कुमाउनी जनगीत : उत्तराखंड मेरी मातृभूमि , मातृभूमी मेरी पितृभूमि

उत्तराखंड मेरी मातृभूमि 
      ओ भूमी !  तेरी जय-जय कारा म्यार हिमाला । 

कुमाउनी जनगीत , गिर्दा   
  कुमाउनी जनमानस में य गीत भौत फेमस छु । उत्तराखंड़क कई इस्कूलों में य प्रार्थना सभा में गाई जां। कुमाउनी प्राथमिक पाठ्यक्रम में लै य गीत कैं शामिल करि रौ । 
गीत य प्रकार छु - 

कुमाउनी जनगीत , गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’


   य गीतक लेखक प्रसिद्ध कुमाउनी कवि, नाटककार, जनांदोलनकारी, गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ छन । उनर जनम ०९ सितंबर १९४५ हुं ज्योली, हवलबाग (अल्मोड़ा) में भौछ । २२ अगस्त २०१० हूं ऊं गुजर गई । य गीतक अलावा उनूल 
• ततुक नी लगा उदेख घुनन मुनइ नी टेक ओ जैंता एक दिन तो           आलो ,  • आज हिमाल तुमन कैं धत्यूं छौ ,  • हम ओड़ बारूड़ि  ल्वार कुल्ली कभाड़ि  समेत कई गीत लेखि रीं जो हमर समाज में भौत फेमस छन । 

गिरीश तिवारी गिर्दा

kumauni sanskriti Language



यूट्यूब में य गीत UT Diaries चैनल में मौजूद छु जैक लिंक य प्रकार छु- 
                   https://youtu.be/1n9FtYKKfhc




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