कुमाउनी में फिलमकि शुरवात करणी जीवन सिंह बिष्ट ज्यू
- ललित तुलेरा
कुमाउनी में फिल्मकि जिगर जीवन सिंह बिष्ट ज्यू बै शुरू हैंछ। कुमाउनी भाषाकि पैंल फिलम छी ‘मेघा आ’। कुमाउनी भाषा में पैंल फिलम जीवन सिंह बिष्ट ज्यूल बणै बेर कुमाउनी में फिलमकि शुरवात करै। जीवन सिंह बिष्ट क जनम 30 मई 1950 ई. हुं अल्मोड़ा जिल्लक सालम पट्टीक ‘ल्वाली’ गौं में भौ। उनर बौज्यूक नौं नैन सिंह बिष्ट और इजाक नौं बचुली देवी छी। बिष्ट ज्यूल सर्वोदय इंटर कौलेज जैंती, अल्मोड़ा बटी हाई स्कूल और अल्मोड़ा बटी इंटर पास करौ, सन 1971 ई. में बी.ए. करौ। यै बाद उनरि नौकरी स्टेट बैंक में लागि गेछी। कानपुर, बग्वालीपोखर, डीडीहाट, शीतलाखेत, अल्माड़ समेत कयेक जागों में उनूंल करीब पनर-सोल साल बैंककि नौकरी करी। नानछना बै उनर मोह रचनात्मक कामों में लागछी, इस्कूली दिनों में ऊं सांस्कृतिक कार्यकरमों और नाटकों में भाग ल्हिई करछी।
पढ़न-ल्यखनक शौक उनूकैं भौत छी। उनूंल पढ़ौ कि मध्यप्रदेषकि जनजातीय बोलि ‘तुलू’ में फीचर फिलम बणि गेछ जबकी वीक बुलाणी सिरफ डेड़ हजारै लोग छन। गढ़वालि में लै द्वि-तीनेक फिलम बणि गेई। तब उनर हिय में उपजौ कि आपणि मातृभाषा ‘कुमाउनी’ में फिलम बणन चैनी और उनूकैं कुमाउनी में लै फिलम बणूणकि रफत चड़ि गेइ। जैक नतिज ‘मेघा आ’ ‘स्वाति सिने प्रोडक्षन’ संस्थाक द्वारा बणाई फिलम 1987 ई. में रिलीज भै। 55 झणियोंक टीम द्वारा य फिलमकि शूटिंग करीब 121 दिन में पुर भै। फिलमकि शूटिंङ कुमू में रानीखेत, चैबटिया, सौनी, चितई, जागेष्वर आदि जागों में में भै। मुकेष धस्माना हीरो और सपना अवस्थी य फिल्मकि हीरोइन छु। य फिलम बढूण में उ बखत करीब 12 लाख रूपैंक बजट लागौ। उनूल य फिलमै लिजी खुदक पा्ल बै तो डबल लगायै छन, रिष्तदारों बै लै कर्ज-पर्ज करौ। उ कर्ज कैं ऊं लंब टैम तक तारणै में रई।
‘मेघा आ’ बणूणै लिजी जब उनूकें बैंक बै भ्यार निकली तो ऊं फिर य फिलम बणूणै में लागि रई और बैंक बटी लै उनूकैं इदुक लंब छुट्टी लै नि मिल सकि, जैक वजैल उनरि बैंककि नौकरी लै छुटि पड़ै। ‘मेघा आ’ फिलम बणूणक बाद फिर ऊं फिलम लैन में जुड़ी रई। दूरदर्षन में उनूकैं इनपैनल्ड पंजीकृत प्रोड्यूसर/डायरेक्टर पद मिलौ और 2004 तक उनूंल करीब 20-21 टेलीफिलम सीरियल बणै हालछी। जनूमें ‘पर्यटन एक नया आयाम-पिथौरागढ़’,‘अल्मोड़ा एक सफर’,‘स्वप्न नगरी नैनीताल,‘अल्मोड़ा दषहरा पर ‘आस्था’, और भोटिया, थारू, बोक्सा, राजी, जौनसारी जनजातियों पर अलग-अलग वृत्तचित्र, विजय पथ, एड्स पर-कसूर किसका टेलीफिलम, साक्षरता पर-ज्योतिपर्व डाक्यूमेंटरी फिलम, आजादीक स्वर्ण जयंती वर्ष में कुली बेगार आंदोलन पर ‘इतिहास बणाते लोगग्रामीण विकास मंत्रालय बटी विकास के बढ़ते कदम-पिथौरागढ़, सड़क से खेत तक-पिथौरागढ़, ग्राम विकास योजनाएं-चंपावत, जहां चाह वहां राह-चंपावत’, ’अनोखा बंधन (26 एपीसोड), आओ मिल कर चलें अल्मोड़ा, विकास के पथ पर अल्मोड़ा, बागेष्वर के पथ पर बागेष्वर, रक्षा मंत्रालय द्वारा-डी.ए.आर.एल. पिथौरागढ़, अल्मोड़ा ताम्र उद्योग पर ‘तांबे के फूल’ आदि टेलीफिलम बणाई।
बिष्ट ज्यू कैं ‘धाद’ कुमाउनी पत्रिकाक जनवरी 2004 अंक में छपी एक इंटरब्यू (मुखभेट) में एक सवाल पुछी गोछी कि गढ़वाली भाषा में जाधे फिलम बणनक कि कारण छु? किलैकी कुमाउनीक पैंल फिलम ‘मेघा आ’ है पैंली गढ़वाली में ‘जग्वाल’ (1983 ई.) पैंल फिलम और ‘घरजवें’, ‘कबि सुख, कबि दुख’बणि ग्याछी। उनर जबाब छी- ‘‘यैक भौत कारण छन। एक तो गढ़वाली में सनीमा हौल ज्यादा छन। दुसरि मुख्य बात यो छु कि गढ़वाली लोग आपणि भाषा और और संस्कृति दगै भौत लगाव धरनी। भाषा, साहित्य और संस्कृति संबंधी कार्यकरमों में एक दुसरकि दिल खोलि बेर मधत और सहयोग करनी। लेकिन ( कुमू ) कुमाऊं में यस माहौल न्हैंतैं। कुमाउनी भाषा में बोलाणी समाज में यो भौत कमी छु। यां हर आदिम आपूं कैं भौत ठुल समझों और यो समझों कि मैं है ठुल क्वे न्हां। ठुल हुण तो भली बात छी, पर यो ठुल लोग कै कैं के मधत नि करन। आपस में मिलि-जुलि बेर के कामर करी जौ, यस माहौल यां न्हैंतन। यां तो एक दुहरकि टाङ खिंचाई वा्ल माहौल छु। लोग जुड़नक बजाय टोड़नकि कोषिष करनी। या्स उपाय करनी जसिक काम नि है सकौ और आदिम असफल है जौ। ‘मेघा आ’ फिलम बणौन तिक्यान मैंकैं लै कतुक लोगोंल मोरली डाउन करणकि कोशिश करी। खैर फिरि लै जसी-तसी ‘मेघा आ’ फिलम बणी गै।’’
बिष्ट ज्यू कूंछी कि बोलि-भाषा बिकासै लिजी फिलम लै एक बिधा छु और बोलि-भाषा बिकासै लिजी फिलमोंक बड़ भारी योगदान छु। फिलम भाषाई एकता और भाषाक परचार में भौत बड़ी काम करनी।
बिष्ट ज्यूक आंचलिक फिलम बणूण में योगदानै लिजी कयेक संस्थाओंल सम्मानित करौ। जनूमें एक दिल्ली में मिली ‘लाइफ टाइम एचीवमेंट एवार्ड’ लै छु।
आपणि मातृभाषा कुमाउनी में पैंल फिलम बणै बेर इतिहास रचणी जीवन बिष्ट ज्यू कुमाउनी में और लै फिलम बणूण चांछी पर लागत जाधे ऊणक वजैल और कयेक दिक्कतोंक कारण य काम में हात नि खिति सा्क। आपणि जिंदगीक आंखिरी बरसों में ऊं अल्माड़ शहैर में रानीधारा में रौंछी। 8 जनवरी 2016 हुं उनूल य दुनी बै सदा लिजी हिट दे।
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