‘मीनाकृति: द ऐपण प्रोजेक्ट’ द्वारा ऐपण कला कैं नईं पछयाण दिणै मीनाक्षी खाती

         हमर कुमूं (कुमाऊँ ) में ‘लोक कला’  कई रूप छन ।कुमाउनी लोक कला - मूर्ति कला, काष्ठ कला, धातु कला , चित्रकला समेत हौर कलाओं में बांटी हुई छु। चित्रकला में ऐपण भौत प्रसिद्ध छु । जो शुभ काम-काजों में बणाई जानी। लाल मा्ट या गेरू द्वारा लिप बेर भिजाई चावों (चावल) पिसी जानी जकैं बिस्वार कुनीबिस्वारक घोल द्वारा लिपी हुई जाग में शुभ काम - काज ( ब्या- बरात या त्यार) क मौक पर ऐपण बनाई जानी । आ्ब मौडन जमानक हिसाब ऐपणक रूप में अंतर ऐगौ । लाल व सफेद रड. व बुरूशल ऐपण बनाई जाणई। हमर समाजक कई संस्था व संस्कृति प्रेमी आपण - आपण तरफ बटी ऐपण कलाक परंपरा व बिरासत बचूण व वीक देश दुनी में प्रचार - प्रसार करण में जुटी हुई छन ।
   के चीज कैं करणकि लालसा हो तो मन लगै बेर उ काम कैं बखूबी करी जै सकींछ । एक मोह मीनाक्षी खाती मन में लै उपजौ कुमाउनी संस्कृतिक लोक कला में फेमस ऐपण कला कैं ल्हि बेर । उ आपणि इज व आ्म कैं नानछना बै घरों पन शुभ कामों में ऐपण कला कैं बणाते हुए देखछी और अकलदार हुण पर वीक मन में लै ऐपण कलाल प्रति रूची बढ़ै । फिर वील लै ऐपण बणून शुरू करौ और भौत कम टैम में ऐपण कला में भल काम करण भैटै। 


  ( मीनाक्षी खाती ऐपण बणाते हुए ) 
 वीक ऐपण कलाक हुनरक बदौलत प्रदेश स्तर पर प्रदर्शन  में भाग ल्हिण पर लोगोंल उकें ‘ ऐपण गर्ल अॉफ कुमाऊँ’ नाम दे । ‘मीनाकृति: द ऐपण प्रजेक्ट’ जरियल ऊं ऐपण कला कैं नईं पछयाण दिनई । 
• कि छू ‘मीनाकृति : द ऐपण प्रोजेक्ट’?
  य प्रोजेक्ट कुमाऊँक ऐपण कला कैं बचूण व वीक बिकासकि  एक पहल छु जमें कई नौजवान व महिला काम करनई। य प्रोजेक्ट बै जुड़ी हौर जानकारी य प्रकार छु- 

• य प्रोजेक्टकि शुरवात 8 दिसंबर 2019 हुं मीनाक्षी खातील अापुण परवाराक लोगों द्वारा शुरू करै।
 * मीनाकृति नाम यसिक धरी गो - 
• ‘मानाकृति’क मतलब रंगों कैं मिलैबेर बणाई कला हुं यैक मिलान द्याप्तोंक लिजी बणाई कलाक लिजी करी जां । 
 • य टीम में ऐल 15 झण काम करनई जमें ४ लौंड, ६ चेली और ५ सैणी छन ।
   * ऐपण कला कैं रोज़गारक रूप दिण में जुट रीं -
 • स्थानीय लोक कलाकार आपुण खर्चल य पुर काम कैं करनई और आर्थिक मधतक बगैर लोक कला कैं रोज़गारक रूप दिण में जुट रीं ।
      * मौडन प्रयोगों द्वारा ऐपण कला कैं बिस्तार दिणई-
• गौं , स्कूल, सोशल मीडिया , ऐपण कार्यशाला द्वारा कलाकारों कैं ऐपणोंक लिजी प्रेरित करी जाणौ । 



                       
      * अॉनलाइन करी गो ऐपण प्रतियोगिता
   • कोरोना महामारी दौरान लॉकडाउन में ‘२२ अप्रैल बटी -१ मई २०२० तक सेल्फी विद ऐपण प्रतियोगिता’ आयोजित करी गे । य प्रतियोगिता ‘मीनाकृति : द ऐपण प्रजेक्ट’क फ़ेसबुक पेज में करी गो जमें प्रदेश व देश भर बै १०० है सकर प्रतिभागियोंल भाग ल्हे। ०७ मई २०२० हुं फ़ेसबुक पेज में लाइव ऐ बेर मानाक्षी खाती ल बिजेताओंक घोषणा करै। बिजेताओं कैं धनराशि ईनाम रूप में दिई गे।
* प्रदर्शनियों में करनी शिरकत
   • देश प्रदेश स्तर पर हुणी ऐपण प्रदर्शनियों में भाग लेते रूनी।
* मौडन प्रयोगों द्वारा ऐपण कला में करनई काम 
   ऐपण कला कैं मौडन जमानक हिसाबल कई रूपों में बणाई जाणौ जमें लाल व सफेद रंड. द्वारा बुरूशक माध्यमल ऐपण बणूनई। ऐपण चौकी, भित्तिचित्र, नेमप्लेट, कोस्टर आदि चीज़ बणाई जाणई जनूमें बारीक कलाकारी करी जैं। मीनाक्षी खाती व  टीम द्वारा बणाई ऐपण कलाक उत्पादोंक कुछ चित्र पेश छन -  

















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मीनाक्षी खाती 
(‘ऐपण गर्ल अॉफ कुमाऊँ’ )
( अल्मोड़ा जिल्लक ताड़ीखेत ब्लॉक में मेहलखंड गौं में उनर जनम भौ। प्राइमरीक पढ़ाइ गौं कै प्राइमरी स्कूल में भै । अघिलकि पढा़ई लिजी ग्राम छोई रामनगर गई वां बारवीं तक पढ़ाइ पुर करै  व रामनगरै बै आ्ब कला बै स्नातक में पढ़ाई करनई। राज्य स्तर पर आयोजित प्रदर्शनियों में भाग लेते रूनी। प्रदेश स्तर पर ऐपण कला में भल काम करण पर ‘ महिला मातृशक्ति सम्मान’ द्वारा सम्मानित करी गो। उनर ‘मीनाकृति : द ऐपण प्रोजेक्ट’ क माध्यमल ऐपल कला कैं आधुनिकत तकनीकक प्रयोग करि बेर जनमानस तक पुजुण व युवा पीढ़ी कैं हमरि संस्कृति व लोक बिरासतकि तरफ ल्यूणक कोशिश छु। ऐपण कला कैं परदेश व देश में कुमाउनी समाजक बीच लोकप्रिय बणूनै लिजी सोशल मीडिया, स्कूलों में ऐपणकि वर्कशॉप, गौंओं में ऐपणक प्रशिक्षण दिणकि कोशिश करनई । ऐपण प्रोजेक्टक जरीयल स्थानीय कलाकारों कैं मंच लै मिलण रौ व य कला रोजगारक तरफ लै जाणौ। कुल मिलै बेर मीनाक्षी खाती हमरि लोक कला व बिरासक कैं नई तकनीकोंक इस्तमाल कर बेर नई रूप व दिशा दिणक काम करनई ताकि हमरि य बिरासत बचि सको और यैक प्रचार- प्रसार होते रवो, पीढ़ी दर पीढ़ी परंपरा रूप में चलते रवो।) 



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• प्रस्तुति - ललित तुलेरा ( लाहुर घाटी , बागेश्वर )
पोस्ट बै जुड़ी आपुण बिचार तलि कमेंट करिया या वटसप नंबर 7055574602 पर बताया । 




टिप्पणियाँ

Pramod Bhatt ने कहा…
उत्तराखंड की संस्कृति को ऐसे हूनर वालों की जरूरत है। बहुत खूब।
  

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