दूर गौं में रूणी हेमा जोशी कि ऐपण कला

    हमर कुमाउनी समाजकि अलग भाषा, संस्कृति छु। जैक आपुण अलग पछयाण छु। यांक लोक जीवन में लोककलाक कई रूप छन जो हम लोगों व संस्कृति प्रेमियोंक बदौलत बची हुई छन । हमर कुमूं (कुमाऊँ ) में ‘लोक कला’क रूप हौर भारतीय लोक कला है बेर भौत अलग तो न्हैं लेकिन यांक लोक जीवन में कला शुभ कामों में भौत मायने धरैं। कुमाउनी लोक कला - मूर्ति कला, काष्ठ कला, धातु कला , चित्रकला समेत हौर कलाओं में बांटी हुई छु। चित्रकला में ऐपण कला खाश छु । हमर समाजक कई संस्था व संस्कृति प्रेमी आपण - आपण तरफ बटी ऐपण कलाक परंपरा व बिरासत बचूण में व वीक देश दुनी में प्रचार - प्रसार करण में जुटी हुई छन । 
       यासै एक ऐपण कला प्रेमी छन बागेश्वर जिल्लक गरूड़ बलौक में सिमखेत (गुठयार) गौंक च्येलि हेमा जोशी। घर में उनूकैं पिंकी नामल जाणनी। साल २०१६ बै उनूल ऐपण बणूण शुरू करौ। माकोट में उनूल आपणि मामि कैं ऐपण बणून देखौ और वां बै उनूकैं ऐपण बणूणकि सीख मिलै तथा ऐपण कलाक प्रति उनर ध्यान गो ।
 घरों में ऊं शुभ काजों में लाल माटक लिपी खोई में ऐपण निकालनी और बुरूसक माध्यमल म्हाव (देइ) में सफ़ेद व लाल  रड.क प्रयोग कर बे ऐपण बणूनी । 

  आओ देखनू उनार बणाई कुछ खाश ऐपण...


   घरक देइ में लाल व सफेद रंड.क प्रयोग करि बुरूसक द्वारा बणाई उनार ऐपण - 


 शुभ कामों में पुज - पाठक लिजी ऐपण कला द्वारा सजाई थाइ - 

  घरक देइ में निकाली हुई ऐपण जमें बारीक कलाकारी करी छु -






  पुजक बेदि में निकाली हुई ऐपण कला - 
   पुजक काम में उणी थाइ में निकाली ऐपण - 





घरक खव (आगण ) में बणाई ऐपण - 



उनर द्वारा घरक  मंदिर में बणाई ऐपण- 


हेमा जोशी ‘पिंकी)
   ( गौं- घराक सबै कामों बै फुरसत पै बेर ऐपण कला कैं हेमा जोशी आपुण शौकक तौर पर बणूनी। रचनात्मक कामों में उनर मन जादे लागूं। उनूंल आपणि प्राइमरी तक पढ़ाइ गौं में करै और ऐल रा.पीजी महाविद्यालय बागेश्वर बै एम.ए. करणीन। ऐपण कलाक अलाव संगीत, मेहंदी कला, सिलाइ, पढ़न-लिखण आदि में उनर खूब मन लागूं। ऐपण कला कैं ऊं सांस्कृतिक बिरासतक रूप में अघिल बढून चानी ऊं चानी की हमरि य पछ्याण व बिरासत बचि सको और पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रवो । ) 



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