविंद बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय  में चलण लागी बारूं ‘ कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ क कंचन तिवारी ल  वंदना गै बेर व मुख्य अतिथि प्रो. जगत सिंह बिष्ट ल दी जगै बेर सम्मेलनकि तिसर  दिनकि  शुरवात करै।  सम्मेलन में तिसर दिन लै कोविड -19 महामारीक  नियमोंक पालन करते हुए कार्यक्रम भईं ।  (सम्मेलन में वंदना गाते कंचन तिवारी)        सम्मेलन में तिसर दिन कमाउनी, भाषा साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी अल्मोड़ा संस्थाकि नईं कार्यकारिणी  क गठन करी गो। जमें रिटायर प्रधानाचार्य व समाजसेवी देव सिंह पिलख्वाल सर्व सम्मतिल अध्यक्ष चुनी गेईं वैं उपाध्यक्ष पद पर एडवोकेट जमन सिंह बिष्ट चुनी गेईं। कोषाध्यक्ष पद सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह बिष्ट व उपसचिव ललित तुलेरा बणाई गईं, सचिव पद पर डॉ. हयात सिंह रावत चयनक बाद जस कै तस  बणी रई।      सम्मेलन में तिसर दिन समिति कार्यकारिणी गठन करी गो, कुमाउनी भाषाक उत्थानै लिजी आठ प्रस्ताव पारित करि बे...

कुमाउनी भाषा कैं छु श्रेष्ठ आलोचकोंकि जरवत : डॉ. भोज

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दुसर दिन  अल्मोड़ा। मायेड़ी! दे तू वरदान ला्ट- का्ल कैं स्वर दे  निर्बल कैं दे तू तराण ।  मायेड़ी! दे तू वरदान।      बेई बटी सांस्कृतिक नगरी अल्माड़ में  गोविंद बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय  में चलण लागी बारूं ‘ कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ क रंगकर्मी व साहित्यकार नवीन बिष्ट ल  वंदना गै बेर व मुख्य अतिथिल दी जगै बेर सम्मेलनकि दुसर  दिनकि  शुरवात करै।  सम्मेलन में दुसर दिन लै कोविड -19 महामारीक  नियमोंक पालन करते हुए कार्यक्रम भईं ।  (सम्मेलन में वंदना गाते नवीन बिष्ट)       मुख्य वक्ता कुमाउनी साहित्यकार शिक्षक व आलोचक डॉ. कपिलेश भोज ज्यूल कौ कि जब तलक हमरि सरकार व हमा्र शिक्षण संस्थान कुमाउनी भाषाक बिकासै लिजी अघिल नि ऊंन तब तलक कुमाउनी भाषाक बिकास नि है सकन। हमरि सरकार हमरि इस्कूलों, विश्वविद्यालयों कैं य दिश में जल्दी है जल्दी काम करणकि जरवत छु। उनूंल कौ कि हिंदीक बिकास में जो योगदान ‘सरस्वती’ मासिक पत्रिकाल दे ऐलक बखत में कुमाउनी भाषा कैं वी योगदान ‘पहरू’ मासिक पत्रिका दिणै। ‘पहरू’ पत्रिकाक प्रयासोंलै आज कुम...

शगुनऑंखर गै बेर करी गो तीन दिनी ‘कुमाउनी भाषा सम्मेलन २०२०’ शुरू

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पैंल दिन -  अल्मोड़ा। शारदे माता!  दि दे भागी य वरदाना ओ माता शारदे ।  वीणा वादिनी माता !  दिदे भागी य वरदाना ओ वीणावादिनी।।       य वंदना और शगुनऑंखर गीत  लोक कला केन्द्र   अल्मोड़ाक  कलाकार लता पांडे, बिमला बोरा, शीला पंत द्वारा गै बेर व मुख्य अतिथिल दी जगै बेर  बारूं ‘ कुमाउनी भाषा सम्मेलन २०२०’  क   गोविंद बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय, अल्मोड़ा सभागार में शुरवात करै। य सम्मेलन  कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी अल्मोड़ा  व ‘ पहरू ’ कुमाउनी मासिक पत्रिका ओर बटी उरयाई गो। आज तलक समिति व पत्रिका द्वारा राष्ट्रीय स्तरा्क इग्यार सम्मेलन उरयाई जै चुकि गई। समिति द्वारा यों सम्मेलनोंक आयोजन 2010 बटी शुरू करी गेईं ।      अलीबेर सम्मेलनक शुरूवात कोविड -19 महामारीक वजैल  कोविड नियमोंक पालन करते हुए  ना्न रूप में करी गो।        सम्मेलन में मुख्य वक्ता कुमाउनी साहित्यकार मोहन जोशी (गरूड़) ज्यूल कौ कि कुमाउनी भाषा में अनुवादक काम भौत हुण लागि रौ।  आ...

कुमाउनी इंटरव्यू : ‘पहरू’ प्रबंध संपादक महेन्द्र ठकुराठी दगाड़ राजेन्द्र ढैला कि बातचीत

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इंटरव्यूकर्ता -  राजेन्द्र ढैला  , काठगोदाम (नैनीताल)  य इंटरव्यू छु कुमाउनी कवि, साहित्यकार, रंगकर्मी श्री महेंद्र ठकुराठी ज्यूक। इनर जनम 2 अक्टूबर सन 1964 हुं ग्राम बड़ालू (धपौट), जिल्ल पिथौरागढ़ में ईजा श्रीमती कमला देवी व बौज्यू श्री मोहन सिंह ठकुराठी ज्यू (जोकि गौं घरपनाक साधारण पहाड़ी किसान छी) वाँ भौ। इनरी प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय बड़ालू, पिथौरगढ बटी और इंटरैकि पढाई जी आई सी पिपलकोट पिथौरगढ बटी संपन्न भै। ठकुराठी ज्यू तीस साल तक प्राइवेट अध्यापन करणा बाद वर्तमान में ' पहरू ' पत्रिका'क संपादन कार्य में सहयोग दिण लाग रयी। इनार द्वी च्याल छन ज्यठ च्यल डॉ.पवनेश ठकुराठी अध्यापक और कांस च्यल कृश्नेश होटल व्यवसाय में कार्यरत छन। यौ अछ्याल अल्माड़ में आपण परिवार दगै निवास करनयी जाँ इनन दगै इनरी घरवाई श्रीमती नंदेश्वरी ठकुराठी और च्याल रौनी। सवाल -  रचना धर्मिता कब बटी और कसिक शुरू भै कुमाउनी लिखणैकि प्रेरणा कां बटी मिलै? जवाब● विद्यार्थी जीवन बैई लेखण शुरू करि हैछी। पैंल लेख वर्ष 1983 में पिथौरागढ़ बै छपणी साप्ताहिक 'उत्तराखंड ज्योति' में प्रकाशित भई। कुछ ...

‘गिर्दा’ का साहित्यिक इंटरव्यू : क्वाठ भितेरकि कलमलाटै तो साहित्य भै

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30 जून, 2004 कि बात छु, अल्मा्ड़ डाॅ. शमशेर सिंह बिष्ट ज्यूक घर में श्री गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ अाई भै। बिना के पैंली बै तैयारी और सूचनाकै मैं गिर्दा दगै बातचीत करनै थैं वां पुजि गयूं । गिर्दाकि सेहत ठीक न्हांती, फिर लै उनूल के ना-नुकुर नैं करि। आस्ते-आस्ते रङत में ऐ बेर भौत कविता सुणाई और भौत लमि बातचीत करै। यो बातचीत पाठकों सामणि पेश  छु- - डाॅ. हयातसिंह रावत संपादक - ‘पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका सवाल  - गिरदा! आपूं थैं लोग जन कबि कौंनी। आपूं कें जनकबि नामल पुकारनी। मैं यो जा्णन चाँ कि कबि और जनकबि में कि फरक हुँ?    गिर्दा-  यार हयात! तौ तो यसि किसमकि बात करि दे त्वैल! जैक क्वे सीमाब( और क्वे सूत्रब( उत्तर नैं है सकन। जनभावना भइ। जन भावनानकि अभिव्यक्ति जन कबिता भै। सवाल यो भै, जै में जरा संघर्षशीलता लै हो। किलैकि संघर्षशीलता सिर्फ जो सड़क में आन्दोलन करनी, उना्रै भितर नैं हुनि। संघर्ष तो समाज में कतू धरातलों में चलूँ, तो अभिव्यक्ति धरातल में लै जभत का्रै हमर संघर्षशील धारा तरब हुँ जाणै प्रवृत्ति जब मन में ऐ गई, तौ हमर एक बणाई हुई खाँ्च भै, तौ जनकबि...