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मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

‘मीनाकृति: द ऐपण प्रोजेक्ट’ द्वारा ऐपण कला कैं नईं पछयाण दिणै मीनाक्षी खाती

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         हमर कुमूं (कुमाऊँ ) में  ‘लोक कला’ क   कई रूप छन । कुमाउनी लोक कला - मूर्ति कला, काष्ठ कला, धातु कला , चित्रकला समेत हौर कलाओं में बांटी हुई छु। चित्रकला में  ऐपण भौत प्रसिद्ध   छु । जो शुभ काम-काजों में बणाई जानी। लाल मा्ट या गेरू द्वारा लिप बेर भिजाई चावों (चावल) पिसी जानी जकैं  बिस्वार कुनी । बिस्वारक घोल द्वारा लिपी हुई जाग में शुभ काम - काज ( ब्या- बरात या त्यार) क मौक पर ऐपण बनाई जानी ।   आ्ब मौडन जमानक हिसाब ऐपणक रूप में अंतर ऐगौ ।   लाल व सफेद रड. व बुरूशल ऐपण बनाई जाणई।   हमर समाजक कई संस्था व संस्कृति प्रेमी आपण - आपण तरफ बटी ऐपण कलाक परंपरा व बिरासत बचूण व वीक देश दुनी में प्रचार - प्रसार करण में जुटी हुई छन ।    के चीज कैं करणकि लालसा हो तो मन लगै बेर उ काम कैं बखूबी करी जै सकींछ । एक मोह  मीनाक्षी खाती  मन में लै उपजौ कुमाउनी संस्कृतिक लोक कला में फेमस ऐपण कला कैं ल्हि बेर । उ आपणि इज व आ्म कैं नानछना बै घरों पन शुभ कामों में ऐपण कला कैं बणाते हुए देखछी और अकलदार हुण पर वीक म...

सुमित्रानंदन पंत ज्यूकि 1938 में छपी कुमाउनी कबिता ‘बुरूंश’

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जनम - 20 मई 1900, कौसानी ( अल्मोड़ा) मृत्यु -  28 दिसंबर 1977, प्रयागराज पुरस्कार - ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्म विभूषण ( • ‘ चिदम्बरा " रचनाक लिजी 1968 में ज्ञानपीठ पुरस्कार बै सम्मानित। • " कला और बूढ़ा चांद " क लिजी 1960 क साहित्य अकादमी पुरस्कार । यैक अलावा कई प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कारों बै सम्मानित। )  उनरि आपणि मातृभाषा 'कुमाउनी' में लेखी कबिता ‘  बुरूंश  ’ य परकार छु -     बुरूंश   सार जंगल में त्विज क्वे न्हां रे क्वे न्हां  फुलन छै के बुरूंश जंगल जस जलि जां । सल्ल छ , द्यार छ , पई, अयांर छ  सबनाक  फाड.न  में पुड.नक  भार छ । पै त्वि में दिलैकि आग , त्वि में छ ज्वानिक फाग  रगन में नई ल्वै छ, प्यारक खुमार छ  सारि दुनी में मेरी सू ज क्वे न्हां  मेरि सू कैं रे त्योर फूल जै अत्ती भां  काफल कुसुम्यारु छ , आरु छ , आखोड़ छ  हिसालु , किलमोड़ छु, पिहल सुनुक तोड़ छ  पै त्वि में जीवन छ , मस्ती छ , पागलपन छ  फूलि बुंरुश ! त्योर जंगल में को जोड़ छ ? सार जंगल में त्विज क्वे न्हां रे क्वे न्हां...

दूर गौं में रूणी हेमा जोशी कि ऐपण कला

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    हमर कुमाउनी समाजकि अलग भाषा, संस्कृति छु। जैक आपुण अलग पछयाण छु। यांक लोक जीवन में लोककलाक कई रूप छन जो हम लोगों व संस्कृति प्रेमियोंक बदौलत बची हुई छन । हमर कुमूं (कुमाऊँ ) में ‘लोक कला’ क रूप हौर भारतीय लोक कला है बेर भौत अलग तो न्हैं लेकिन यांक लोक जीवन में कला शुभ कामों में भौत मायने धरैं। कुमाउनी लोक कला - मूर्ति कला, काष्ठ कला, धातु कला , चित्रकला समेत हौर कलाओं में बांटी हुई छु। चित्रकला में ऐपण कला खाश छु । हमर समाजक कई संस्था व संस्कृति प्रेमी आपण - आपण तरफ बटी ऐपण कलाक परंपरा व बिरासत बचूण में व वीक देश दुनी में प्रचार - प्रसार करण में जुटी हुई छन ।         यासै एक ऐपण कला प्रेमी छन बागेश्वर जिल्लक गरूड़ बलौक में सिमखेत (गुठयार) गौंक च्येलि  हेमा जोशी । घर में उनूकैं पिंकी नामल जाणनी। साल २०१६ बै उनूल ऐपण बणूण शुरू करौ। माकोट में उनूल आपणि मामि कैं ऐपण बणून देखौ और वां बै उनूकैं ऐपण बणूणकि सीख मिलै तथा ऐपण कलाक प्रति उनर ध्यान गो ।  घरों में ऊं शुभ काजों में लाल माटक लिपी खोई में ऐपण निकालनी और बुरूसक माध्यमल म्हाव (देइ) म...

५ दिनी औनलाइन कुमाउनी शिक्षण कार्यशाला लौकडाउन में पुर भै

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   कोरोना महामारीक दौरान लौक-डाउन में लोग-बाग कई किस्मकि चीजों कैं करण रीं, उमें खुदक क्वे शौक हो या क्वे खाश मीटिंग या क्वे कार्यक्रम । उसी तो कोरोना महामारी में क्वे लै यास कार्यक्रम नी करण छन जमें ख़ूब मैंस एकबटिनी मगर यैक लै तोड़ मैंस टैक्नोलौजिक इस्तमाल करि बेर निकालणई। कुमाउनी लिजी एक नई व खाश कार्यक्रम ‘ टेक्नो हब: विचारों और नवाचारों का मंच’ क ओर बै  ‘कुमाउनी शिक्षण कार्यशाला’ कार्यक्रम  करी गो जो १८ बटी २२ मई २०२० तक चलौ ।    य कुमाउनी शिक्षण कार्यशाला ‘गो टू मीटिंग’ वेबसाइड में औनलाइन करी गो। जमें प्रतिभागियोंल आपण-आपण घर में भै बेर भाग ल्हे। य कार्यक्रम रात्ती ११ बाजी बटी दोफरि ०१ बाजी तक करीब द्वि घंटक छी जमें डॉ. दिवा भट्ट (अल्मोड़ा) , श्रीमती कमला पंत (देहरादून), भारती पांडे (देहरादून), डॉ. हयात सिंह रावत (अल्मोड़ा) खास बक्ता छी ।           य पांच दिनी कुमाउनी शिक्षण कार्यशालाक श्रीमती कमला पंत ज्यूल संचालन करौ । श्रीमती भारती पांडे ज्यू कुमाउनी शब्द, कहावत, आण, का्थ आदि तमाम ख़ास चीज़ों पर आपण बिचार धरी ...

पहरू कुमाउनी पत्रिका मई २०२० अंक में छपी कुमाउनी रचनाकार

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                पहरू   कुमाउनी भाषाक महैनवार छपणी पत्रिका छु। य  एक पत्रिका ई ना बल्कि एक मुहिम लै छु हमरि दुदबोलि कुमाउनी भाषा व संस्कृति कैं बचूणकि और उकैं अघिल बढूणकि। हमरि कुमाऊँ अंचलकि भाषा हमरि दुदबोलि कुमाउनीक बिकासै लिजी ११ सालों बटी पहरू पत्रिका कुमाउनी भाषाक सेवा में वीक साहित्यक भकार भरण में लागि रै। कुमाउनी भाषा में कुमाउनी भाषा प्रेमी व लेखकोंक कठिण मिहनतल आज साहित्यकि हर विधा में रचना हुण रई,  दिन पर दिन हमरि कुमाउनी भाषा तरक्की करनै। आजक दौर में हमूकैं हिंदी, अंग्रेजी भाषा सिखण लै जरूरी छन मगर जो हमरि दुदबोलि व पछ्याण छु- कुमाउनी भाषा, वीक लै हिफाजत दगाड़-दगाड़ै करण चैं। इकैं हमूल आपण कर्तव्य समझि बेर आपण पछ्याण कैं ज्यून धरण में योगदान दिण चैंछ।             २००८ बटी य पत्रिका कुमाउनी भाषाक बिकास में समर्पित छु जमें कुमाउनी में कविता, वंदना ,कहानी, लेख, निबंध, व्यंग्य,  नानिकाथ, उपन्यास अंश, अनुवाद, यात्रा वृतांत, कुमाउनी बाल संसार साहित्य, बातचीत, समाचार, समेत कई विधाओं ...

‘उज्याव’ : कुमाउनी भाषा में उत्तराखंड सामान्य ज्ञानकि पैंल किताब

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कुमाउनी भाषा में उत्तराखंड सामान्य ज्ञानकि पैंल किताब        कुमाउनी भाषा , साहित्य , संस्कृति बिकासै लिजी भाषा, साहित्य,  संस्कृति प्रेमियों द्वारा कई किसमकि प्रयास बर्षो बटी चल रीं । इनरै प्रयासोंक बदौलत आज  कुमाउनी भाषा में तमाम विधाओं में भरपूर साहित्य देखिण हुं मिलनौ और भाषा कैं मजबूती मिलनै ।           कुमाउनी में उत्तराखंड सामान्य ज्ञानकि किताब हूण ठुलि बात छु । कुमाउनी भाषा में उत्तराखंड सामान्य ज्ञानकि किताब मई २०१२ में सामणि ऐ, और यै है पैंली कुमाउनी में उत्तराखंड सामान्य ज्ञानकि किताब न्हैंती। यैई कारणल य कुमाउनी भाषा में उत्तराखंड सामान्य ज्ञानकि पैंल किताब कई जै सकीं ।             किताब में लेखकक कूण छु कि उनूल य किताब हमार नानतिनों कैं कुमाउनी भाषाक ओर ध्यान दिण व कुमाउनी कैं पढ़न- लेखन क मकसदल लेखि रौ। अगर हमर उत्तराखंड सामान्य   ज्ञानक लिजी एक ठुल ग्रंथ लेखी जाओ तो उलै कम पड़लि मगर य किताब में लेखकल कई खाश मुद्दों पर कुशलताल नानतिनोंक लिजी जानकारी जुटै रै और कित...

‘मनकि बात मनै में रै’ : कुमाउनी में गजलकि पैंल किताब

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कुमाउनी में गजलकि पैंल किताब        कुमाउनी भाषा में गजलकि य किताब सामणि ऊण से पैंलीए बै रचनाकारों द्वारा कुमाउनी गजल लेखिते ऊणाछी । नामी कुमाउनी कवि श्री शिवदत्त सती ल उन्नीसवीं सदीक शुरू में गजल लेखणकि शुरूआत करि हैछी। कुमाउनीक कई कवियों द्वारा गजल लेखी गई जो पत्र पत्रिका व उनकि कविताक किताब में देखिण में उनी ।      कुमाउनी में गजल लेखण में नामी रचनाकार श्री महेन्द्र मटियानी (1943-2012)  ज्यूक स्थान भौत ठुल छु। मटियानी ज्यूल कुमाउनी गजल कैं नई मुकाम दे। उनर याद में कुमाउनी भाषाक नामी पत्रिका पहरू अगस्त २०१३ अंक महेन्द्र मटियानी स्मृति गजल विशेषांक रूप में छपौ जमें कुमाउनीक नई-पुराण करीब ३५ है बेर सकर कवियोंक गजल छपीं। आओ जाणनू कुमाउनी गजलकि पैंल किताबक बार में ... किताब २०१६ में प्रकाशित भैछ। यैक प्रकाशन बै जुड़ी जानकारी य छु -  किताबक भूमिका प्रो. शेर सिंह बिष्ट ज्यू द्वारा लेखी छु और किताब में करीब ३० गजल शामिल छन ।   किताबक पैंल गजल य छु -  किताब में आँखिरी में पाँच शेर य...