देवकी महराक काव्य में नारी
डॉ.देव सिंह पोखरिया खत्याड़ी, अल्मोड़ा मो.-9412976889 कु माउनी कबिता संसार में देवकी महरा ज्यूकि एक बिशेष जाग छू। उनार कुमाउनी कबिताक द्वि संकलन छन। पैंल संकलन ‘ निशास ’ नामल 1984 में ‘तक्षशिला प्रकाशन’ दिल्ली बटी सामणि आ। दुसर संकलन ‘आधारशिला प्रकाशन’ हल्द्वानी बटी ‘ पराण पुन्तुर ’ नामल 2010 में परकाशित भौ। यहै पैंली कयेक पत्र-पत्रिकान में 1970 बटी उनरि कबिता छपनै रूंछी। यो दुवै किताबन में उनरि नारी बिषयक दृष्टि भौत गैराइल परगट हैरै। आपणि कबितान में उनूल नारीक बिबिध रूपन कैं स्वर दि राखौ। नारी हियकि झांकी कैं अनेक रूपन में उनूलि प्रस्तुत कर राखौ। नारीक कन्या, स्यैणि, इज, देबि, चेलि कई रूप इनरि कबिता में देखीनी। पहाड़ै स्यैणिक दिनचर्या, शिक्षा-अशिक्षा, ब्या, वैधब्य, पुरूष समाज में नारीकि जाग, सामाजिक कुप्रथानक शिकार नारी, नारीमुक्तिकि आकांक्षा, नारी उत्थान संबंधित बिचार, पहाड़ि नारीक हौर तमाम पारिवारिक समस्यानक चित्रण उनरि कबितान में देखींछ। एक तरफ उनरि आदर्श रूप सामणि ऊं और दुसरि तरफ सासु और पारिवाराक हौर सदस्यनक हातन सताई नारीक रूप लै देखीण में ऊं। ‘निशास’ संग्रह में उन...