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कोविड-19 कि चैन टोड़ो और फैलण है रोको- कुमाउनी में जागरूकता

कोविड-19 कि चैन टोड़ो और फैलण है रोको (उत्तराखंडकि जनताक लिजी कोरोना वायरस पर सूचना पुस्तिका) स्पष्टीकरण - य पुस्तिका में दिई जानकारी कैं चिकित्सा सलाह, निदान या इलाजक बिकल्पक रूप में ध्यान में धरि बेर नि दिई जै रय। पुस्तिका में शामिल लेख, ग्राफिक्स, चित्र और सूचना समेत सभी सामग्री सिरफ सामान्य सूचनाक मकसदक लिजी छु। य सूचना मार्गदर्शिका आईसीएमआर, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिई दिशानिर्देशोंक आधार पर छु। रोकणाक उपाय-  आपण हातों कैं बार-बार धोओ।   साबुण और पाणिक इस्तमाल करो, या कम है कम 60 फीसदी अल्कोहौल वा्ल हैंड सैनिटाइजरक          परयोग करो।  आंख, नाख या मुख कैं छुङण पर आपण हातों कैं जरूड़ धोया।  खासण या छीङण बखत आपण नाख और मुख कैं रुमावल या कुहनी मोड़ि बेर ढकि लिया।  इस्तमाल करी रुमाव कैं झट धोया और आपण हातों कैं धोया/सैनिटाइज करिया।  खुली और सार्वजनिक ठौर पर झन थुकिया।  संक्रमणक खत्र कैं कम करणक लिजी आपण और परायों बीच 6 फिटकि दूरी बणाई धरिया।  बंद जागों पर आपण और दुसरोंक बीच और लै जाधे दूरी ...

कुर्मांचल अखबार : कुमाउनीक पैंल साप्ताहिक अखबारक दस सालक सफर

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             25 जुलाई कुमाउनी भाषाक लिजी एक ऐतिहासिक दिन छु। किलैकी आज है दस साल पैंली 25 जुलाई 2011 हुं कुमाउनीक पैंल हफ्तवार अखबार 'कुर्मांचल अखबार' अल्माड़ बै छपौ। अखबारल 05 जुलाई 2021 हुणि आपण 10 सालक सफर पुर करि है। कुमाउनी पत्रकारिता इतिहास में य एक ठुल उपलब्धि में गणी जाण चैं कि कुमाउनी में दस सालों तलक हर हफ्त छपणी य पैंल और एकमात्र अखबार छु। यैक संपादक -डॉ. चंद्र प्रकाश फुलोरिया छन। कुमाउनी में आज तलक छपणी पत्र-पत्रिकाओंकि संख्या 10 है जादा छु, जनूमें मासिक ,फोल्डर पत्रिका, हस्तलिखित साइक्लोस्टाइल पत्रिका, ई- पत्रिका छन। कुमाउनी पत्रकारिता इतिहास में यैक अलावा ऐल तलक द्वी पत्रिका छन जनूल आपण 10 सालोंक सफर पुर करि रौ- 'दुदबोलि' ( तिमाइ / बाद में सलाना) व 'पहरू' (मासिक पत्रिका)।           हर हफ्त अखबार निकालण क्वे बौं हातक खेल तो न्हें, फिर य काम और लै कठिन है जांछ जब य आजक शोसल मीडिया जमा्न में  निकाली जाओ। डबलोंक, पाठकोंक भेजणकि ब्यवस्ता करण भौत कठिन करम छु। य कुमाउनी समाजाक उ लोगनक लिजी लै जबाब छु जो कुमाउन...

हमर घटक सुधारक काम करी गो बरसों बाद

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इ लाके भर के कई गांवों के घटवार अनाज ( गेहूं, मडुवा आदि) पिसने के लिए मुंह अंधेरे ही 8-10 किलोमीटर पहाड़ी रास्ता नापकर घट (घराट/पनचक्की) पहुंच जाते। महीनों के कोटे के लिए अनाज इतना ज्यादा लाते कि दिन भर में घट पीस ही न सके। घटवारों को रात भी घट के अंदर ही काटनी पड़ती। कुछ सब्जी, मसाले व बर्तन मांगने हमारे घर आ जाया करते। रोटी घट के पिसे आटे से बनाते थे। रातभर भी घट अनाज पीसता रहता। घटवारों की दूसरे-तिसरे दिन घर वापसी होती थी। पिसाई के बदले घराट के स्वामी के लिए थोड़ा सा आटा (भाग)  रख जाते।           हमारी पांचवी पीढ़ी भी इसी घट (पनचक्की) का आटा खा रही है। बूबू के बूबू के जमाने से हमारा यह घट उपयोग में आ रहा है। घराट को उपयोग लायक बनाए रखना बहुत मेहनत का कार्य है।  यद्यपि घट में सुधार का काम महीने दर महीने होते रहता पर घट के जीर्णोद्धार किए करीब 15 वर्ष बीत चुके थे। सोचता था की इलाके भर की अन्य घटों की तरह इसके भी खंडहर ही शेष न बचे रह जाए। कुछ ही वर्षों पूर्व गांव में सड़क बनते वक्त मलवे से घट की बान (नदी से घट तक पानी लाने वाली नहर) म...

जीवनी : कुमाउनी की पहली पत्रिका 'अचल' के संपादक जीवन चंद्र जोशी

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- नवीन जोशी गोमती नगर, लखनऊ मो.- 9793702888 ( 'अचल' पत्रिका मुखड़ )        खु शी बात छ कि आज हमरि कुमाउनी भाषा (बोलि कूणक चलन छ मगर भाषा कूण में के हर्ज छ) में लेखणी जणीनकि कमी न्हातैं। पुराणि और नई पीढ़ीक रचनाकार कुमाउनी में हर बिधा में खूब लेखणईं। हर महैण नियमित पत्रिका ले निकलण लागि रईं। उनार लिजी कुमाउनी में कविता, का्थ, लेख, संस्मरण, ब्यंग, यात्रा-बृतांत, नाटक, बगैरा सामग्रीकि के कमी न्हांती। कुमाउनी में औनलाइन पत्रिका, ब्लौग और बेबसाइट ले छन। हमार नामी-गिरामी लेखक जो पैंली सिरफ हिंदी में लेखछी, आब खुशी-खुशी कुमाउनी में ले लेखण भै गई। उसी त कुमाउनी में बलाणी दिन पर दिन कम हैते जाणईं। पहाड़ाक गौन में ले नई जमानाक स्यैणी-मैंस-नानतिन सबै देसि ;हिंदीद्ध हाकनी। तबै ‘यूनेस्को’ कि एक रिपोर्ट बतूंछि कि हमरि भाषा खत्र में पड़ि रै। यस्सै हाल रया त एक दिन यैक लोप लै है सकों। खैर, फिलहाल संतोषै बात छ कि दसेक सालन बटी आपणि भाषा में लेखण-छपण- प्रसारण- पौडकास्टिङ खूब हुण लागि रौ। कुमाउनी भाषा में प्रकाशित हुणी वालि पैंल पत्रिका छी- ‘ अचल ’, जो 193...

कुमाउनी लेख : को जाणल पीड़ कुमाउनीक ? -ललित तुलेरा

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- ललित तुलेरा लाहुर घाटी, बागेश्ववर मो.-7055574602   कि हमुकैं कुमाउनी कैं ल्हिबेर फिकरकि जिगर करण चैं? कि जो कुमाउनी 25 लाख है सकर मनखियोंकि मातृभाषा छु उ खत्र में छु? जो कुमाउनी में 500 है सकर लेखवार कलम चलूनई वीक भविष्य कस छु? कि जो कुमाउनीक आपुण 35 सालक फिलमी करियर छु जमें  35 है सकर नान-ठुल पर्दकि फिलम बणि गेई उ को हालित में छु ? जो कुमाउनी में पिछाड़ि 200 सालन बै साहित्यकि गङ बगि रै उ साहित्यकि कि कदर छु? जो कुमाउनी में पत्र-पत्रिकाओंकि लंबी गणती छु उ कदुक मधतगार छन कुमाउनीक बिकास में? कुमाउनी कैं बचूण और बिकासकि कसि नौमत छु ? कि जो शोध हई छु व हुनौ और पाठ्यकरम बणनई उ कदुक कारगर साबित ह्वाल ? कुमाउनी आदिम आपणि कुमाउनी कैं कदुक लाड़ करूं ? कुमाउनी लोक साहित्यकि परंपरा कसि चलि रै ? या्स किसमाक कएक सवाल बाजि बखत मुनव में उपजनी। पर इनर जबाब बखतै बतै सकल।  आजक जमान में हमरि नई पीढ़ी आपणि जड़ौं बै टाड़ (दूर) हुनै जाणै या करी जानै य आज एक ठुल सवाल छु। भलेई हमर समाज कुणौ कि हमरि नई पीढ़ी आपणि जड़ौं बै दूर भाजणै, उकैं आपणि भाषा संस्कृति, समाज दगाड़ के मतलब न्हां पर हमुकैं य लै नि...

कुमाउनी में फिलमकि शुरवात करणी जीवन सिंह बिष्ट ज्यू

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        - ललित तुलेरा (फोटो: जीवन सिंह बिष्ट ) कु माउनी में फिल्मकि जिगर जीवन सिंह बिष्ट ज्यू बै शुरू हैंछ। कुमाउनी भाषाकि पैंल फिलम छी ‘ मेघा आ ’। कुमाउनी भाषा में पैंल फिलम जीवन सिंह बिष्ट ज्यूल बणै बेर कुमाउनी में फिलमकि शुरवात करै। जीवन सिंह बिष्ट क जनम 30 मई 1950 ई. हुं अल्मोड़ा जिल्लक सालम पट्टीक ‘ल्वाली’ गौं में भौ। उनर बौज्यूक नौं नैन सिंह बिष्ट और इजाक नौं बचुली देवी छी। बिष्ट ज्यूल सर्वोदय इंटर कौलेज जैंती, अल्मोड़ा बटी हाई स्कूल और अल्मोड़ा बटी इंटर पास करौ, सन 1971 ई. में बी.ए. करौ। यै बाद उनरि नौकरी स्टेट बैंक में लागि गेछी। कानपुर, बग्वालीपोखर, डीडीहाट, शीतलाखेत, अल्माड़ समेत कयेक जागों में उनूंल करीब पनर-सोल साल बैंककि नौकरी करी। नानछना बै उनर मोह रचनात्मक कामों में लागछी, इस्कूली दिनों में ऊं सांस्कृतिक कार्यकरमों और नाटकों में भाग ल्हिई करछी। पढ़न-ल्यखनक शौक उनूकैं भौत छी। उनूंल पढ़ौ कि मध्यप्रदेषकि जनजातीय बोलि ‘तुलू’ में फीचर फिलम बणि गेछ जबकी वीक बुलाणी सिरफ डेड़ हजारै लोग छन। गढ़वालि में लै द्वि-तीनेक फिलम बणि गेई। तब उनर हिय में...

कुमाउनी भाषा में लेखन पुरस्कार योजना 2021

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                         कु माउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी, अल्मोड़ा व ‘पहरू’ कुमाउनी महैनवार पत्रिका द्वारा साल 2010 बटी कुमाउनी भाषा में कुमाउनी साहित्य और भाषा बिकासै लिजी साहित्यकि तमाम बिधाओं में लेखन पुरस्कार योजना चलाई जानई। य लेखन योजनाओंल कुमाउनी में साहित्यकि नई गङ बगै। जां एक तरफ कुमाउनी साहित्य में नई नई बिधाओं में कुमाउनी साहित्य लेखी जै सकौ। तो वांई कुमाउनी में लेखण-पढ़नक लै रिवाज बढ़ौ, नई लेखवार लै सामणि आई और कुमाउनी में उरातार साहित्यक बिकास हुनै गो। कुमाउनी में गद्य और पद्य में आज जाधेतर साहित्य य लेखन योजनाओंकि लै उपज छु। य लेखन योजनाओंक बदौलतक कुमाउनीक कयेक लेखवारोंल साहित्यक नई बिधाओं में कलम उठा।        य साल (2021ई.) में लै हौर सालोंक चारि कुमाउनी में समिति व ‘पहरू’ पत्रिका द्वारा 10 लेखन योजना चलाई जानई। जाणो कि-कि छन या पुरस्कार योजना- 01. अरूण कुमार भट्ट स्मृति संस्मरण लेखन पुरस्कार योजना ‘कलावती साहित्य पुरस्कार ट्रस्ट’ अल्मोड़ा द्...