भारत छोड़ो आंदोलन : आजादी पाणक लिजी भारतीयोंक आंखिरी सबन है ठुल आंदोलन
● ललित तुलेरा
ई-मेल- tulera.lalit@gmail.com
हमर देश कैं आजादी पाणक लिजी दर्जनों आंदोलन करण पड़ी जनूमें एक ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ लै छी। आजादी मिलणक पांच साल पैंली य आंदोलन भौ। यस मानी जां कि य भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनक आखिरी सबन है ठुल आंदोलन छी, जैमें सबै भारतवासियोंल एक दगाड़ ठुल स्तर पर भाग ल्हेछी। कयेक जागि समानांतर सरकार लै बणाई गईं। स्वतंत्रता सेनानी भूमिगत है बेर लै लड़ी। य आंदोलन यस बखत में शुरू करी गो जै बखत दुसर बिश्वयुद्ध चली छी। औपनिवेशिक देशोंक नागरिक स्वतंत्रताक प्रति चिताव हुणाछी और कतुकै देशों में साम्राज्यवाद व उपनिवेशवादक खिलाफ आंदोलन तेज हुनै जाणाछी। भारत छोड़ो आंदोलन कैं ‘अगस्त क्रांति’ क नामल लै जाणी जां। य आंदोलनक लक्ष्य भारत बै ब्रिटिश साम्राज्य कैं खतम करण छी। भारतीय स्वतंत्रता संग्रामक दौरान काकोरी कांडक ठिक सत्रह साल बाद 9 अगस्त, 1942 हुं गांधी ज्यूक आह्वान पर पुर देश में य आंदोलन एक दगाड़ षुरू भौ। भारत छोड़ो आंदोलन सई मायन में एक जन आंदोलन छी, जैमें भारताक लाखों आम लोग शामिल छी। य आंदोलनल नौजवानों कैं ठुलि संख्या में अपनी उज्याणि खैचों। उनूल आपण कौलेज छोड़ि बेर जेलक बा्ट अपना।
14 जुलाई, 1942 ई. हुं वर्धा में कांग्रेसकि कार्यकारिणी समितिल ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन’ क प्रस्ताव पारित करौ और यैक सार्वजनिक घोषणा है पैंली 01 अगस्त हुं प्रयागराज में तिलक दिवस मनाई गो। 8 अगस्त 1942 हुं ब्यालकार अखिल भारतीय कांग्रेसकि बैठक मुंबईक ग्वालिया टैंक मैदान में भै और भारत छोड़ो आंदोलनक प्रस्ताव कैं मंजूरी मिलै। य प्रस्ताव में य घोषणा करी गेछी कि भारत में ब्रिटिश शासन कैं तत्काल खतम करण भारत में स्वतंत्रता व लोकतंत्रकि थापनाक लिजी भौतै जरूरी है गे।
भारतीयोंकि मांग पूर्ण स्वराज छी, जबकि ब्रिटिश सरकार भारत कैं पूर्ण स्वराज नी दिण चांछी। उ भारतकि सुरक्षा आपणै हातों में धरण चांछी और दगाड़ै गवर्नर जनरलक वीटोक अधिकार कैं लै बणाई धरणक पक्ष में छी। भारतीय प्रतिनिधियोंल क्रिप्स मिशनक प्रस्ताव कैं खारिज करि दे।
दुसर बिश्वयुद्धकि शुरुवात है गेछी और इमें दगडू राष्ट्र हारण लागि ग्याछी। एक बखत यह लै निश्चित मानी जाण लागौ कि जापान भारत पर हम्ल करल। दगड़ी देश- अमेरिका, रूस व चीन इंगलैंड पर उरातार दबाव डालनाछी कि उ भारतीयोंक समर्थन प्राप्त करणक कोशिश करो। आपण यई मकसदकि पूर्ति लिजी उनूल स्टेफोर्ड क्रिप्स कैं मार्च 1942 ई. में भारत भेजौ।
क्रिप्स मिशनकि असफलताक बाद ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समिति‘ कि बैठक 8 अगस्त, 1942 हुं मुंबई में भै। इमें यह फैसाल लिई गो कि भारत आपणि सुरक्षा खुदै करल और साम्राज्यवाद व फासीवादक बिरोध करनै रौल। यैक बाद कांन्ग्रेस भारत छोड़ो आंदोलनक प्रस्ताव ल्यै जमें कई गो कि स्वतंत्रता प्राप्तिक बाद भारत आपण सबै संसाधनोंक दगाड़ फासीवादी और साम्राज्यवादी ताकतोंक बिरूद्ध लड़न लागी देशोंकि तरफ बै लाम में शामिल है जौ। य प्रस्ताव में देशकि स्वतंत्रताक लिजी अहिंसा पर आधारित जन आंदोलनकि शुरुवात कैं समर्थन दिई गो। य भारत कैं तुरंत आजाद करणक लिजी अङरेजी शासनक बिरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आंदोलन छी।
बिश्व युद्ध में इंग्लैंड कैं बुर तरीकल अलछी देखि बेर जैसिकै नेताजील आजाद हिन्द फौज कैं ‘दिल्ली चलो‘ क नार दे तो गांधी ज्यूल मौककि नजाकत कैं भांपते हुए भारत छोड़ो आंदोलनक प्रस्ताव पारित हुणक बाद मुम्बईक ग्वालिया टैंक मैदान में 08 अगस्त 1942 ई. कि रातै में अङरेजों लिजी ‘भारत छोड़ो‘ व भारतीयों कैं ‘करो या मरो‘ क नार दे। उनर कौण छी आपण य प्रयास में हम या तो स्वतंत्रता प्राप्त करूंल या फिर ज्यान दे द्यूंल। य परकारल भारत छोड़ो आंदोलनक दौरान ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो’ भारतीयोंक नार बणि गोय। हालांकि गाँधी ज्यू कैं फौरन गिरफ्तार कर लिई गो। 09 अगस्त 1942 ई. क दिन य आंदोलन कैं लालबहादुर शास्त्री ज्यूल प्रचंड रूप दि दे। पर आंदोलनक इग्यारूं दिन 19 अगस्त, 1942 ई. हुं शास्त्री ज्यू लै गिरफ्तार है ग्याय।
ब्रिटिश सरकार द्वारा राताक 12 बाजी ऑपरेशन जीरो ऑवरक तहत 9 अगस्त 1942 ई. हुं दिन निकलण है पैंलीयै कांग्रेस वर्किंग कमेटीक सबै सदस्य गिरफ्तार है ग्याछी। सबै ठुल नेताओं कैं गिरफ्तार करि ल्हि गो और उनूकैं देशक अलग-अलग भागों में जेल में डालि दिई गो। गांधी ज्यूक दगाड़ भारत कोकिला सरोजिनी नायडू कैं यरवदा पुणेक आगा खान पैलेस में, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कैं पटना जेल और हौर सबै सदस्यों कैं अहमदनगरक किल में नजरबंद करी गोछी। दगाड़ै कांग्रेस कैं गैर-संवैधानिक संस्था घोषित करि बेर यै पर प्रतिबंध लगै दिई गो। यैक बिरोध में देशक हर भाग में हड़ताल और प्रदर्शन करी गईं। जै दौरान कांग्रेसाक नेता जेल में छी वी बखत जिन्ना और मुस्लिम लीगाक उनार दगड़ू आपण परभाव क्षेत्र फैलून में लागी छी। योंईं बरसों में लीग कैं पंजाब और सिंध में आपण पछयाण बणूणक मौक मिलौ जां ऐल तलक वीक क्वे खाष वजूद न्हैंती।
खास नेताओंक जेल न्है जाणक बाद अगुवाइक अभाव में लोगोंक बीच बै नेतृत्व उभरौ। अरुणा आसफ अलील 9 अगस्त 1942 हुं ग्वालिया टैंक मैदान में तिरंग फहरै बेर आंदोलन कैं गति दे तो जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, अच्युत पटवर्धन समेत कतुकै नेताओंल भूमिगत रै बेर आंदोलन कैं नेतृत्व दे। उषा मेहताल आपण दगड़ियों दगाड़ बंबई बै कांग्रेस रेडियोक प्रसारण करौ। अङरेजी सरकार द्वारा पुर देश में गोलिबारि, लाठीचार्ज और गिरफ्तारी करी गईं। लड़ैंक साल लोगोंक लिजी भौत संघर्षाक दिन छी। यई बखत में गरीबीक कारण बंगाल में गंभीर अकाव पड़ौ जैमें करीबन तीस लाख लोग मारी गई। सरकारल भूखल मरण लागी लोगों कैं राहत पुजूण में भौत कम दिलचस्पी दिखै।
ब्रिटिश सरकारकि हिंसक कारवाईकि बदयल में लोगोंक रीस लै हिंसक गतिबिधियों में बदलि गोछी। लोगोंल सरकारि संपति पर हम्ल करौ, रेलाक पटरियों कैं उखाड़ि दे, डाक और तार ब्यवस्ता कैं अस्त-ब्यस्त करि दे और ऊं सरकारि इमारतों पर तिरंग फहरूण लागीं। बिहारक पटना में सचिवालय में तिरंग फहरूणक दौरान सात नौजवान छात्र शहीद है पड़ी। कतुकै जागों में पुलिस और जनताक बीच हिंसक संघर्ष लै भौ। ब्रिटिश सरकारल आंदोलन बै जुड़ी समाचारोंक छापण पर रोक लगै दी। कयेक अखबारोंल यौं रोक कैं मानणक बजाय अखबारै बंद करि दे।
देशाक कयेक भाग जस- महाराष्ट्र में सतारा, बंगाल में तामलूक, उत्तर प्रदेश में बलिया, कर्नाटक में धारवाड़ और उड़ीसा में तलचर व बालासोर में लोगों द्वारा अस्थायी सरकारकि थापना करी गै। पैंली अस्थायी सरकार बलिया में चित्तू पाण्डेयक अगुवाइ में बणैछी। सतारा में वाई.वी. चैहान और नाना पाटिलक अगुवाइ में बिद्रोहक अगुवाइ करी गो।
साल 1942 ई. क आंखिरी में दिल्लीकि सेंट्रल असेंबली में आनरेबुल होम मेम्बरल सरकारि आँक्ड़ पेश करी जै हिसाबल य जनांदोलन में 940 लोग मारी ग्याछी, 1630 घैल भई, 18000 डी. आई. आर. में नजरबंद भई और 60,229 गिरफ्तार करी गई। मरणियों में स्यैणी और नानतिन लै शामिल छी। जय प्रकाश नारायण, अरुणा आसफ अली, एस.एम. जोशी, राम मनोहर लोहिया और कतुकै हौर नेता करीबन पुर युद्ध कालक दौरान क्रांतिकारी गतिविधि करते रईं। अङरेजोंल आंदोलनक प्रति भौत सख्त रवैया अपना फिर लै य बिद्रोह कैं दबूण में सरकार कैं साल भर बै जादा टैम लागि गोय। जून 1944 ई. में जब बिश्व युद्ध समाप्तिक ओर छी तो गाँधी ज्यू कैं रिहा करि दिई गो।
09 अगस्त 1925 ई. हुं ब्रिटिश सरकारक तख्ता पलटनक उद्देश्यल ‘बिस्मिल‘ क नेतृत्व में हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघाक दस जुझारू कार्यकर्ताओंल काकोरी कांड किरौछी जैक फाम ताजा धरण लिजी पुर देश में हर साल 09 अगस्त हुं ‘काकोरी कांड स्मृति-दिवस‘ मनूणकि परंपरा भगत सिंह ल शुरू करि देछी और य दिन भौत ठुलि संख्या में नौजवान एकबटीछी। गान्धी ज्यूल लै एक सोची-समझी रणनीतिक तहत 09 अगस्त 1942 ई. क दिन छांटौ।
‘भारत छोड़ो आंदोलन’ स्वतंत्रताक आंखिरी चरण कैं इंगित करूं। यैल गौं बै ल्हि बेर शहर तलक ब्रिटिश सरकार कैं चुनौती दे। यैल भारतकि जनताक भितेर आत्मबिष्वास बढ़ा और समानांतर सरकारोंक गठनल जनता भौत उछासल भरी रै। य आंदोलनक दौरान पैंल बार राजाओं कैं जनता की संप्रभुता मानण हुं कई गो। इमें स्यैणियोंल बढ़ि-चढ़ि बे हिस्स ल्हे और जनताल नेतृत्व आपण हात में ल्हे। आंखिरकार 15 अगस्त 1947 ई. हुं भारत हमेशा लिजी आजाद भौ। ●●●
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