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पहाड़क जनजीवन समाई छु बंजारा ज्यूक बणाई चित्रों में : नवीन वर्मा ‘बंजारा’ ज्यूक बणाई कुछ अमर चित्र

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  ‘बंजारा’ नामल जाणी जाणी नवीन वर्मा चंपावत जिल्लक गुमदेश पट्टीक बिंडा ( डांग ) गौंक मूल निवासी छी । उनर जनम २ अगस्त १९४५ हुं भौछ। उनरि इजक नौं रेवती देवी व बौज्यूक  दुर्गालाल वर्मा छी। अल्माड़ शहरक अल्मोड़ा इंटर कौलेज अल्मोड़ा में ऊं कला अध्यापक रईं। बंजारा ज्यू चित्रकार , मूर्तिकारै ना बल्कि कवि, लेखक लै छी। उनूल नाटक लै लेखि रीं। अल्माड़ नगर बै निकवणी ‘हिलाँस’ साप्ताहिक में उनूल कुछ टैम तक ‘दरबारे आम’ नामल एक स्तंभ लै लेखौ । बंजारा ज्यू भित्तीचित्र  व मूर्तिकलाक लै कलाकार छी । १३ अप्रैल २०२० हुं अल्माड़ में बंजारा ज्यूक निधन हैगो ।        बंजारा ज्यूक बणाई कुछ चित्र यों छन -        बंजारा ज्यू द्वारा बणाई स्वामी विवेकानंद ज्यूकि य आदिम कद मूर्ति अल्मोड़ा इंटर कौलेज में छ।                                 • ( यों सबै चित्र अल्मोड़ा रौणी अजेयमित्र बिष्ट ज्यू द्वारा प्राप्त भई)  ...

‘पहरू’ कुमाउनी पत्रिका अप्रैल २०२० में छपी रचनाकार

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      पहरू   कुमाउनी भाषाक महैनवार छपणी पत्रिका छु। २००८ बटी य पत्रिका कुमाउनी भाषा क विकास में समर्पित छु जमें कुमाउनी में कविता, वंदना ,कहानी, लेख, निबंध, व्यंग्य,  नानिकाथ, उपन्यास अंश, अनुवाद, यात्रा वृतांत, कुमाउनी बाल संसार साहित्य, बातचीत, समाचार, समेत कई विधाओं में रचनाएं छपनी । पहरू उत्तराखंडै ना बल्कि देश भर में जां-जां कुमाउनी समाज छु वां तक डाक ब्यवस्ताक माध्यमल पुजैं । (पहरू , अप्रैल २०२० अंक मुखपृष्ठ)  पहरू अप्रैल २०२० अंक में छपी रचनाकार य परकार छन -    अगर आपूं लै कुमाउनी भाषा में कविता , लेख, कहानि आदि लेखछा  तो आपूं लै भेजि सकछा आपणि रचना तलि लेखि पत्त पर डाक द्वारा -         सेवा में       संपादक पहरू      पहरू संपादकीय कार्यालय-    इंद्र सदन-सुनारीनौला, अल्मोड़ा                                        पिन-२६३६०१ ...

कुमाउनी जनगीत : उत्तराखंड मेरी मातृभूमि , मातृभूमी मेरी पितृभूमि

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उत्तराखंड मेरी मातृभूमि        ओ भूमी !  तेरी जय-जय कारा म्यार हिमाला ।        कुमाउनी जनमानस में य गीत भौत फेमस छु । उत्तराखंड़क कई इस्कूलों में य प्रार्थना सभा में गाई जां। कुमाउनी प्राथमिक पाठ्यक्रम में लै य गीत कैं शामिल करि रौ ।  गीत य प्रकार छु -     य गीतक लेखक प्रसिद्ध कुमाउनी कवि, नाटककार, जनांदोलनकारी, गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ छन । उनर जनम ०९ सितंबर १९४५ हुं ज्योली, हवलबाग (अल्मोड़ा) में भौछ । २२ अगस्त २०१० हूं ऊं गुजर गई । य गीतक अलावा उनूल  • ततुक नी लगा उदेख घुनन मुनइ नी टेक ओ जैंता एक दिन तो           आलो ,   • आज हिमाल तुमन कैं धत्यूं छौ ,   • हम ओड़ बारूड़ि  ल्वार कुल्ली कभाड़ि   समेत कई गीत लेखि रीं जो हमर समाज में भौत फेमस छन ।  यूट्यूब में य गीत UT Diaries चैनल में मौजूद छु जैक लिंक य प्रकार छु-                              उत्तराखंड मेरी म...

ओ परूवा बौज्यू चप्पल क्ये ल्याछा यस : मशहूर कुमाउनी लोकगीत

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ओ परूवा बौज्यू चप्पल क्ये ल्याछा यस ।  फटफटा नी हुनी चप्पल के ल्याछा यस ।।     य कुमाउनी लोकगीत हमर कुमाउनी समाज में भौत सुपरहिट रौ । गौं-घरोंपन , ब्या-बरात,  म्याल कौतुक यां तक कि सांस्कृतिक कार्यक्रमोंक आयोजनों में लै य लोकगीत भौत फेमस रौछ। आ्ब जमा्न थोड़ी बदलि गो । हर चीज में बिकास वा्ल बदलाव ऐगो कुमाउनी गीतों में लै लय, ताल दगै नई-नई किस्माक बदलाव लोकगायक करनई पर जो लोकगीत लम्ब टैम तक लोकमानसक दिल में पैठ बणै ल्हीनी उनर महत्व आपणि जाग धैं न्यारी हैं ।     य कुमाउनी लोकगीत में थोड़ी हास्य लै झलकें। स्यैणि- मैंसक संवाद रूप में लोकगीत य प्रकार छु -    आ्ब बात ऐछ कि लोकगीत कैल लेखो तो यैक लेखक क्वे और ना बल्कि मशहूर कुमाउनी कवि शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’  छी। ‘अनपढ़’ ज्यूक छ्वट परिचय -        

‘बास रे कफुवा’ : कुमाउनी भाषाक पैंल हस्तलिखित साइक्लोइस्टाइल पत्रिका

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कुमाउनी हस्तलिखित साइक्लोइस्टाइल पत्रिका ‘  बास  रे कफुवा’   बै जुड़ी खाश जानकारी                      कुमाउनीक साहित्य में भाषा प्रेमी व भाषा बिद्वानोंल भल काम करि रौ ।  कुमाउनी में पत्र -पत्रिका छपणक शुरूवात बर्ष 1938 में प्रकाशित ‘ अचल’  मासिक पत्रिका बटी मानी जैं। यैक संपादक  जीवन चंद्र जोशी  छी, पत्रिका आर्थिक तंगीक चलते करीब  २ साल बाद बंद है पड़ी । यैक बाद जो पत्रिका कुमाउनी में निकलै उ छु ‘ बास रे कफुवा’,  य पत्रिका हस्त लिखित साइक्लोइस्टाइल पत्रिका छी । सन् 1977 बटी य अल्माड़ ( अल्मोड़ा ) बटी निकलै । कुमाउनी में छपणी य पैंल हस्त लिखित साइक्लोइस्टाईल पत्रिका छु ।              आओ जाणनू खाश जानकारी  बास रे कफुवा  पत्रिकाक बार में ...        य छु पत्रिकाक मुखपृष्ठ                                     ...