ओ परूवा बौज्यू चप्पल क्ये ल्याछा यस : मशहूर कुमाउनी लोकगीत


ओ परूवा बौज्यू चप्पल क्ये ल्याछा यस । 
फटफटा नी हुनी चप्पल के ल्याछा यस ।।
कुमाउनी लोकगीत  Kumauni Folksong    य कुमाउनी लोकगीत हमर कुमाउनी समाज में भौत सुपरहिट रौ । गौं-घरोंपन , ब्या-बरात,  म्याल कौतुक यां तक कि सांस्कृतिक कार्यक्रमोंक आयोजनों में लै य लोकगीत भौत फेमस रौछ। आ्ब जमा्न थोड़ी बदलि गो । हर चीज में बिकास वा्ल बदलाव ऐगो कुमाउनी गीतों में लै लय, ताल दगै नई-नई किस्माक बदलाव लोकगायक करनई पर जो लोकगीत लम्ब टैम तक लोकमानसक दिल में पैठ बणै ल्हीनी उनर महत्व आपणि जाग धैं न्यारी हैं । 



   य कुमाउनी लोकगीत में थोड़ी हास्य लै झलकें। स्यैणि- मैंसक संवाद रूप में लोकगीत य प्रकार छु -



   आ्ब बात ऐछ कि लोकगीत कैल लेखो तो यैक लेखक क्वे और ना बल्कि मशहूर कुमाउनी कवि शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ छी। ‘अनपढ़’ ज्यूक छ्वट परिचय - 

      
kumauni language

टिप्पणियाँ

Prakash Singh ने कहा…
बहुत सुंदर लगा भाई

लोकप्रिय पोस्ट

कुमाउनी जनगीत : उत्तराखंड मेरी मातृभूमि , मातृभूमी मेरी पितृभूमि

अमेरिका में भी उत्तराखंड की ‘ऐपण कला’ बनाती हैं डॉ. चन्दा पन्त त्रिवेदी

बिहार की विश्वप्रसिद्ध ‘मधुबनी’ पेंटिंग के साथ उत्तराखंड की ‘ऐपण’ कला को नया आयाम दे रही हैं जया डौर्बी

कुमाउनी शगुनआँखर गीत

कुमाउनी भाषा में इस वर्ष की आठ लेखन पुरस्कार योजनाएं

कुमाउनी भाषा में लेखी किताब और उना्र लेखक

खसकुरा (पुरानी पहाड़ी) शब्दकोश : 'यूनेस्को' से सहायता प्राप्त कुमाउनी शब्दकोश

सुमित्रानंदन पंत ज्यूकि 1938 में छपी कुमाउनी कबिता ‘बुरूंश’

दूर गौं में रूणी हेमा जोशी कि ऐपण कला

‘मीनाकृति: द ऐपण प्रोजेक्ट’ द्वारा ऐपण कला कैं नईं पछयाण दिणै मीनाक्षी खाती