कुमाउनी ब्यंग्य : अमरीकन एंटीवायरस कच्छ

डॉ. पवनेश ठकुराठी
        ग्राम-बड़ालू, पिथौरागढ़ 
        मो.-9528557051


       ब्यावक टैम छी। शर्मा ज्यू आपण लिंटर में लाल रङक नानू-नान जङी पैरि बेर यां बै वां रिटन राछी। उ जङी जै कि भै सेम टू सेम बाबाज्यूक लंगोट भै। उनूकैं देखि बेर पैंली मैंकैं बिश्वासै नि भै। तौ शर्मा ज्यू छनी या क्वे एक्टर छन। कती फिलमकि शूटिंग त नि करनाय। उसि कै लै अछालून सिनेमा-फिलमक जमान छ। सिनेमा-फिलम ले यसि जै में सब नाङड़ है बेर नाचते रूनी। फिर मैंकैं ख्याल आ, कती शर्मा ज्यू जङीयक एडबरटाइज त नि करनाय, किलैकी  शर्मा ज्यू कैं तस चीजोंक भौत शौक छी। मैंल आपण आँखा तीन-चार फ्यार चिम-चिम कै बेर चिमी, फिर भौपरीना मैंस जै यथकै- उथकै नजर दौड़ै। वां क्वे और नि छी। हां बगल वाल मकानक लिंटर में द्वी छ्योड़ी मुबाइल कान में लगै बेर चैटिंग-सैटिंग जरूर करनाछी। आ्ब मैं निझरक है गैछ्यूं कि यां तसि क्वे बात नि है रै। मैंल शर्मा ज्यू कैं गौरल चा। ऊं पुर नाङडै़ छी। बस, तल आङ में उ लाल रङक जङी छी।
सांचि कूं त मैंकैं शर्मा ज्यू कैं देखि बेर शरम ऐ पड़ी, ठीक उसीकै जसिकै मैंकैं कसै स्यैणि-मैंस कैं स्वीमिंग पूल या ताल में नान-ध्वैन करते चान बखत ऊंछि। मैं वां बै खसकना बिचार करनौछ्यूं कि उतंज्यां शर्मा ज्यूल धात लगै-‘‘अरे प्रोफेसर सैप! ओ प्रोफेसर सैप! कां हुं? आओ भैटो।’’
मैंल नजर तलि करि बेर कौ-‘‘शर्मा ज्यू! ऐल मैं हिटूं।’’  ‘‘अरे डाक सैप आओ यार! द्वी-चार गपशप मारि ल्हिनू।’’ यस कै बेर उनूल आपण जङी में हात फेरौ।
मैंल लै आपूं कैं समझा-‘‘यार! नाङड़ उ छ, तू किलै शरमाछै?’’
तब तलक शर्मा ज्यू भितेर बै द्वी कुर्सी ल्ही बेर ऐ गाय और हम उनू में बिराजमान है गयां।
म्यार मन में जो सवाल बानरा चारि फटक मारनाछी, ऊं दुला में लुकीना मुसा चारि भ्यार ऐ पड़ी-‘‘सैप ज्यू तुमूकैं शरम नि ऊनी? एक जङी पैरि बेर लिंटर में धिरकी रौछा?’’
‘‘डाक सैप! तुम ले बस ऽ! अरे देखनौछा, कतुक गरमी हुनै अच्यान। हमर पर्यावरण कतुक दूषित हैगो। योई हाल रया त ऊणी वाल टैम में मनखियों कैं नाङड़ै रून पड़ल’’ उनूल कौ।
‘‘बस -बस, भौत है गौ सैपो! मैं समझि गयूं, पर ये जङीयक मलि में एक बंडी त ओलम्यै ल्हिना’’  मैंल कौ।
‘‘अरे डाक सैपो, तुमूल साहित्य-वाहित्य में पीएच.डी. करी हुनि हो! यो बिजनसकि बात तुमर बसक रोग न्हां। पैंली त तुम ये कच्छ कैं उरातार जङी न कवो। यो कच्छ छ। अमरीकन कच्छ।’’ 
‘‘अच्छया! ’’ मैं हैचक रै पड़ी।
‘‘होय, और कच्छ लै क्वे मामूली कच्छ न्हैं। भारत-अमरीकाकि दोस्तीक मिशाल छ यो कच्छ। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रांफ ये कच्छ कैं पैरनी। हमार मोदी ज्यू ये कच्छ कैं पैरनी’’ उनूल कौ।
‘‘सैपो मजाक कम-कम करौ। तौ अति हुनै आ्ब।’’ मैंल कौ।
‘‘मजाक न्हां यो महाराज! यो त एकदम  सांचि  छ।’’
‘‘सांचि नि है सकन हो महाराज! अमरीका वाल उसिकै लै कच्छ नि पैरन। फ्रैंची पैरनी ऊं।’’
‘‘होय, आब आया नैं तुम ठीक लैन में। तो सुणो! अमरीकन लोग फ्रैंची पैरनी नैं, ऊं फ्रैंची पैरछी। आब ऊं लै हमरि भारतीय सभ्यता-संस्कृति कैं अपनून फै गई। जब बै तौ रांडौ कोरोना वाइरस फैलौ नंै, तब बै वांक मनखी भारतीय सभ्यता कैं अपनून फै गई।’’
मैंकैं शर्मा ज्यूकि बात में आ्ब दम नजर ऊनैछि- ‘‘होय, यो त छ। तौ चाइना वालून त सारि दुणी में वायरस फैलूना ठ्याक ल्ही राखौ।’’
‘‘वाइरसै नैं डाक सैपो! सब नकि -भलि चीज चाइना बै ऊंछि। सस्त अखबारी कागज चाइना बै, नई-नई कपड़ा चाइना बै, मशीन-पुर्ज चाइना बै, मुबाइल-फोन चाइना बै। टिक-टाक चाइना बै। कि नैं ऊन चाइना बै। सब चाइना कै त भै। अमरीकाल त पैंल फ्यार तौ कच्छ लांच करि राखौ। असली कच्छ भै तौ। उल्ट पैरौ-सुल्ट पैरौ। सब एक समान। यसि गुदगुदी लागैं मज ऐ जानी यस कै बेर उनूल जङी कैं इतुक भल ढङल मस्यारौ, जसिकै इज आपणि भौ कैं लाड़ करैं।
‘‘बस-बस सैपो! इतुकै छ तौ कच्छकि महिमा? और के छ त उ लै बतै दियो’’ मैंल चिङान है बेर कौ।
‘‘अरे डाक सैप! यो त के नि भै। ये कच्छक बार में जतुक लै कूं, कम भै। हमार कंपनीक जो मालिक छन मिस्टर एम.एम. हंटर, ऊं भौत पुजी हुई दिमागक मैंस छन। उनूल ये कच्छकि फीमेल परजाति लै लांच करि है। उकूैं आपूं हमरि भारतीय भाषा में ‘कच्छी’ कै सकछा। आकार में यै है थ्वाड़ नानि छ, पर क्वालिटी मामिल में दुवै बरोबर छन’’ शर्मा ज्यूल नई जानकारी दे।
‘‘अच्छया, तो सैपो एक काम करौ। तुमर पास वीक सैंपल छ त, एक मैंकैं लै दी दियो’’  मैंल मजाक करी।
‘‘किलै नि डाक सैपो, जरूर द्यूंल। कच्छ और कच्छी दुवैनक सैंपल द्यूंल। पैंली सुणि त ल्हियो।’’
‘‘सुणाओ-सुणाओ।’’
‘‘होय त बात यो चलनैछी कि पैंली उनूल कच्छ लांच करौ और वीक ब्रांड एंबेसडर बणाछ हाॅलीवुडक एक ठुल हीरो अल पचीनो कैं। जब उनूल ये कच्छ कैं पैरि बेर ऐड करौ त पुर अमरीका में हड़कंप मचि गोछी। जब उनर ऐड ऊंछी नंै सब मनखियोंकि नजर टीबी बै हटणी वालि नि भै। छ्योड़ी त वीकैं यसिकै चानी भाय, कि  बतूं आब। क्वै-क्वै छ्योड़ी त जोश में ऐ बेर कै लै दिनी वाल भाय- आइ लभ दिस अंडरभियर, आइ लभ दिस अंडरभियर।
नामी रैपर पौंटी-मौंटील जब यो गीत गाछ त, यैक परचार सारि दुणी में है पड़ौ-


शर्मा ज्यू ठाड़ है बेर गीत गान फैगाय। फिरि अचानक बैठि बेर अघिलकि का्थ सुणून फै गाय-‘‘ ओहो सैपो, वी बाद त न पुछौ, हमार मालिक सैपूंल तुरंत एक ‘कच्छी’ ले मैदान में उतारि दे। वी में हाॅलीवुडकि फेमस हीरोइन बेबी एंजेलीना कैं ब्रांड एंबेसडर बणाछ। वील जब वी कच्छीक ऐड करौ त सारि दुणी में भूकंप ऐ गोछी। हमार पास माल्या, बाल्या, लिंगा, टिंगा, लुपि, झुपि जास सैकड़ों नामी-गिरामी उद्योग पतियोंकि डिमांड ऐ। माल्याल त हमूकैं आपणि किंगफिसर माॅडलों लिजी पचास लाख कच्छियोंकि डिमांड दे। आज हमार यो कच्छ-कच्छी सारि दुणी में राज करनई। और खास बात यो छ कि आजि तलक एक लै गाहककि शिकैत हमरि पास नि ऐ।’’ उनूल सारि का्थ सुणै दे। ऊं आजि लै उरातार सुणाते रून यदि मैं उनूकैं टोकनू नैं।
‘‘सैपो तुमरि का्थ पुरि है गैछ त मैं लै के कुंई?’’
‘‘कवो डाक सैपो कवो।’’ उनूल मंजूरी दे।
‘‘तुम ततुक गप्प मारन कां बै सिखि ल्याछा?’’
‘‘हे भगबान! तुमूकैं आजि तलक लै मेरि बातक यकीन नि हुनै? यो चावो।’’ उनूल आपण जङीयक दैण तरफक हिस्स खैंचते हुए कौ।
जङी में लेखि रछी-‘‘मेड इन अमेरिका।’’ और वी तलि में लेखि राछी-‘‘मोदी-ट्रांफ अंडरवियर।’’
आब म्यर डिमाग घुमि गोछी यानी शर्मा ज्यू एकदम सांचि बुलानई। पर फिरि लै मैंल सवाल पुछन जरूरी समझौ-‘‘ महाराज! अमरीका त बंदूक, रैफल, मशीनगन, जहाज, फाइटर, हैलीकाप्टर जस ठुलि-ठुलि चीज बेचूं। तौ कच्छ बेचना बिचार कां है आछ?’’
‘‘अरे डाक सैप! तौ कच्छ भौतै शुभ छ। तौ भारत अमेरिकाकि दोस्तीक परिणाम छ। जब सारि दुणी में वाइरस फैलि रौछी तब अमरीकन राष्ट्रपति ट्रंप ज्यूल हमार प्रधानमंत्री ज्यू थैं दवैकि मधत मांगी। मोदी ज्यूल मधत करि दे। तब खुसि है बेर हमार मालिक सैपूंल ये दोस्ती कैं अमर बनूना लिजी यो दिमाग लगा और भारतीय जङियकि तर्ज पर अमरीकन कच्छ बणा। उनर यो मानन छ कि यैल भारतीय संस्कृतिक परचार होल। दुवै देशोंक बीच दोस्ती मजबूत होलि।’’
‘‘थप-थप-थप’’ मैंल दुवै हातोंल तालि बजै।
‘‘वाकई में कमालक आइडिया छु तुमार मालिक सैपोंक’’ मैंल कौ। 
‘‘आब मैं तुमूकैं कच्छकि क्वालिटी बार में लै थ्वाड़ जानकारी दी द्यूं’’ उनूल उछासल कौ।
‘‘दियौ महाराज, स्वागत छ।’’
‘‘यो अमरीकन कच्छ पच्चीस परकाराक कपड़ान कैं मिसै बेर बणाइनाक छ। यो इतुक मजबूत छ कि तुमार सब चीज फाटि जाल, पर यो कच्छ नि फाटौ। हट्ट-कट्ट खली पहलवान कैं पैराओ या कमजोर ठाङर जस मैंस कैं पैराओ, लंब चैड़ अमिताभ कैं पैराओ या छ्वट शरीरक राजपाल कैं पैराओ, सबूं कैं यो कच्छ एकदम फिट आल। मनखी खजरी जाल, पर वीक कच्छ उसै रौल। एकदम चमकदार... चकाचक...। यो चावो ये में लागीना इलास्टिक लै इतुक लचकदार छ बिल्कुल छ्योड़ीना कमरकि चारि। ’’ यस कै बेर उनूल आपण कमर बै कच्छ भितेर हात हालौ और वीक इलास्टिक खैंचै। इलास्टिक वाकई में स्प्रिंग जस छी।
‘‘तौ कच्छ वाकई में गुणोंकि खान छ। यतुक गुण त अच्यान द्याप्तान में नि हुन, पर म्यर दिमाग में एक सवाल उठनौ कि तुमार मालिक सैपूंल भारत अमेरिकाकि दोस्ती मजबूत बनूना लिजी तौ कच्छ किलै बणा और क्वे कपड़ा नि मिलौ उनूकैं? ’’ मैंल एक सवाल आजि सामणि धरि दे।
‘‘अरे डाक सैपो! यज्ञे बिजनेस माइंड भै। येकि प्रेरणा हमार मालिक सैपूं कैं एक घटना बै मिलै। जिन दिनों सारि दुणी में कोरोना वायरस फैलि रौछी, उनी दिनों पाकिस्तान में लै कोरोना वायरस फैलि रौछी। पाक प्रधानमंत्री इमरान खानल आपण दगडू चीन थैं मास्क मांगी। चीनल आपण यां फाटी-पुराण बेकार कच्छोंक मास्क बणै बेर पाकिस्तान भेजि दिई। तब हमार मालिक सैपूं कैं कच्छकि महिमाक पत्त चलौ। और उनूल तुरंत भारत- अमरीकाकि दोस्तीकि मिशालक रूप में कच्छ इंटरनेशनल बजार में उतारौ। और भगबानै किरपाल यो कच्छ आज सारि दुणी में राज करनौ। ये कच्छकि सबनहै ठुलि खूबी त मैं तुमूकैं बतूनै भुलि गयूं...। यो कच्छ वायरसों लिजी एंटीवायरसक काम ले करूं। यो बिषाणुओं कैं भितेर नि जान दिन। ’’ उनूल म्यर सवालक बिस्तारल जबाब दे। 
‘‘अच्छया! ’’ मैं हैचक्क है पड़ी।
‘‘होय डाक सैपो! यै में लागीनाक पच्चीस प्रकाराक कपड़ानकि यो खूबी छ कि ऊं कसै लै वायरस कैं भितेर नि जाण दिन और तुमर शरीरकि भलिकै हिफाजत करनी। आज भले सारि दुणी कोरोना वायरसल आजाद है गै, पर य कच्छक महत्व कसै लै हिसाबल कम नि है रय। ’’
‘‘अच्छया! वाकई में सैपो, तौ अमरीकन एंटीवायरस कच्छ त भौतै महान छ। ’’
‘‘होय, ये कच्छकि महिमा छ कि आज दुणी भरि में यो राज करूं। ठुल-ठुल नेताओं-अभिनेताओं बै ल्हीबेर गौं-घरोंक किसान तक हमार कच्छ कैं पैरनी।’’
‘‘अच्छया सैपो, यो कच्छ वायरसों बै त हमूकैं बचाल, पर ये लाल कच्छ में कसै बौड़, बल्द, बोकी, जती ल तुमूकैं नाङड़ै घुमते हुए देख ल्ही तो तुमर कि हाल होल, तुमै जाणौ’’ मैंल मजाक करी। 
‘‘अरे यार, फिरि उई द्वी डबलों वालि बात। जब वाइरसै य भितेर नि ऐ सक तब जानवरोंकि नजर ये कच्छ तक कसिकै पुजलि। ये कच्छ में तास जानवरों लिजी ले उपाय करी छन। यो कच्छ भले ई मनखियों कैं लाल रङक देखील, पर जानवरों कैं यो सफेद नजर आल।’’ उनूल कच्छकि एक और खूबी सामणि धरि दे। मैं निरूत्तर है गैछ्यूं।
‘‘हे प्रभु! तुम धन्य छौ। तुमर कच्छ धन्य छ। क्वे और ले ये कच्छकि खूबी छ त उ लै बतै दियो। ’’
‘‘होय-होय जरूर! मैं तुमूकैं यो लै जानकारी दिण चां कि यो कच्छ आब सर्वव्यापी, सर्वसुलभ छ। ये कच्छक गुणों बै प्रेरित है बेर योग गुरू बाबा रामदेव ज्यूल लै घोषणा करि राखी कि ऊं लै पतंजलि हर्बल कच्छ भौत जल्द बजार में उताराल। उनूल संकेत लै दी हाली कि यो हर्बल कच्छ क्याला पातूनक या सिसूणा पातूनक या भेकुवा रेशानक कच्छ होल। आ्ब तुम बसौ। मैं तुमर लिजी सैंपल ल्ही बेर ऊं। ’’ यस कै बेर ऊं भितेर गई और द्वी पैकेट ल्ही बेर आईं।
मैंकैं उनार हातोंक द्वी पैकेट कच्छ नंै बलकन द्वी दिव्यास्त्र जा लागी।
‘‘लियो सैप यो कच्छ तुमर लिजी और यो कच्छी भौजी लिजी। ऐश करो। भल लागला त इनूकैं पप्पू अंडरगारमेंटकि दुकान बै ल्ही लिया। मौल बै लै ल्ही सकछा। वां लै यो मौजूद छन।’’
‘‘ठीक छ। भौत-भौत धन्यबाद सैपो। ’’ यस कै बेर मैं दुवै पैकेट ल्ही बेर घर ऐ गयूं।
वां मैंल दारक मलि में एक पैकेट जै लटकीना देखौ। मैंल श्रीमती थैं पुछौ-‘‘देबी ज्यू! तुमूल दारक मलि में कि लटकै राखौ? ’’
देबी ज्यूल बरदान मिलीना मैंसकि चारि अतीव प्रसन्न है बेर जबाब दे-‘‘ यो अमरीकन एंटीवाइरस कच्छ छ। यैल वाइरस भितेर नि ऐ पान। ’’
मैंल जोरल हुंकार भरी-‘‘ जै हो, अमरीकन एंटीवाइरस कच्छकि!!’’
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( 'पहरू' कुमाउनी पत्रिका, अगस्त २०२१ अंक बै )

 

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