कुमाउनी चिट्ठी - आँशु भरि उनी पढ़बेर
जब फोन नी हुंछी तब चिट्ठी क जमान छि , चिट्ठी लेखि बेर आशल-कुशल ल्हिई जांछी । गौं - घरौं पन तब पढ़ी - लेखी मैंस भौत कम मिलछी यानी चिट्ठी लेखणी व पढ़णी लै कम मैंस छी। जो अनपढ़ हुंछी उ चिट्ठी लेखि मांगछी पढ़ि मांगछी। कुमाउनी प्रेमक चिट्ठी में खाश चीज य हुंछी कि यमें कुमाउनी जोड़ कैं लेखि बेर आपुण दिलकि बात कई जांछी। तब चिट्ठी-पत्री डाक 📮द्वारा भेजी जांछी, डाकियक बड़ इंतजार रूंछी।
घरवाइ द्वारा घरवाव हुं लेखी कुमाउनी चिट्ठी क यसै एक नमुन कुमाउनी साहित्यकार महेन्द्र ठकुराठी ज्यू द्वारा लेखी छु। राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन २०१९ में य चिट्ठी लेखण पर उनूकैं 'इन्द्र सिंह रावत स्मृति कुमाउनी प्रेम पत्र लेखन योजना २०१९' में कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी अल्मोड़ा क ओर बटि पुरस्कार लै मिली छु।
(पहरू कुमाउनी पत्रिका जनवरी २०२० अंक बै साभार)
कुमाउनी चिट्ठी क लै आपुण भल इतिहास रई छु। कयेक फौजी, शहरों में नौकरी करणी मनखी आपुण खबरबात कुमाउनी भाषा में चिट्ठी लेखिबेर दिई करछी। आजक जमान में चिट्ठी लेखणक परचलन सुणिण मात्र रै गो।
(कुमाउनी साहित्य संसार में भल नाम कमै चुकी महेन्द्र ठकुराठी ज्यू मूल रूपल पिथौरागढ़ जिल्लक सोर घाटी क रौणी छन।)
टिप्पणियाँ