‘बास रे कफुवा’ : कुमाउनी भाषाक पैंल हस्तलिखित साइक्लोइस्टाइल पत्रिका
कुमाउनीक साहित्य में भाषा प्रेमी व भाषा बिद्वानोंल भल काम करि रौ । कुमाउनी में पत्र -पत्रिका छपणक शुरूवात बर्ष 1938 में प्रकाशित ‘अचल’ मासिक पत्रिका बटी मानी जैं। यैक संपादक जीवन चंद्र जोशी छी, पत्रिका आर्थिक तंगीक चलते करीब २ साल बाद बंद है पड़ी । यैक बाद जो पत्रिका कुमाउनी में निकलै उ छु ‘बास रे कफुवा’, य पत्रिका हस्त लिखित साइक्लोइस्टाइल पत्रिका छी । सन् 1977 बटी य अल्माड़ ( अल्मोड़ा ) बटी निकलै । कुमाउनी में छपणी य पैंल हस्त लिखित साइक्लोइस्टाईल पत्रिका छु ।
आओ जाणनू खाश जानकारी बास रे कफुवा पत्रिकाक बार में ...
य छु पत्रिकाक मुखपृष्ठ
28 पेजोंकि य पत्रिका छु
• यैक संपादक छी - सुधीर शाह
• संयोजक - राजेन्द्र बोरा ( त्रिभुवन गिरी महाराज)
• सह संयोजक - हयात सिंह रावत ( पहरू पत्रिका संपादक)
• कला ( डिजाइन बणूणी ) - अशोक बिष्ट
संपादक सुधीर शाह द्वारा द्वी आँखर
पत्रिका में सिर्फ कविता छपी छन । २७ रचनाकारोंकि कविता शामिल छन । कवियोंकि सूची य प्रकार छु -
पत्रिकाक पैंल कविता -
पत्रिका में नान लेख
पत्रिका में शामिल कुछ कविताएं -
पत्रिका में बणाई चित्र -
1977-1978 तक द्वी सालोंक भितेर यसिकै हस्तलिखित साइक्लइस्टाइल में
१. बास रे कफुवा
२. धार में दिन
३. रत्तै- ब्याल
कुल तीन अंक छपी ।
स्रोत - पहरू कुमाउनी पत्रिका कार्यालय अल्मोड़ा
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टिप्पणियाँ
कुमाऊनी मजी एतुप पुरान् उपाय।।