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कुमाउनी यात्रा वृतांत: श्री जगन्नाथ पुरी धाम

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                                 -पान सिंह राणा  कठघरिया, हल्द्वानी मो.-9917601471 हिंदू सनातन धर्म मानणी लोगों में चार धाम यात्राक भौत ठुल महत्व छु। श्री जगन्नाथ पुरी दुसर धाम मानी जांछ। वर्ष 2016 क दिसम्बर महैण वां जाणक मौक मिलौ। म्यर नाति आदित्य क दोस्त दीपक क ब्या 4 दिसम्बर 2016 हुं भुवनेश्वर ;ओड़ीसाद्ध में हुण निश्चित भौछ। वील आदित्य कैं सपरिवार वां ब्या में शामिल हुणक न्यूत देछ। गुरू ग्राम (गुड़गांव) आपुण घर बटिक मेरि चेलि रेखा, जवांई नंदन, नाति आदित्य और सोनू, प्राची,  आदित्यकि घरवाइ और मैं कुल छै जाणी भुवनेश्वर जाणक लिजी रवाना भयां। 2 दिसम्बर 2016 क रात्ती हम इंदिरा गांधी एयर पोर्ट दिल्ली पुजां। सामान चैक करै बेर लगेज जा्म कराछ। 10ः30 बाजी विमान भितर प्रवेश करछ। ठीक 11 बाजी विमानल दिल्ली बटि उड़ान भरिछ। दिन में 1 बाजी विमान भुवनेश्वर पुजछ। एयर पोर्ट में आपण सामान वापिस ल्हिणक बाद हम एयर पोर्ट बटि भ्यार आयां। हमूकें एयर पोर्ट बटिक गैस्ट हाउस तक पुजूणाक लिजी दीपक ल एक नानि गाड़ि भेजि राखैछि।...

कुमाउनी और हिंदी भाषा कैं डाॅ.केशवदत्त रुवाली ज्यूक योगदान

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  -डॉ. देव सिंह पोखरिया  से.नि. आचार्यः हिंदी,  ‘शिवाय भवन’ खत्याड़ी, अल्मोड़ा  मो-9412976889  उत्तराखंडक प्रसिद्ध भाषाविद रुवाली ज्यूक कुमाउनी और हिंदी भाषा कैं भौत ठुल योगदान छू। उनूल कुमाउनी भाषा और कुमाउनी भाषा विज्ञान में भौत स्तरीय और महत्वपूर्ण किताबनक प्रणयन करौ। उनार पचास-साठ है जादे कुमाउनी भाषा और हिंदीक उच्च स्तरीय शोध निबंध आज लै भाषाक क्षेत्र में मील स्तंभ छन। उनार किताबनकि संख्या लै पचास है जादे छु। हिंदी भाषा और ब्याकरण पर लै उनूल महत्वपूर्ण पुस्तकोंकि रचना करी। रुवाली ज्यू विश्व प्रसिद्ध भाषा  विज्ञानी डाॅ. हेम चंद्र जोशी ज्यूक संपर्क में रई। ऊं डाॅ. हेम चंद्र जोशी जी कैं भाषा संबंधी अध्ययना लिजी आपण प्रेरणास्रोत माननी। विभिन्न महाविद्यालयों में प्रवक्ता पद पर काम करते हुए उनूल कुमाऊँ विश्वविद्यालयक अल्मोड़ा परिसर बै आचार्य और अध्यक्ष पद बटी अवकाश प्राप्त करौ। ऊं अल्मोड़ा परिसर निदेशक लै रईं। भाषाक क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान देते हुए रुवाली ज्यू 13 सितंबर, 2018 हुं दिवंगत भई।  रुवाली ज्यूक सबन है ठुल काम उनर द्वारा प्रणीत ‘कुमाउनी ह...

कुमाउनी संस्मरण : कां बटी कां पुज्यूं

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गौरीदत्त ओझा पीलीकोठी, हल्द्वानी मो.-9756082461   मेरो जनम पिथौरागढ़ जिला कि तहसील डीडीहाट में स्थित एक गौं कफलौली (ओझा मल्ला) में बौज्यू श्री बालादत्त और इज श्रीमती नंदा देवी घर में 9 अक्टूबर 1934 में भ्यो छियो। बौज्यू लोग सात भाई छिया। म्यार बौज्यू का परिवार में हम छै भाई और एक बैनि छी। हमारा बौज्यू ले नियमित पढ़ाई दर्जा चार तक करीयकि भै। लेकिन उनले घर में संस्कृत, हिंदी तथा अंग्रेजी की पढ़ाई ले स्वाध्याय करि बेर आपुनी योग्यता बढ़ा बेर प्रथम विश्वयु( में असैनिक कलर्क बनि बेर रक्षा मंत्रालय में सेवा आरंभ करीछ। उन वारंट आफीसर बना बेर विदेश सेवा में भेजी गया। ईरान, ईराक और मध्य एशिया का अन्य देशन में उनले आपुनी सेवा दीछ। द्वितीय विश्व युद्ध तक उनले बरमा में अपनी सेवा दीछ। घर आई बाद एक नयो मकान सिंगाली में बनाछ और दीदी को कन्यादान ले सम्पन्न कराछ। खेती-पाती हालत ले के खास नी भै। वी बखत सरकारी डाकघर अस्कोट में छियो, उनरा प्र्रयास ले 1945 में सिंगाली में शाखा डाकघर खुलो और ऊं पैंला ब्रांच पोस्ट मास्टर बनी। मैंले 1946 में सिंगाली प्राइमरी स्कूल बै दर्जा चार पास करि बेर मिडिल स्कूल गर्खा में...

कुमाउनी लेख : कुमाउनी लोक साहित्य में ऋतुगीत

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डॉ. रमेश पांडे ‘राजन’ अपर गली, जाखनदेवी, अल्मोड़ा मो.-9412044015  कुमाऊँ शब्द अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत, नैनीताल   और ऊधमसिंहनगर- यो छै जिल्लोंक लिजी प्रयोग करी जां्छ। कुमाऊँ क एक नाम कूर्मांचल लै छ। यो किसमाक अनेक अंचल/खंड हमार देश में छन। कुछ भौगोलिक परिस्थिति वश, कुछ सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भिन्न रीति-रिवाजों कारण यो अलग-अलग अंचलन में, क्षेत्रन में एक विशेष किसमक आंचलिक/क्षेत्रीय साहित्य निर्मित हुंछ, जै हुं ‘लोक साहित्य’ कई जांछ। अलग- अलग क्षेत्रोंक लोक साहित्यक पूर्व में उ स्थान क नाम जोड़ि बेर अंतर स्पष्ट है जांछ। जस अवधी लोक साहित्य, ब्रज लोक साहित्य, बुंदेलखंडी लोक साहित्य, गढ़वाली लोक साहित्य, कुमाउनी लोक साहित्य आदि। मूल रूप में यो सबै साहित्य एक्कै भै, लेकिन भिन्न-भिन्न रीति- रिवाज, परंपरा, खान-पान, रहन-सहन, भौगोलिक सीमा, यो सब कारणनल लोक साहित्य में आपणि-आपणि अंचलकि झलक मिलेंछ। फोटो:  शोसल मीडिया बै साभार  लोक साहित्य क क्षेत्र में लोक गीतन कैं सबै जा्ग प्रमुखता दिई जैं। उसिक लोक का्थ, लोक  गाथा, कहावत, मुहावरे, नृत्य गीत, संस्कार गीत सब...

कुमाउनी उपन्यास अंश : कौशल्या

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         प्रस्तुति- ललित तुलेरा  उपन्यासकार -  गिरीश चंद्र बिष्ट ‘ हँसमुख’  रोहिणी, दिल्ली मो.-9818273327 (1) . चैमासा्क दिन। बादवोंक घड़घड़ाट। खेतों और बा्ड़-ख्वाड़ां में भूड़भाड़, स्याप-किड़ां डर अलग। राताक नौ बाजि रई, पिरमू आइ लै घर नि ऐ रय। स्याव-फ्यून बासणई, कुकुर हुकणई, पिरमूवकि स्यैणि आलु-मुव क थेचू में लूण-मर्च डाइ बेर ढटवाणि जस बणै बेर अपण कुड़िक चाखा्क कुण में एक लम्फू जगै बेर भैरै, अपण ननाक बाज्यूक इंतजार में। पिरमू दिनाक बार बाजी बटि घट मडू पिसू हैं जैरौ। पिरमुवा क तीन ना्न ;एक चेहड़ि जो दस-इग्यार वर्षकि छ और द्वि चोहाड़, जो चेहड़ि है ज्या्ठ छीद्ध चाखक एक भिड़ में आड़ लि बेर लमतम है रई। अचानक यसि अवाज है भड़- भड़ भड़ भड़.... यस लागौ जसै क्वे बाड़- ख्वाड़ांक भिड़ उधर गो हुनल। पिरमुवकि स्यैणि भगाल भ्यार तेदरि क द्वार खोलि बेर देखौ तो वीकें अन्यारपट रात में के अंदाज नि आ्य। बर्ख बंद है गेछी, जोर-जोर कि हा्व चल रछी। पिरमुवाक कुड़िक काख बटि पिरमुवक ठुल दा्द लै अपण कुड़ि भितेर पसरी हा्य। भागुलिल देखौ कि वीकि जिठाण भ्यार झाड़ि फिरणाक लिजी अपण खव में ऐ रै और वीक ज्...

कुमाउनी ब्यंग : घरवाइ भाजि गे

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प्रस्तुति- ललित तुलेरा  महेन्द्र ठकुराठी  ग्रा. बड़ालू (धपौट) जिला- पिथौरागढ़ ( उत्तराखंड)  मो.-9411126781      एक ठुल्लौ पीपला रूखक जड़पन बणी चबूतर में भैटी पाल गोंक खिलानंद जोर-जोरलि डाड़ मारनौछी। मैं झटपट वीक सामणि पुजी, वीक फरकी थोव और बानर कि चारि निपोड़ी गिजन कें देखि बेर त म्यर मन छकि बेर हँसण हुं करनौछी, लेकिन एक डाड़ मारण रई गरीब मैंसक अघिल हँसण क मतलब छी कि मैंल मजबूर लोगनकि खिल्ली उड़ूनकि डिगरी हासिल करि राखी। पच्चीस वर्षकि उमर में पुजी ढांट जस हट्ट- कट्ट ज्वान लौंड कें डड़यून देखि बेर मैं कें के कूणै नैं आ्य। लेकिन जसी-तसी मैंल हिकमत जुटै बेर सोचण शुरू करौ कि के करी जावो। यो लै एक संजोगै छी कि मैंल आपण गावूनि अंगोछ लपेटि राखछी। म्यर मन भितेर लुकियां भल मनखील आवाज दे कि यो अंगोछ क सदुपयोग करि ल्हिण चैंछ। झटपट उकें निकाइ बेर मैंल खिलानंद क आँसु पोछी, फिरि सौदौ- ‘‘के भौ रे खिल्लू? डाड़ किलै मारनौछै?’’ ‘‘अरे! जे हुण छी उ त है गय। आ्ब के करी जै सकींछ?’’ वील हिकुरि ल्हिण-ल्हिणै जबाब दे। वील जब आपण बकबकाण मुख मेरि तरफ रिटाय त मैं यसी झसकि पड़ी कि म्यर मन लै डाड़ ...