संदेश

अगस्त, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ललित तुलेरा की 5 कुमाउनी कविताएं

चित्र
ललित तुलेरा की 5 कुमाउनी कविताएं ललित तुलेरा जनम - 25 जून 1999 निवासी - ग्राम- सलखन्यारी, गरूड़ (बागेश्वर) उत्तराखंड लेखन- कुमाउनी व हिंदी में कविता, लेख, समीक्षा आदि। मो.-7055574602 ईमेल- tulera.lalit@gmail.com ब्लाॅग- Kumaunibhasa.blogspot.com 1. पछयाण पहरूवो!  कां गेछा रे? किलै बुज री आँख? किलै फरकै रौ मुख? अणपूछ किलै है रै ? किलै डौंसी रछा निझरक ? कलटोव, निमुजि, बेफिकर किलै ? मट्टीपलीत, जड़उबाड़, कुकुरगत किलै ? चहान-चहौता किलै ना ? निग्वाव गुसैंक किलै बणै रौ ? जड़ बुस्यै घाम किलै लगूंछा। धार वौर, ढीक नजीक आओ उघाड़ो आँख, चिताव हवो। तुम उनर औलाद छा जो तुमर भरौस सौंप जैरी पछयाण, संस्कृति, दुदबोलि। खड़पट्ट, बजी जा्ल        निखाणि हलि, गाड़ बगल सब। के जबाब देला भोवक दिन आपणि आनि-औलाद कैं?  2. धाद माइक लालो!  धौंस, डोंडारी, ऐंठ बजरमुखी किलै? चुईक बा्ट निकवल। छम-बिछम, तड़ी, नड़ि-बेद किलै? मनखी छा यार। बुथ्यै खाणी,  मौकै-मौकै बेर किलै? द्वि र्वटै तो खाला। छरब हंकार,  द्वछै बेर किलै? मा्ट है जाला। धौ-धीत में आओ थिर -थाम मे...

कुमाउनी ब्यंग्य : अमरीकन एंटीवायरस कच्छ

डॉ. पवनेश ठकुराठी         ग्राम-बड़ालू, पिथौरागढ़          मो.-9528557051        ब्या वक टैम छी। शर्मा ज्यू आपण लिंटर में लाल रङक नानू-नान जङी पैरि बेर यां बै वां रिटन राछी। उ जङी जै कि भै सेम टू सेम बाबाज्यूक लंगोट भै। उनूकैं देखि बेर पैंली मैंकैं बिश्वासै नि भै। तौ शर्मा ज्यू छनी या क्वे एक्टर छन। कती फिलमकि शूटिंग त नि करनाय। उसि कै लै अछालून सिनेमा-फिलमक जमान छ। सिनेमा-फिलम ले यसि जै में सब नाङड़ है बेर नाचते रूनी। फिर मैंकैं ख्याल आ, कती शर्मा ज्यू जङीयक एडबरटाइज त नि करनाय, किलैकी  शर्मा ज्यू कैं तस चीजोंक भौत शौक छी। मैंल आपण आँखा तीन-चार फ्यार चिम-चिम कै बेर चिमी, फिर भौपरीना मैंस जै यथकै- उथकै नजर दौड़ै। वां क्वे और नि छी। हां बगल वाल मकानक लिंटर में द्वी छ्योड़ी मुबाइल कान में लगै बेर चैटिंग-सैटिंग जरूर करनाछी। आ्ब मैं निझरक है गैछ्यूं कि यां तसि क्वे बात नि है रै। मैंल शर्मा ज्यू कैं गौरल चा। ऊं पुर नाङडै़ छी। बस, तल आङ में उ लाल रङक जङी छी। सांचि कूं त मैंकैं शर्मा ज्यू कैं देखि बेर शरम ऐ पड़ी, ठीक उसीकै जस...

कुमाउनी इंटरव्यू : आपुणि भाषा में कई बात जल्दी समझ में ऐंछ - देवकी महरा

देवकीनंदन भट्ट 'मयंक'  तीनपानी, हल्द्वानी, मो.-99177441019ग उ सी तो कुमाउनी भाषाकि ‘महादेवी’ नामल बिभूषित देवकी महरा क्वे परिचयक मोहताज न्हांतिन। उनर लिजी योई नौं ‘देवकी महरा’ सारगर्भित और स्वनाम धन्य छु। उनूथें ‘कुमाऊं कोकिला’ लै कई जां। फिर लै देवकी महरा कैं बिभूषित करणी सार्थक नामों में एक नाम ‘नारी बिमर्शकि साहित्यिक धारा: देवकी महरा’ और जुड़ सकौं तो यमें क्वे अतिशयोक्ति नि होलि, किलैकी ऊं आपुण शैशव काल बटी आज 84 सालकि उमर तक उरातार ऊर्जावान है बेर हिंदी और कुमाउनी जगत कैं सुवासित करण लागि रई। पिछाड़ि दिनौ उनू दगै बात चीत करणक मैंकें मौक मिलौ, जो पाठकों सामणि प्रस्तुत छ- सवाल- देबकी दी! मातृभाषा कुमाउनी में गीत और कबिता लेखणकि परेरणा आपूं कैं कां बै मिली? यो बात मैं आपुण कुमाउनी कबिता संग्रह ‘निशास’ और ‘पराण पुंतुर’ क संदर्भ में जाणन चानू। जबाब- जब बटि होश समालौ, मैं हमेशा संस्कार गीत, झोड़ा, हुड़की बौल, जागर आदि कार्यक्रमों में भाग लिई करछी। उनूकैं याद करणकि कोशिश लै करछी। नई-नई गीत बणौणकि कोशिश करछी। यो गीत, यो धुन सब म्यार मन में रची-बसी छी। हमेशा नई-नई रचना बणै बेर...

कुमाउनी कहानी : आँसु आँखन बै उनी

              डॉ.आनंदी जोशी  जी.आई.सी.रोड, पिथौरागढ़ मो.-9917369140    भौ तै मेहनती मैंस छी शेर सिंह ज्यू। आपण बाबुकि बुड़यांकावकि संतान हुनाक वील ऊं जादातर दगडुनाक शेरू का छी। बाद में आस्ते-आस्ते ऊं सा्र गौं वालनाक शेरू का है गोछी। दिन-रात काम करि बेर लै शेरू का पटै नि चितूंछी। ज्यौड़-गयूं बाटन, फिण बणून, लुट बणून, छां खुकड़न, खा्ण पकूण, भा्न माजन, कप्ड़ ध्वीन, हव बान, गोड़न-नेवन, काटन-चुटन, लकाड़ फाड़न, बाव काटन जास सबै काम करनाक ऊं सिपाव भ्या। द्वी बखत गौंक सभापति लै रई। लोग सलाह-मशबिरा करनै थैं उनरि पास आई करछी। पुर इलाक में ठुलि हाम छी उनरि। सबनाक दुख-सुख देखनी, आर-सार करनी एक मददगार इंसान छी शेरू का। भुक-तिस बटावन कैं पाणि पेऊनी, खा्ण खऊनी और जाग-ठौर दिनी उनन जौ मैंस गौं में क्वे दुहर नीछी। भुली-भटकी कैं बा्ट बतून ऊं आपण धरम समजछी। शेरू का बतूंछी कि उनूल नानछना बै दुख ठेलौ। तीन बैणिन बाद पैद भईं और जब डेढ़ सालाक छी उनार बौज्यू मरि गोछी। उनरि इजल बड़ि बिपत्ति में पाली, एक्कै डालूनि ढकन चार नानतिन। बैणिनल इस्कूलक मूखै नि देख। नानछना बटी...

कुमाउनी लेख - अल्माड़क मुहर्रम : ऐतिहासिक संदर्भ

मुहम्मद नाजिम अंसारी भाटकोट रोड तिराहा, पिथौरागढ़ मो.-87550 53301     उ सिक पुर देश में मुहर्रमक त्यार इमाम हुसैन क बलिदान दिवस रूप में मनाई जां पर कुमाऊंक पहाड़ि इलाक में रूणी वाल पहाड़ी मुसलमान आपण खास पहाड़ी तरिकल य त्यार मनूनी। यां हिंदू-मुसलमान सबै मुहर्रम में शामिल हुनी। इस्लाम धरम में चंद्रदर्शन हिसाबल जो सालाक बार महैण छन, उनन में पैंल महैणक नाम मुहर्रम छु। य महैणक नाम पर यैकें मुहर्रम कई जां। मुहर्रम महैणक पैंल तारिख बटी नई साल शुरू हुंछ, जैकें मुसलमान खुश है बेर नि मनून किलैकी य महैण में एक दुखद घटना घटी। यो महैणक दस तारिख हुणि इस्लाम धरमाक महान पैगम्बर (अवतार) मुहम्मद सैपक नाति (चेलिक च्यल) इमाम हुसैन और उनार परिवारक 72 लोग करबलाक मैदान में बेदर्दीक साथ शहीद कर दिई गई। उनरि बलिदानकि याद में हर साल मुहर्रमक महैण में ताजिया निकाली जानी। करबलाक ऐतिहासिक लड़ै किलै लड़ी गेछी? के य द्वी राजांक बीचकि लड़ै छी? के य लड़ै राजपाट प्राप्त करणा लिजी छी? यो सवालनाक उत्तर जाणनै लिजी करबलाक काथकि जानकारी जरूड़ी छ- इराक में उ बखत यजीद नामक राज छी, उ भौतै भ्रष्ट और अय्यास आदिम छी। खलीफा ह...

कुमाउनी लेखः घण चलूण बटी निदेशक तकक सफर - लीला टम्टा

चित्र
-ललित तुलेरा ई मेल- tulera.lalit@gmail.com       उ  बखत देश कैं नई आजादी मिल रछी। गरीबी, अभाव, अशिक्षा समाज में पसरी छी। चेलि कां, लौंड लै भौत कम इस्कूल जाई करछी। उ चेलि बड़भागि हुंछी जैकें इस्कूल नसीब है सकौ और उ उच्च शिक्षा पै सकौ। शिक्षा पाणक लिजी गरीब परवार तरस छी। यस कठिन बखत में एक हुस्यार किरसाण चेलि आपण बौज्यूक कारबार में हात बटूनै पढ़ाई करनै रै। बौज्यूक पितव, ता्म, लू आदिक भा्न-कुन बणूनक कारबार छी। बौज्यू दगै भा्न-कुन बणून में हात बटूंछी। घण लै चलाई करछी। गरीबी व अभाव में बिती बचपन बै ल्हिबेर शिक्षा निदेशक बै रिटायर हुणक सफर सबन कैं सीख दिणी छु। ऊं स्वाभिमानल आपुण बा्ट बणूनै गई। समाज हित और जिंदगीक ब्यस्तता कारण उनूल ब्या नि कर और ऊं सदा समाजै लिजी लौलीन रई।  (सुश्री लीला टम्टा)         सुश्री लीला टम्टा ज्यूक जनम अल्माड़ नगरक टम्टा मुहल्ल में 04 मार्च 1938 ई. हुं भौ। आपूंक इजक नौं श्रीमती गोमती देवी और बौज्यूक नौं श्री प्रेम लाल टम्टा छी। आपूंकि पराइमरी शिक्षा दर्जा 1 बै 10 तलक पढ़ाई ‘एडम्स गल्र्स हाईस्कूल, अल्मोड़ा’ में भै, वीक बाद आपू...

कुमाउनी लेख : देवकी महरा और उनर साहित्य

डॉ. गीता खोलिया एशोसियेट प्रोफेसरः हिंदी  एस.एस.जे. वि.वि.अल्मोड़ा मो.-9412042208 ‘‘मैं कणि देवकीकि कबिता देवकीई जसि लागनी। तिनाड़-तिनाड़ कट्ठ करि बेर घोल बणूनी चाड़-प्वाथनै चार, उलै गुद-गुद जमक्यूंछि और खपाड़ भितेर हालणि बखत बिरति है जांछि वी कणि। आब त उ भोवक समाव, ब्याखुलै जुगुत, अमकणै फिकर, फलसणै जिगर है लेक मुक्ति खोजणै आपणि कबितान में। पंगत-पंगत पीड़ छु गीतन में वीक। सैत योई नियति छु वीकि-   तिमुलि का पात मजी लसकनी खीर छू।       मरोड़िया पात जसी म्यर मनकि पीड़ छू।।           (डाॅ. प्रयाग जोशी, ‘पराण पुन्तुर’ )       अनुभूति अभिब्यक्तिकि पैंल सिढ़ि छू। मैंसनक अपेक्षा स्यैणिनकि अभिब्यक्ति में तीव्र अनूभूति, बिचारनकि बिबिधता, गंभीर भाव और बोलिक सौंदर्य भौत जादा देखीं, किलैकी स्यैणिनकि मन कोमल, संबेदनशील और भावुक हूं। तबै त इनरि रचना भौतै मर्मस्पर्शी और ग्राह्य बण जैं। श्रीमती देवकी महरा ज्यूक साहित्य पढ़नक बाद य बात सांचि लागैं। वास्तव में इनूल अपुण मनकि सांचि भावनाओं कैं सरल शब्दन में ढ़ालि बेर स्यैणिनकि मनकि सहज अनुभूति ...