बिहार की विश्वप्रसिद्ध ‘मधुबनी’ पेंटिंग के साथ उत्तराखंड की ‘ऐपण’ कला को नया आयाम दे रही हैं जया डौर्बी
(घर की सीढ़ियों में बनाई गई ऐपण कला)
• जया डौर्बी के चित्रकला की सफर की कहानी -
रचनात्मक कार्यों के प्रति अनुराग उन्हें बचपन से ही था, शुभ कामों में इजा (मां) व उनकी सहेलियों को घर में ऐपण बनाते देख कला के प्रति लगाव पैदा हुआ, उन्होंने इजा व उनकी सहेलियों से कलाकारी के गुर सीखे और उनका कला के प्रति लगाव होता चला गया, उनका रूझान ऐपण बनाने की तरफ हो चला फलस्वरूप कम उम्र से ही ऐपण बनाने लगी। फरवरी 2018 के करीब उन्होंने "ऐपण" कला को प्रसिद्ध दिलाने के मक़सद से कुछ नयां करने की सोची और बिहार की मधुबनी के साथ "ऐपण" कला को मिलाकर नया करना चाहा और शुरू किया "मिथिला ऐपण" नाम से कार्य । सोशल मिडिया के इंस्टाग्राम पर उन्होंने अपना 'मिथिला ऐपण' का अकाउंट बनाया और ऐपण व मधुबनी की एक साथ बनाई हुई पेंटिंग पोस्ट करती रहीं। इस दौरान कई प्रशंसकों ने उनके कार्य को सराहा। Aipan and Madhubani art by Jaya Dourbi.
कला को बनाने की लागत वह स्वयं ही वहन करती हैं। परिवार में इजा-बाबू और अन्य सदस्यों का उन्हें काफी सहयोग प्राप्त होता है, मधुबनी का कार्य उन्होंने फरवरी 2018 में पहली पेंटिंग बनाकर की। बिहार के लोककलाकारों का सहयोग भी उन्हें काफी मिलता रहा है । दूरदर्शन दिल्ली में कार्यरत होने से काफी व्यस्तात के बावजूद भी लोककला के लिए रात तक जागकर वे ऐपण व मधुबनी कला के प्रति समर्पित हैं साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से दिल्ली में रहकर उत्तराखंड की लोककला ऐपण को आगे बढ़ाने और प्रचार प्रसार में काफी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं । मधुबनी कला के लिए भी वे काफी समर्पित रहती हैं इसे बनाने के साथ ही वे कई उभरते मधुबनी के कलाकारों की कला को अपने इंस्टाग्राम पेज ‘ मधुबनी शेयरिंग ‘ के माध्यम से सोशल मीडिया पर प्रचार- प्रसार में जुटी हैं । उनके कार्य को हमेशा ही लोककलाकारों व कला प्रेमियों द्वारा सराहा जाता है । शोसल मीडिया पर भी उनके हज़ारों प्रशंसक हैं । Aipan and madhubaniart by Jaya Dourbi.
• आइए देखें जया डौर्बी की बनाई ऐपण के साथ मधुबनी पेंटिंग -
उन्होंने अभी तक ऐपण व मधुबनी को साथ मिलाकर कई चित्र बनाए हैं कुछ प्रमुख निम्न प्रकार हैं -
(१).
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• आइए देखें जया डौर्बी द्वारा बनाए ऐपण कला -
उन्होंने उत्तराखंड की ऐपण कला को रंग व ब्रुश के माध्यम से कपड़े व कागज पर उतारा है। जिससे ऐपण लोकप्रियता हासिल कर रही है । उनके द्वारा बनाए कुछ ऐपण कला निम्न हैं-
(१).
(२).
(३).
(४).
(५).
(५).
(६).
(७).
• यूं हुई ‘मिथिला ऐपण’ की शुरूवात-
दिल्ली के कई कला मेले, हाट बाजार व प्रदर्शनियों नें उन्हें मधुबनी के प्रति आकर्षित किया, मधुबनी कला ने उन्हें काफी आकर्षित किया फलस्वरूप मधुबनी का पहला चित्र फरवरी 2018 में बनाया बनाने के साथ ही मधुबनी के बारे में जानकारी एकत्र करने हेतु दिल्ली हाट बाजारों में मधुबनी के नामचीन व राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कलाकारों से मुलाक़ात कर जानकारी हासिल की, मधुबनी पर लिखी किताबों का अध्ययन किया और इस कला को गहराई से जाना। सोशल मीडिया में प्रचार करने के लिए इंस्टाग्राम पर ‘मधुबनी मैजिक’ नाम का खाता बनाया। अपने उत्तराखंड की भूमी से बेहद अलाव के चलते यहां की ऐपण कला को प्रसिद्धी दिलाने के उद्देश्य से तथा अपने पसंदीदा ऐपण व मधुबनी को एक साथ आगे बढ़ाने के लिए कुछ अलग करने की सोची इसके लिए उन्होंने ऐपण व मधुबनी को मिलाकर एक साथ प्रस्तुत किया, और इसी के चलते उन्होंने अपने पेज का नाम बदलकर ‘मिथिला ऐपण’ रखा। ऐपण कला को गहराई से जानने के लिए भी उन्होंने ऐपण पर काफी खोजबीन की, किताबों का अध्ययन किया। ‘मिथिला ऐपण’ पेज पर यह प्रस्तुति अब तक जारी है। ‘मिथिला ऐपण’ की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके इस पेज से 7000 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं । अब तक इस पेज पर वो 200 से अधिक पोस्ट कर चुकी हैं ।
• ‘मधुबनी शेयरिंग’ के माध्यम से कर रही हैं मधुबनी कलाकारों की कला का प्रचार- प्रसार -
• कुमाउनी भाषा, संस्कृति व पहाड़ से बेहद लगाव है-
जया डौर्बी का जन्म भले ही दिल्ली में हुआ हो बचपन दिल्ली में गुजरा हो पर उत्तराखंड मूल की होने से इजा- बाबू (माता-पिता) का सानिध्य ने उन्हें अपनी कुमाउनी भाषा संस्कृति के संस्कार सिखाएं और गर्व करना सिखाया। वे अपने को कुमाउनी होने पर गर्व महसूस करती हैं ।
• धाराप्रवाह कुमाउनी बोलती हैं -
दिल्ली में रहकर ही उन्होंने इजा-बाबू से फर्राटेदार कुमाउनी बोलना सीखा, अच्छी खासी कुमाउनी वे जानती हैं।
• जया डौर्बी इन लोगों के लिए प्रेरणा हैं -
जो आज अपनी मातृभाषा कुमाउनी बोलने में हिचकिचाते हैं या शर्म करते हैं । जो अपनी अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर से दूर हैं , या इसका महत्व को समझना नहीं चाहते। दिल्ली की आबोहवा में पली जया डौर्बी अपनी कुमाउनी भाषा संस्कृति व पहाड़ के साथ गहराई से जुड़ी हैं । वर्तमान की युवा पीढ़ी के लिए वो प्रेरणा की मिशाल हैं ।
• जया डौर्बी का समाज व लोककलाकारों को संदेश-
उनका कहना है कि कला को हम बाँधे नहीं रख सकते इसे जितना चाहें हम विस्तार दे सकते हैं, हमें अपनी भारतीय कला को आगे बढ़ाने के लिए काफी कार्य करने की ज़रूरत है। हमें अपनी उत्तराखंडी कला, भाषा संस्कृति के लिए समर्पित रहना चाहिए उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए हमारे नौजवानों को बढ़-चढ़कर भागीदारी करनी होगी। हमें परिणाम की चिंता किए बगैर अपनी विरासत को आगे बढ़ान में योगदान देना होगा । नई पीढ़ी को अपनी जड़ों की अहमियत जानना होगा ।
जया डौर्बी : संक्षिप्त परिचय -
26 वर्षीय सुश्री जया डौर्बी मूलत: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ग्राम बिष्ट कोटुली (रानीखेत) से हैं । उनके बाबू का नाम श्री चिंतामणी डौर्बी व इजा श्रीमती इंदिरा देवी डौर्बी है । जन्म दिल्ली में हुआ, बचपन भी यहीं बीता, पढ़ाई भी दिल्ली में ही हुई। मास कम्यूनिकेशन में परास्नातक तक पढ़ाई के पश्चात वर्तमान में दूरदर्शन दिल्ली में कार्यरत हैं। कला, साहित्य, संगीत, घुमक्कड़ी आदि उनके प्रमुख शौक हैं । उत्तराखंड की होने से अपनी कुमाउनी संस्कृति से खासा लगाव रखती हैं और पहाड़ से काफी गहराई से जुड़ी हैं। दिल्ली में रहकर उत्तराखंडी लोक कला ऐपण को नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान अदा कर रही हैं, साथ ही मधुबनी के लिए भी उल्लेखनीय कार्य में जुटी हैं । बिहार की विश्वविख्यात मधुबनी के संग उत्तराखंड की लोक कला ऐपण को एक साथ प्रस्तुत करके कला क्षेत्र में नया प्रयोग के साथ ऐपण कला को नया आयाम दे रही हैं।
जया डौर्बी ज्यू दगाड़ आपूं सोशल मीडिया में इन लिंकों द्वारा जुड़ सकछा-
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प्रस्तुति- ललित तुलेरा, अल्मोड़ा (उत्तराखंड)
मो.- 7055574602
tulera.lalit@gmail.com
• पोस्ट बै जुड़ी आपुण बिचार तलि कमेंट करिया या वटसप नंबर 7055574602 पर बताया ।
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