‘मनकि बात मनै में रै’ : कुमाउनी में गजलकि पैंल किताब
कुमाउनी में गजलकि पैंल किताब
कुमाउनी भाषा में गजलकि य किताब सामणि ऊण से पैंलीए बै रचनाकारों द्वारा कुमाउनी गजल लेखिते ऊणाछी । नामी कुमाउनी कवि श्री शिवदत्त सती ल उन्नीसवीं सदीक शुरू में गजल लेखणकि शुरूआत करि हैछी। कुमाउनीक कई कवियों द्वारा गजल लेखी गई जो पत्र पत्रिका व उनकि कविताक किताब में देखिण में उनी ।
कुमाउनी में गजल लेखण में नामी रचनाकार श्री महेन्द्र मटियानी (1943-2012) ज्यूक स्थान भौत ठुल छु। मटियानी ज्यूल कुमाउनी गजल कैं नई मुकाम दे। उनर याद में कुमाउनी भाषाक नामी पत्रिका पहरू अगस्त २०१३ अंक महेन्द्र मटियानी स्मृति गजल विशेषांक रूप में छपौ जमें कुमाउनीक नई-पुराण करीब ३५ है बेर सकर कवियोंक गजल छपीं।
आओ जाणनू कुमाउनी गजलकि पैंल किताबक बार में ...
किताब २०१६ में प्रकाशित भैछ। यैक प्रकाशन बै जुड़ी जानकारी य छु -
किताबक भूमिका प्रो. शेर सिंह बिष्ट ज्यू द्वारा लेखी छु और किताब में करीब ३० गजल शामिल छन ।
किताबक पैंल गजल य छु -
किताब में आँखिरी में पाँच शेर य प्रकार छन -
गजलोंक अलावा किताब में गजल, उरूज, तकती क बार में भल जानकारी दिई छु । कुल ७० पेजकि य किताब कुमाउनी भाषा में गजलकि पैंल किताब छु ।
लेखक परिचय -
(डॉ. महेन्द्र महरा ‘मधु’)
‘मधु’ नामल प्रसिद्ध रचनाकार, कवि , साहित्यकार महेन्द्र सिंह महरा ज्यूक जनम १५ जून १९६७ में भौछ । इनरि इज नामी कुमाउनी कवियित्री देवकी महरा छन । मूल रूपल ग्राम- कौसानी जि. -बागेश्वर निवासी ‘मधु’ इंटर कॉलेज चितई , अल्मोड़ा में हिंदी क प्रवक्ता छन । हिंदी में इनार कविता , कहानी, लघु नाटिका किताब छपी छन और पत्र पत्रिकाओं में इनरि रचना छपते रूनी ।
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