कुमाउनी समीक्षा : कुमाउनी शब्दों पर द्वी किताब। समीक्षक-ललित तुलेरा
( 'किताब पर चर्चा' में आपूं लोगनक स्वागत छु। यां कुमाउनी शब्दों पर लेखी द्वी नई किताब 'प्यौलपिटार' व 'कुमाउनी बोली शब्द संग्रह हिंदी अर्थ के साथ’ पर चर्चा करी जाणै। समीक्षक छन- ललित तुलेरा। )
कुमाउनी में शब्दकोशकि शुरूवात 1983 ई. में ‘कुमाउनी हिंदी व्युत्पत्तिकोश’ नामल भै, जकैं डाॅ. केशव दत्त रुवाली ज्यूल तैयार करौ। यैक बाद कुमाउनी में ऐल तलक द्वीभाषी व बहुभाषी ना्न-ठुल करीब 8 है सकर शब्दकोशोंकि रचना है गे।
कुमाउनी शब्दकोशोंक य क्रम में ‘प्यौलपिटार’ हमर सामणि छु। ‘प्यौलपिटार’ उकैं कूनी जो ब्या में बर/ब्योलिक ब्याक समान धरणी बगस (टरङ) हुं, इकैं ‘ब्यौलपिटार’ लै कई जां। कोशाक लेखार कुमाउनीक नामी लेखार पूरन चंद्र कांडपाल छन। कांडपाल ज्यूकि कुमाउनी साहित्याक तमाम बिधाओं व ‘कुमाउनी भाषाक ब्याकरण’ समेत कुमाउनी भाषा में य चौदूं (14) किताब छु। बिकासक बा्ट में बटयोर भाषा में शब्दकोश रचण बौं हातक काम नि हुन।
परसिद्ध भाषाविद स्कैलीगरक कथन छु-
‘‘अगर क्वे अपराधि कैं ठुलि है ठुलि सजा दिण छु तो उकैं कोश निर्माणकि बुति दि दिण चैं।’’
• 'प्यौलपिटार' शब्दकोशक मुखड़ |
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प्यौलपिटार
(कुमाउनी हिंदी शब्दकोश)
• लेखार-पूरन चंद्र कांडपाल
• पैंल संस्करण-2021
• कीमत- 250/- रूपैं
• पेज- 216
• छापनेर-
कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी-अल्मोड़ा
• मुबाइल-9871388815
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‘प्यौलपिटार’ द्वीभाषी कोश छु- कुमाउनी स्रोत भाषा) व हिंदी (लक्ष्य भाषा)। द्वीभाषी कोश तैयार करण में कठिनाई भौत हैंछ। य कोश एक भौत ठुल स्तरक काम तो न्हैं पर य कोश में पश्चिमी कुमाउनीक ध्वनिरूप वा्ल करीब 6,500 शब्दों कैं एकबटयाई जै रौ। हिंदी व कुमाउनी भाषा में एकनसै शब्दों कैं य कोश में जाग नि दि रइ। शब्दकोशकि असल खासियत य हैंछ कि उमें शब्द वर्णाक्रम में हो और हर शब्दक ब्याकरणिक रूप लै दिई हो, कोशकार लै य कोश में यों बिशेषताओं कैं बरकरार धरण में सफल छन। य कोश कोशकार द्वारा कुमाउनी भाषाक लेखार, भाषाविद, भाषा प्रेमी व अघिल पीढ़ी कैं समर्पित करी छु। कोश में ब्याकरण चिन्ह और भाषाओंक संकेत रूप लै दिई छु।
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य कोश में पश्चिमी कुमाउनीक
ध्वनिरूप वा्ल करीब 6,500 शब्दों कैं
एकबटयाई जै रौ। हिंदी व कुमाउनी भाषा में
एकनसै शब्दों कैं य कोश में जाग नि दि रइ।
कोश में कुमाउनी वर्णमालाक 10 स्वर और 30 ब्यंजनों बै शुरू शब्दों कैं शामिल करि रौ जनूमें ‘क’ वर्ण बै सबन है सकर चार सौ सत्तर (417) शब्द शामिल छन, ‘ब’ वर्ण बै सबन है सकर चार सौ द्वी (402) शब्द छन। शब्दार्थक अलावा तीन बीसी चार (64) बिषयों पर शब्द छन। जस- अवाज, सुवाद, फल, साग-पात, लात-लुकुड़, जेवर समेत ब्यौहारिक शब्द और शब्द- छ्वटि ईकाई, शब्द युग्म, द्वित शब्द युग्म, बिलोम शब्द, अनेकार्थी शब्द, मिल्त- जुल्त शब्द, एकाक्षरी शब्द, समश्रुत शब्द, एकाक्षरी शब्द, पर्यायवाची शब्द खास बिषय छन। य कोश में तीन बीसी द्वी (62) शब्दोंक पर्यायवाची शब्द दिई छन, दगाड़ै द्वी सौ सोल (216) कुमाउनी मुहावरा, चार सौ चार बीसी सात (487) कुमाउनी कहावत लै शामिल छन।
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य कोश में ‘क’ वर्ण बै सबन है सकर चार सौ सत्तर (417) शब्द शामिल छन, ‘ब’ वर्ण बै सबन है सकर चार सौ द्वी (402) शब्द छन। शब्दार्थक अलावा तीन बीसी चार (64) बिषयों पर शब्द छन।
आंखिरकार य कई जै सकीं कि ‘प्यौलपिटार’ शब्दकोशकि बिशेषताओं दगाड़ भौत मिहनत, लगन व समर्पणक नतिज छु। कोशकार पूरन चंद्र कांडपाल ज्यूकि य मिहनत व प्रयास ख्याड़ नि जालि। य कोश हरेक कुमाउनीक लिजी फैदमंद तो होलै दगाड़ै कोशबिज्ञान में कुमाउनी शब्दकोशोंकि महत्ता कैं बढ़ाल, नई लेखारों कैं शब्दकोश निर्माणक दिशा में लै मधत और प्रेरित करनै रौल, यस आश करी जाण चैं।
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कुमाउनीक नई लेखार कृष्णानंद चंदोला द्वारा ‘कुमाउनी बोली शब्द संग्रह हिंदी अर्थ के साथ’ नामल कुमाउनी शब्दों पर किताब सामणि आई छु। य किताब रूप में एक प्रयास कई जै सकीं जो कुमाउनी भाषाक शब्दों कैं बिषयवार मिस्यै बेर कुमाउनी संसार में सामणि धरूं। य किताब शब्दकोशक भितर तो नि धरी जै सकीन पर य एक आपण में अलग किसमक काम छु जो आज तलक नि है रछी। किताब में लेखारल पनर (15) बिषयों पर शब्द एकबटयाई छन। यों बिषय य परकार छन- मंदिर व पुज, ज्यौनार (पकवान), कुड़ि, भान-कुन, खेति-पाति, लुकुड़ व जेवर, पावणी जानवर, रिश्तदारी, आङ, बास, तुकबंदी शब्द, कुमाउनी बिलोम शब्द, शब्द अर्थ, मुहावरे, लोकोक्ति।
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द्वि भाषाओं (कुमाउनी व हिंदी) में लेखी
किताब जमें करीबन 2, 400 (द्वी हजार चार सौ)
कुमाउनी शब्द मिलनी।
• किताबक मुखड़ |
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कुमाउनी बोली शब्द संग्रह
हिंदी अर्थ के साथ
• लेखार- कृष्णानंद चंदोला
• पैंल संस्करण-2020
• कीमत- 250/- रूपैं
• पेज- 128
• छापनेर- आधारशिला प्रकाशन, हल्द्वानी-263139
• मुबाइल-9410215925
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द्वि भाषाओं (कुमाउनी व हिंदी) में लेखी किताब जमें करीबन 2, 400 (द्वी हजार चार सौ) कुमाउनी शब्द मिलनी। पर य किताब कुमाउनी ब्याकरण संबंधी अशुद्धी और शब्दोंक अर्थ में, पढनेरों कैं नराज लै करि सकें। ऐलक बखत में लेखी जाण लागी कुमाउनी रूप है हट बेर कयेक हलंत चिन्होंक जाधे इस्तमाल लै इमें देखीण में ऊनौ। य किताब में 85 कुमाउनी मुहावरा व कहावत और बाइस (22) कुमाउनी शब्दोंक पर्यायवाची शब्द शामिल करी छन।
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य किताब द्वि भाषाओं (कुमाउनी व हिंदी)
में लेखी छु, जमें करीबन 2,400
(द्वी हजार चार सौ) कुमाउनी शब्द मिलनी।
य किताब में 85 कुमाउनी मुहावरा,
कहावत और बाइस (22)
कुमाउनी शब्दोंक पर्यायवाची
शब्द शामिल करी छन।
आंखिरकार य कई जै सकीं कि लेखार श्री चंदोला ज्यू कुमाउनी भाषाक संसार में कुमाउनी शब्दों कें एकबटयूण में सफल छन। य किताब में लेखारकि मिहनत त साफ नजर ऐं पर बिद्वतापूर्ण, कुमाउनी शब्दों पर समग्रता, ठुल स्तर पर करी काम, गैल सोच दगाड़ करी बुति नि कई जै सकीन। लेखार चंदोला ज्यूकि य परयासकि सराहना और स्वागत कुमाउनी भाषा संसार में करी जाण चैं। दगाड़ै य आश लै कि य दिशा में काम करण हुं य परयास भौत कामक होल।
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( ललित तुलेरा कुमाउनी समीक्षा में नई व युवा हस्ताक्षर छन। यों एक बिद्यार्थी हुणक दगाड़ै आपणि दुदबोलि 'कुमाउनी' में 16 सालकि उमर बै उरातार गद्य व पद्य में कलम चलूनई। कुमाउनी भाषाकि नामी पत्रिका 'पहरू' में संपादक मंडल में कुमाउनीक सेवा में जुटी छन। इनूल हालै में कुमाउनी भाषाक 17 ज्वान रचनाकारोंकि 'जो य गड. बगि रै' नामल संजैत काब्य संलनक संपादन लै करि रौ। )
ई मेल-tulera.lalit@gmail.com
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