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कौमेडियन पवन पहाड़ी कैं कुमाउनी भाषाक प्रचार- प्रसारै लिजी ‘युवा प्रतिभा सम्मान २०२०’ द्वारा करी गो सम्मानित

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ललित तुलेरा  अल्मोड़ा ।मोहन उप्रेती लोक संस्कृति कला एवं शोध समिति द्वारा ‘रचना दिवस महोत्सव’ ०७ फरवरी २०२१ बै शुरू करी गो जो १३ फरवरी २०२१ तक चलल।     य महोत्सवक तिसर दिन ०९ फरवरी २०२१ हुं रैमजे इंटर कॉलेज सभागार में ब्यालकार ६ बाजी बै शुरू सम्मान समारोह में नामी कुमाउनी कौमेडियन पवन पाठक ‘पवन पहाड़ी’  कैं कुमाउनी भाषा, संस्कृतिक प्रचार- प्रसारै लिजी मोहन उप्रेती लोक कला एवं संस्कृति शोध समिति तरफ बै ‘ युवा प्रतिभा सम्मान २०२० ’ द्वारा सम्मानित करि गो।  उत्तराखंडाक पिथौरागढ़ जिल्लक रौणी पवन पहाड़ी कुमाउनी भाषाक युवा कौमेडियन ( हास्य कलाकार) छन जो पिछाड़ि कई सालों बै आपण ‘कौमेडियन पवन पहाड़ी’ ( Comedian pawan pahadi) यूट्यूब चैनलल उत्तराखंडै ना बल्कन देश - बिदेशों में रौणी कुमाउनी लोगों कैं हँसाते रौनी, और कुमाउनी भाषा, संस्कृतिक लिजी समाज में भल प्रचार करनई, जैल नई पीढ़ी लै आपणि भाषा संस्कृतिक तरफ ध्यान दिणै। य सम्मान मिलण है पैंली लै उनूकैं कुमाउनी भाषा, संस्कृति प्रचारै लिजी कई सम्मान मिल गेई।      य सम्मान समारोह में भाषा, संस्कृति, संगीत...

मंजू आर साह ज्यूक ‘पिरूल आर्ट’

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  हमर पहाड़ पुरा्ण जमान बटी हुनरक मामिल में सेठ रई छु, हुनरमंदोंकि यां कभै क्वे लै क्षेत्र में कमी नि रइ। हस्तशिल्प क्षेत्र में यसै एक नाम छु मंजू आर साह । ऊं सव (चीड़) क बोटक ‘ पिरूल ’ कैं ल्हिबेर कलाकारी करनी। कलाकार तो ऊं ऐपण व मेहंदीक लै छन पर पिरूल कलाकार रूप में समाज व देश में पछयाण छु। उनर पिरूलकि कलाकारी देख बेर अचंभ हुंछ कि पिरूलल इदुक शानदार कालाकरी करी जै सकी कै? Pirool art by Manju R Sah .  पिरूल आर्ट पर काम करणै लिजी उनूकैं सम्मान लै मिल रई। पिरूल आर्ट पर उनूल कार्यशाला, आॅनलाइन ट्रेनिंग लै दिई छन। पिरूल आर्ट दगडै़ ऊं ऐपण कला इस्कूली नानू व पहाड़ाक स्यैणियों कैं सिखूनी, दगड़ै पिरूल आर्ट कैं रूजगारक रूप में लै बदलनई।  उनर जनम 09 अगस्त 1984 हुं बागेश्वर जिल्लक असों (कपकोट) गौं में भौ। नानछना बै उनर मन कला और रचनात्मक कामों में लागछी। पिरूल आर्ट बणूणकि सीप उनूल आपणि कैंजै चेलि बटी सिखौ। आपण कलाक श्रेय ऊं आपण परवार, रिश्तदार और गुरूओं कैं दिनी। करीब आठ-दस सालों बटी ऊं कलाक क्षेत्र में छा्व छन। ‘पिरूल आर्ट’ में पछयाण दिलूनक श्रेय ऊं हल्द्वाणि निवासी शिक्षक गौरीशंक...

उत्तराखंडकि झांकी कैं मिलौ तिसर पुरस्कार

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         २६ जनवरी २०२१ हुं ७२ ऊं गणतंत्र दिवसक मौक पर राजधानी दिल्ली क राजपथ में हुणी परेड में य साल उत्तराखंडकि झांकी कैं तिसर पुरस्कार मिलौ। परेड में अलीबेर ३२ झांकी शामिल छी। १७ झांकी राज्य और केन्द्रशासित प्रदेशोंक छी, जनूमें उत्तराखंडकि झांकी कैं तिसर पुरस्कार मिलौ। पैंल पुरस्कार उत्तर प्रदेश व दुसर पुरस्कार त्रिपुरा  झांकी कैं मिलौ। उत्तराखंडकि झांकी में राज्य पशु कस्तूरी मृग, राज्य पक्षी मोनाल, प्रसिद्ध केदारनाथ धाम, आदिगुरू शंकराचार्य, कलाकार, संत, जोगि खाश छी दगड़ै झांकी दगै आठ कलाकार उत्तराखंडकि बेशभूषा में नाच करण राछी। केदारनाथ मंदिर और वीक आसपासक पुर इलाक २०१३ में आई बिनाशकारी आपदाल बिखरि गोछी जकैं पछां नए टुक बै तैय्यार करी गोछी।             उत्तराखंडकि झांकी में हल्द्वाणिक ‘आंचल कला केन्द्र’क ११ कलाकार शामिल छी जनूमें ४ छात्र एम.बी.पी.जी. कॉलेज हल्द्ववाणिक छी। बुधबारक दिन देर रात केन्द्रीय युवा मामले और खेल मंत्री किरण रिजिजू ल उत्तराखंडाक कलाकारों कैं सम्मानित करौ। य जाणण लैक छु कि परेड में शामिल झांकियोंक ...

‘कौ सुआ का्थ कौ’ कुमाउनी गद्य साहित्यकि ठुलि उपलब्धि

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    ••• समीक्षक-  ललित तुलेरा   उप संपादक- ‘ पहरू ’ कुमाउनी मासिक पत्रिका  मो.- 7055574602     कुमाउनीक नामी - गिरामी साहित्यकार मथुरादत्त मठपाल ज्यूक मिहनत व लगनल ‘‘ कौ सुआ, का्थ कौ ’’ किताब हमर हाथों में छु। जमें कुमाउनी भाषाक सन् 1938 बटी 2018 तक अस्सी साल में लेखी 100 कहानीकारोंक 100 कहानि एकबटयाई छन। कुमाउनी साहित्य में य पोथि बिशेष अहमियत धरणा दगड़ै कुमाउनीक ताकत लै बढूनै। कुमाउनी साहित्य संसार में ‘कौ सुआ, का्थ कौ’ जस ठुल संकलन कुमाउनी कैं देशाक हौर भाषाओं सामणि ठड़यूणक ठुल सबूत लै साबित हुणौ और उ सोच कैं मा्ट में मिलूणै जनर नजरों में कुमाउनी ह्याव है गेछी या के लै न्हैंती। बर्ष 2020 में छपी पैंल संस्करण में य ग्रंथ हिंदीक नामी कथाकार शैलेश मटियानी कैं समर्पित कर रौ। ग्रंथकि भूमिका लोक साहित्याक विद्वान डाॅ. प्रयाग जोशी द्वारा आपण अंदाज में लेखि  रै। ग्रंथक कबर फोटो युवा चित्रकार भास्कर भौर्याल द्वारा बणाई छु। कहानी शुरू करण है पैंली कहानीकारोंक कम शब्दों में परिचय लै दी रौ। ग्रंथ में शामिल 100 कहानियों में करीब 22 कहानि ‘अचल’ (कुमाउ...

दिल्ली में पैंल बार राष्ट्रीय स्तरक गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी कवि सम्मेलन

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दिल्ली सरकार द्वारा बणाई ‘गढ़वाली, कुमाउनी एवं जौनसारी अकादमी’ द्वारा ७१ ऊं गणतंत्र दिवसक यादगारी में २० दिसंबर २०२१ हुं पैंल बार राष्ट्रीय कवि सम्मेलन उर्याई गो। य सम्मेलन नई दिल्ली में विष्णु दिगंबर मार्ग में मौजूद हिंदी भवन में ठैराई गोछी जो ब्याकार ४ बाज़ी बै शुरू भौ। सम्मेलनकि शुरवात वृंदगान गीत गै बेर और अकादमी अध्यक्ष व दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, अकादमी उपाध्यक्ष एम.एस. रावल, अकादमी सचिव डॉ. जीतराम भट्ट व कवियोंल दी जगै बेर करौ।  सम्मेलन में यों कवि रई शामिल -  सम्मेलन में गढ़वाली, कुमाउनी व जौनसारी भाषाक कवियोंल कविता पाठ करौ। गढ़वाली भाषाक कवि मदन डुकलान, दिनेश ध्यानी, पृथ्वी सिंह केदारखंडी, कुमाउनी भाषाक कवि पूरन चंद्र कांडपाल, दमयन्ती शर्मा, रमेश हितैषी व जौनसारी भाषाक कवि खजानदत्त जोशी ल कविता पाठ करौ। देशभक्ति व देशप्रेम संबंधी कविता सुणि बेर सुणनेर भौत खुशि भई। कोरोना बै जुड़ी नियमोंक लै पालन करी गो ।     राष्ट्रीय स्तरक य कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि दिल्ली सरकार में उप मुख्यमंत्री व अकादमी अध्मयक्ष मनीष सिसोदिया, व अध्यक्षता गढ़...

‘बिरत्वाइ’ : प्रयोगधर्मी कलमल लेखी नाटककि किताब

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        समीक्षक-  ललित तुलेरा  (बागेष्वर) कु माउनी नाटक संसार में ‘बिरत्वाइ’ शुरवाती किताबन में एक छु। य किताब रंगकर्मी, पत्रकार व कुमाउनी लेखवार नवीन बिष्ट ज्यूल लेखि रै, जो साल 2017 ई. में छपै। किताबकि भूमिका में कुमाउनी साहित्यकार श्याम सिंह कुटौला ल कलम चलै रै व कबर दिगविजय सिंह बिष्ट ल बणै रौ। अस्सी पेजकि य किताब में चार नाटक शामिल छन। उत्तराखंड कुमाऊँ में प्रचलित प्रसिद्ध चार लोक गाथा ‘बाला गोरिया ’, (पेज-1-6), ‘बैरागी कल्याण ’, (पेज 17-44), ‘ नारद मोह’ (पेज 45-56) ‘ राजुला मालूशाह ’ (पेज- 57-81) कैं गीत नाट्य रूप में पेश कर रौ। बिष्ट ज्यू माननी कि लोक गाथाओं कैं ज्यून धरण और लोकप्रिय बणूनै लिजी उनर असली रूप कैं बणाई धरते हुए मर्यादा में रै बेर नई प्रयोग है सकनी, य सोच उनूल यों चार नाटकों में साकार करि रै। उनूल आपणि बुद्धि व कलम कौशलल नई रूप में पढ़नेरों (पाठकों) सामणि नाटकों कैं पसक री। इन नाटकोंकि खास बिशेषता य छु कि एक तो लोकगाथाओं कैं नाटक रूप में बणै बेर मंचन लैक बणै रौ यै और दुसरि य कि नाटक गद्य में ना बल्कि गीतात्मक व पद्य रूप में पेश कर...

क़ुली बेगार प्रथा कैं १०० साल पुर

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शिवदत्त पांडे ग्रा.-कफलनी, दन्या, अल्मोड़ा मो.- 8859784649     14 जनवरी 2021 हुं कुली बेगार आंदोलन कैं सौ साल पुर है गी। सन 1921 में मकर सङरांती दिन उत्तरैणी म्याल में बागेश्वर आई लोगनल बद्रीदत्त पांडे ज्यूक नेतृत्व में कुली बेगारक बिरोध करि बेर कुली बेगार रजिस्टरन कैं सरयू बगड़ में बगा दे और लोगनल आपणि एकता दिखै बेर अंग्रेजन कैं कुली बेगार प्रथा समाप्त करनै लिजी मजबूर कर दे। तब बटी पहाड़ा लोगना ख्वार माथ लागी कुली बेगार करनक कलंक मिटो। उत्तरैणी म्याला दिन यो इतिहासै घटना घटित हुना वील बागेश्वरक म्याव कैं ऐतिहासिक म्यावक दर्ज लै मिलौ। तब बटी हर साल उत्तरैणी म्याव हुं बागेश्वर में य इतिहासै घटना कें याद करी जां। जो लोगनल य म्याव में ब्रिटिश राजक खिलाफ कुली बेगार प्रथाक बिरोध करौ, उनर य साहस औनी वा्ल पीढ़ीनै लिजी बरदान साबित भो। आज ऊं साहसी लोग भले ही हमार बीच में न्हांतन पर उनर य साहस पीढ़ी दर पीढ़ीन तक याद करी जा्ल। उसिक तो बताई जां कि जब हमार पहाड़ में कत्यूरी, चंद और गोरखा राज छी तब ले कुली बेगार कराई जांछी। तब य बेगार क्रूर रूपल नि कराई जांछी। सन् 1815 बटी जब हमार पहाड़ में अंग्र...