बिहार की विश्वप्रसिद्ध ‘मधुबनी’ पेंटिंग के साथ उत्तराखंड की ‘ऐपण’ कला को नया आयाम दे रही हैं जया डौर्बी




       भारतकि चित्रकलाक कहानि शिलाचित्रों बै शुरू है बेर कंप्यूटर चित्रों तलक पुजि गे । य कतुक पुराणि छु यैक अंताज मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, चन्हूदड़ोलोथल आदि उत्खन्न में मिली वस्तुओं बै लगाई जै सकीं । 
     भारतकि चित्रकलाक अजन्ता शैली, गुजराती शैली, पाल शैली, जैन शैली, अपभ्रंश शैली, राजस्थानी शैली, मुगल शैली, पहाड़ी शैली, पटना शैली, सिख शैली, दक्कन शैली, लोक शैली, मधुबनी शैली, आधुनिक शैली दुनी भर में भौत प्रसिद्ध छन । 
       रवीन्द्रनाथ टैगोर ज्यू कुनी - "कला मानव की बाह्य वस्तुओं की अपेक्षा स्वानुभूती की अभिव्यक्ति है।" 


      पुराण जमा्न बटी आज तलक हमा्र लोक कलाकारोंलि भारतकि कला कैं सजूण सवारण व दुनी में प्रसिद्धी दिलूण में ठुल भूमिका निभै। आजकई हुनरमंद कलाकार भारतकि कला परंपरा कैं बरकरार धरी छन और नई प्रयोग लै करण रई जैल कलाक बिस्तार होते जां। 
           कलाक क्षेत्र में कुछ अलग व नई प्रयोग करण रई युवा लोककलाकार जया डौर्बी
Aipan art by Jaya Dourbi.

    जया डौर्बी बिहारकि विश्वप्रसिद्ध मधुबनी कला और उत्तराखंडकि ऐपण कला कैं ल्हीबेर काम करण रईं। "मिथिला ऐपण" नामल ऊं मधुबनी और ऐपण कला कैं एक दगाड़ बणूनी । जैल उत्तराखंडकि ऐपण कला कैं मधुबनी दगाड़ मिलबेर नई पछ्याण मिलण लागि रै।

ऐपण व मधुबनी एक परिचय- 
        आइए सर्वप्रथम जानें ऐपण व मधुबनी के बारे में ...
 ऐपण कला -


    यह उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोककला है । यहां  की ‘लोक कला’ के कई रूप हैं । यहां की लोक कला - मूर्ति कला, काष्ठ कला, धातु कला, चित्रकला आदि कलाओं में वर्गीकृत है। चित्रकला में ऐपण काफी प्रसिद्ध है। जो ख़ासतौर महिलाओं के द्वारा शुभ काम-काजों में बनाई जाती है । पहले यह कला सिर्फ घर के आँगन या मंदिर के अंदर तक सीमित थी । असली रूप में यह चावलों को भिगाने के बाद सिलबट्टे में पीसकर चावल का घोल (स्थानीय भाषा में बिस्वार कहते हैं ) द्वारा लाल मिट्टी या गेरू से लिपी हुई घर के आँगन, दीवारों या मंदिर में शुभ काम - काज या त्यौहार के मौके पर बनाई जाती है। ऐपण कला में विवाह चौकी, लक्ष्मी चौकी, शिवचौकी सहित कई चौकियां व कई डिजाइन प्रसिद्ध हैं । 


(घर की सीढ़ियों में बनाई गई ऐपण कला) 

                अब समय के साथ ऐपण लाल, सफेद रंग व ब्रुश के माध्यम से कपड़े, दीवार, कागज, बैग, ट्रे, बर्तन आदि तक पहुँच चुकी है। ऐपण कलाकारों के द्वारा यह कला उत्तराखंड से बाहर देश व विदेशों तक प्रसिद्धी पाने लगी है। आज कई संस्थाएं संस्कृति प्रेमी ऐपण कला की परंपरा व बिरासत बचाने तथा देश दुनियां तक  प्रचार - प्रसार करने में जुटे हैं । 

मधुबनी पेंटिंग- 


   विश्वविख्यात भारत की यह लोक कला मिथिलांचल क्षेत्र जैसे बिहार के दरभंगा, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है। आज मिथिलांचल के कई गांवों की महिलाएँ इस कला में दक्ष हैं। अपने असली रूप में यह पेंटिंग गांवों की मिट्टी से लीपी गई झोपड़ियों में देखने को मिलती थी, लेकिन इसे अब कपड़े या फिर पेपर के कैनवास पर खूब बनाया जाता है। मधुबनी चित्र में खासतौर पर कुल देवता का भी चित्रण होता है। हिंदू देव- देवताओं की तस्वीर, प्राकृतिक नजारे जैसे- सूर्यचंद्रमा, धार्मिक पेड़-पौधे जैसे- तुलसी और विवाह के दृश्य देखने को मिलेंगे। मधुबनी पेंटिंग दो तरह की होतीं हैं- भित्ति चित्र और अरिपन या अल्पना। मधुबनी में चटख रंगों का इस्तेमाल खूब किया जाता है। जैसे गहरा लाल रंग, हरा, नीला और काला। कुछ हल्के रंगों से भी चित्र में निखार लाया जाता है, जैसे- पीला, गुलाबी और नींबू रंग। भित्ति चित्रों के अलावा अल्पना का भी बिहार में काफी चलन है। इसे बैठक या फिर दरवाजे के बाहर बनाया जाता है। इसे घर के शुभ कामों में बनाया जाता है। चित्र बनाने के लिए माचिस की तीली व बाँस की कलम को प्रयोग में लाया जाता है। रंग की पकड़ बनाने के लिए बबूल के वृक्ष की गोंद को मिलाया जाता है। ये कला अपने आप में इतना कुछ समेटे हुए हैं कि यह आज भी कला के कद्रदानों की चुनिन्दा पसंद में से है। मधुबनी चित्रकला दीवार, केन्वास एवं हस्त निर्मित कागज पर वर्तमान समय में चित्रकारों द्वारा बनायी जाती हैं। (विकिपीडिया बै साभार) 

 • जया डौर्बी के चित्रकला की सफर की कहानी - 

     रचनात्मक कार्यों के प्रति अनुराग उन्हें बचपन से ही था, शुभ कामों में इजा (मां) व उनकी सहेलियों को घर में ऐपण बनाते देख कला के प्रति लगाव पैदा हुआ, उन्होंने इजा व उनकी सहेलियों से कलाकारी के गुर सीखे और उनका कला के प्रति लगाव होता चला गया, उनका रूझान ऐपण बनाने की तरफ हो चला फलस्वरूप कम उम्र से ही ऐपण बनाने लगी। फरवरी 2018 के करीब उन्होंने "ऐपण" कला को प्रसिद्ध दिलाने के मक़सद से कुछ नयां करने की सोची और बिहार की मधुबनी के साथ "ऐपण" कला को मिलाकर नया करना चाहा और शुरू किया "मिथिला ऐपण" नाम से कार्य । सोशल मिडिया के इंस्टाग्राम पर उन्होंने अपना 'मिथिला ऐपण' का अकाउंट बनाया और ऐपण व मधुबनी की एक साथ बनाई हुई पेंटिंग पोस्ट करती रहीं। इस दौरान कई प्रशंसकों ने उनके कार्य को सराहा। Aipan and Madhubani art by Jaya Dourbi.

           कला को बनाने की लागत वह स्वयं ही वहन करती हैं। परिवार में इजा-बाबू और अन्य सदस्यों का उन्हें काफी सहयोग प्राप्त होता है, मधुबनी का कार्य उन्होंने फरवरी 2018 में पहली पेंटिंग बनाकर की। बिहार के लोककलाकारों का सहयोग भी उन्हें  काफी मिलता रहा है । दूरदर्शन दिल्ली में कार्यरत होने से काफी व्यस्तात के बावजूद भी लोककला के लिए रात तक जागकर वे ऐपणमधुबनी कला के प्रति समर्पित हैं साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से दिल्ली में रहकर उत्तराखंड की लोककला ऐपण  को आगे बढ़ाने और प्रचार प्रसार में काफी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं । मधुबनी कला के लिए भी वे काफी समर्पित रहती हैं इसे बनाने के साथ ही वे कई उभरते मधुबनी के कलाकारों की कला को अपने इंस्टाग्राम पेज ‘ मधुबनी शेयरिंग ‘ के माध्यम से सोशल मीडिया पर प्रचार- प्रसार में जुटी हैं । उनके कार्य को हमेशा ही लोककलाकारों व कला प्रेमियों द्वारा सराहा जाता है । शोसल  मीडिया पर भी उनके हज़ारों प्रशंसक हैं । Aipan and madhubaniart by Jaya Dourbi.

आइए देखें जया डौर्बी की बनाई ऐपण के साथ मधुबनी पेंटिंग

    उन्होंने अभी तक ऐपणमधुबनी को साथ मिलाकर कई चित्र बनाए हैं कुछ प्रमुख निम्न प्रकार हैं  - 

(१).

(२).



(३).

(४).



(५).



(६).

(७).

(८).

(९).

(१०).



(११).
दशहरा पर्व पर उपयोग होने वाले द्वारपत्र पर मधुबनी और ऐपण का प्रयोग-


(१२).
कुमाउनी महिला का कुमाउनी परिधान में सुंदर चित्र ऐपण और मधुबनी के संग-



       कुल मिलाकर कह सकते हैं कि उन्होंने मधुबनी के साथ काफी बारीकी व सफ़ाई तथा सलीक़े से ऐपण को मिलाया है जो काफी आकर्षक लगता है। पशु, पक्षी, पेड़, प्रकृति, देवता आदि का समावेश मधुबनी पेंटिंग का प्रतिनिधित्व कर रही हैं साथ में ऐपण कला को मिलाया है गया है , यह सब काफी नवीन है । Aipan art by Jaya Dourbi.

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आइए देखें जया डौर्बी द्वारा बनाए ऐपण कला - 

    उन्होंने उत्तराखंड की ऐपण कला को रंग व ब्रुश के माध्यम से कपड़े व कागज पर उतारा है। जिससे ऐपण लोकप्रियता हासिल कर रही है । उनके द्वारा बनाए कुछ ऐपण कला निम्न हैं- 

(१).

(२).

(३).

(४).

(५).

(५).

(६).

(७).

आईए निम्न बिंदुओं द्वारा और करीब से जानें जया डौर्बी व उनकी चित्रकला से जुड़ी जानकारी- 


(दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान मधुबनी कला के लिए पद्मश्री प्राप्त बउवा देवी के साथ प्रोफ़ेसर सविता झा और जया डौर्बी )


• यूं हुई ‘मिथिला ऐपण’ की शुरूवात- 

       दिल्ली के कई कला मेले, हाट बाजारप्रदर्शनियों नें उन्हें मधुबनी के प्रति आकर्षित किया, मधुबनी कला ने उन्हें काफी आकर्षित किया फलस्वरूप मधुबनी का पहला चित्र फरवरी 2018 में बनाया बनाने के साथ ही मधुबनी के बारे में जानकारी एकत्र करने हेतु दिल्ली हाट बाजारों में मधुबनी के नामचीन व राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कलाकारों से मुलाक़ात कर जानकारी हासिल की, मधुबनी पर लिखी किताबों का अध्ययन किया और इस कला को गहराई से जाना। सोशल मीडिया में प्रचार करने के लिए इंस्टाग्राम पर ‘मधुबनी मैजिक’ नाम का खाता बनाया।   अपने उत्तराखंड की भूमी से बेहद अलाव के चलते यहां की ऐपण कला को प्रसिद्धी दिलाने के उद्देश्य से तथा अपने पसंदीदा ऐपणमधुबनी को एक साथ आगे बढ़ाने के लिए कुछ अलग करने की सोची इसके लिए उन्होंने ऐपण व मधुबनी को मिलाकर एक साथ प्रस्तुत किया, और इसी के चलते उन्होंने अपने पेज का नाम बदलकर ‘मिथिला ऐपण’ रखा।  ऐपण कला को गहराई से जानने के लिए भी उन्होंने ऐपण पर काफी खोजबीन की, किताबों का अध्ययन किया। ‘मिथिला ऐपण’ पेज पर यह प्रस्तुति अब तक जारी है। ‘मिथिला ऐपण’ की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके इस पेज से 7000 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं । अब तक इस पेज पर वो 200 से अधिक पोस्ट कर चुकी हैं । 

‘मधुबनी शेयरिंग’ के माध्यम से कर रही हैं मधुबनी  कलाकारों की कला का प्रचार- प्रसार - 


     जब से उन्होंने मधुबनी पर कार्य शुरू किया कई नए कलाकारों द्वारा उन्हें व्यक्तिगत मैसेज आते कि हमारी पोस्ट भी सांझा कर दीजिए, उन्हें व उनकी कला को पहचान दिलाने के लिए उन्होंने लॉकडाउन के दौरान मार्च 2021 में इंस्टाग्राम में मधुबनी शेयरिंग’ नामक खाता बनाकर उन्होंने मधुबनी के नए कलाकारों की पेंटिंग को मंच दिया । वहीं कुछ ही महीनों के बहुत कम समय में उनके इस पेज से देश ही नहीं विदेश से भी तीस हज़ार पाँच सौ (30, 500) से अधिक लोग जुड़ चुके हैं । इस पेज पर वो अब तक मधुबनी से जुड़ी विभिन्न कलाकारों के 1000 से ज्यादा पेंटिंग को पोस्ट कर चुकी हैं । 


समर्पित व निस्वार्थ भाव से लोककला को आगे ले जाना है उनका उद्देश्य - 
 भारतीय लोक कला की परंपरा व इस कला को निस्वार्थ भावना से बढ़ाना उनका परम उद्देश्य है। उनका मानना है कि उत्तराखंड की लोककला ऐपण को आगे बढ़ाने के लिए लोक कलाकारों को काफी मेहनत करने की ज़रूरत है अगर एक साथ मिलजुलकर इस लोककला के लिए कार्य किया जाए तो यह भी जल्दी ही विश्व पटल पर कला प्रेमियों की पसंद बनेगी। अपनी कला को व्यवसायिक रूप देने में फिलहाल उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं है। अपनी बनाई कला को बेचना उन्हें अटपटा लगता है। अपनी कला को बेहतर बनाने व इसमें निखार लाने के लिए हर बार नए-नए प्रयोग करना उन्हें अच्छा लगता है इसका इस्तेमाल वह हर नए चित्र में करती हैं। 

जानें जया डौर्बी से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी - 

कुमाउनी भाषा, संस्कृति पहाड़ से बेहद लगाव है-



    जया डौर्बी का जन्म भले ही दिल्ली में हुआ हो बचपन दिल्ली में गुजरा हो पर उत्तराखंड मूल की होने से इजा- बाबू (माता-पिता) का सानिध्य ने उन्हें अपनी कुमाउनी भाषा संस्कृति के संस्कार सिखाएं और गर्व करना सिखाया। वे अपने को कुमाउनी  होने पर गर्व महसूस करती हैं । 

• धाराप्रवाह कुमाउनी बोलती हैं -



   दिल्ली में रहकर ही उन्होंने इजा-बाबू से फर्राटेदार कुमाउनी बोलना सीखा, अच्छी खासी कुमाउनी वे जानती हैं। 

• जया डौर्बी इन लोगों के लिए प्रेरणा हैं -

     जो आज अपनी मातृभाषा कुमाउनी बोलने में हिचकिचाते हैं या शर्म करते हैं । जो अपनी अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर से दूर हैं ,  या इसका महत्व को समझना नहीं चाहते। दिल्ली की आबोहवा में पली जया डौर्बी अपनी कुमाउनी भाषा संस्कृतिपहाड़ के साथ गहराई से जुड़ी हैं । वर्तमान की युवा पीढ़ी के लिए वो प्रेरणा की मिशाल हैं । 

जया डौर्बी का समाज व लोककलाकारों को  संदेश- 

    उनका कहना है कि कला को हम बाँधे नहीं रख सकते इसे जितना चाहें हम विस्तार दे सकते हैं,  हमें अपनी भारतीय कला को आगे बढ़ाने के लिए काफी कार्य करने की ज़रूरत है। हमें अपनी उत्तराखंडी कला, भाषा संस्कृति के लिए समर्पित रहना चाहिए उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए हमारे नौजवानों को बढ़-चढ़कर भागीदारी करनी होगी। हमें परिणाम की चिंता किए बगैर अपनी विरासत को आगे बढ़ान में योगदान देना होगा ।  नई पीढ़ी को अपनी जड़ों की अहमियत जानना होगा ।  






जया डौर्बी : संक्षिप्त परिचय - 

              26 वर्षीय सुश्री जया डौर्बी मूलत: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ग्राम बिष्ट कोटुली (रानीखेत) से हैं । उनके बाबू का नाम श्री चिंतामणी डौर्बी व इजा श्रीमती इंदिरा देवी डौर्बी है । जन्म दिल्ली में हुआ, बचपन भी यहीं बीता, पढ़ाई भी दिल्ली में ही हुई। मास कम्यूनिकेशन में परास्नातक तक पढ़ाई के पश्चात वर्तमान में दूरदर्शन दिल्ली में कार्यरत हैं कला, साहित्य, संगीत, घुमक्कड़ी आदि उनके प्रमुख शौक हैं । उत्तराखंड की होने से अपनी कुमाउनी संस्कृति से खासा लगाव रखती हैं और पहाड़ से काफी गहराई से जुड़ी हैं। दिल्ली में रहकर त्तराखंडी लोक कला ऐपण को नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान अदा कर रही हैं, साथ ही मधुबनी के लिए भी उल्लेखनीय कार्य में जुटी हैं । बिहार की विश्वविख्यात मधुबनी के संग उत्तराखंड की लोक कला ऐपण  को एक साथ प्रस्तुत करके कला क्षेत्र में नया प्रयोग के साथ ऐपण कला को नया आयाम दे रही हैं।

          जया डौर्बी ज्यू दगाड़ आपूं सोशल मीडिया में इन लिंकों द्वारा जुड़ सकछा-

• जया डौर्बी ट्विटर लिंक

• जया डौर्बी इंस्टाग्राम लिंक

• मिथिला ऐपण इंस्टाग्राम लिंक

• ‘मधुबनी शेयरिंग’ लिंक -

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प्रस्तुति- ललित तुलेरा, अल्मोड़ा (उत्तराखंड)

ललित तुलेरा Lalit Tulera

मो.- 7055574602

tulera.lalit@gmail.com


• पोस्ट बै जुड़ी आपुण बिचार तलि कमेंट करिया या वटसप नंबर 7055574602 पर बताया । 




टिप्पणियाँ

पुष्कर ने कहा…
अतिसुन्दर ❤️ 👌
Vinod SINGH TULERA ने कहा…
बहुत सुन्दर
Unknown ने कहा…
बहुत सरहानीय #छोटे😘
Unknown ने कहा…
बहुत सरहानीय #छोटे😘
Unknown ने कहा…
भौते भल काम,तुम पर गभृ छु हमकु,कभत पहाण आला तो मिलिया,

Neetesh ने कहा…
Excellent Work, Keep Going
Neetesh ने कहा…
Excellent Work, Keep Going
Lalita Dourbi ने कहा…
जया बहुत बहुत बधाई हो तुम्हें। अपनी संस्कृति को लेकर जो काम कर रहे हो बहुत ही सहारनिय है। सबसे अच्छा लगता जब तुम्हारे नाम के आगे डौरबी देखती हूं। god bless you dear😘😘
Dipika bhatnagar ने कहा…
Amazing work jaya. Keep spreading motivation and positivity with your art. You are an inspiration for many women's. Keep up and wish you lots of success. You are an born artist.
Unknown ने कहा…
बहुत सुन्दर एवं उत्तम प्रयास ।मेरी ओर से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें प्रेषित है ।खूब तरक्की करो,प्रभु से यही प्रार्थना है ।

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