खसकुरा (पुरानी पहाड़ी) शब्दकोश : 'यूनेस्को' से सहायता प्राप्त कुमाउनी शब्दकोश




ललित तुलेरा
tulera.lalit@gmail.com

           कुमाउनी भाषा में पैंल शब्दकोश सन 1983 में ´कुमाउनी हिंदी व्युत्पत्तिकोश´ रूप में सामणि ऐ¸ जैक कोशकार कुमाउनी भाषा बिद्वान डॉ. केशवदत्त रूवाली (अल्मोड़ा) छी। वीक बाद साल 1985 में 'कुमाउनी हिंदी शब्दकोश' रूप में दुसरि शब्दोकोश देखिण में ऐ। य कोशक कोशकार कुमाउनी भाषाक मर्मज्ञ बिद्वान डॉ. नारायण दत्त पालीवाल ( अल्मोड़ा ) छी । यैक बाद कएक भाषा बिद्वानों द्वारा कुमाउनी शब्दकोशोंकि रचना करी गे। 
      इन शब्दकोशों में एक छु- ´खसकुरा (पुरानी पहाड़ी ) शब्दकोश´। य शब्दकोश कैं 'यूनेस्को' द्वारा मान्यता लै मिलै और वित्तीय मधत लै प्रदान करी गो। कुमाउनी भाषाकि य शब्दकोश कैं लेखक द्वारा खसकुरा शब्दकोश नाम दिई गो। 

खसकुरा- 
विद्वानोंक मानण छु कि कुमाऊँ में पैंली ‘खश’ जाति निवास करछी। यई तर्ज पर कोश में लेखक द्वारा खसकुरा शीर्षक पर जानकारी दिई गे कि पुर पर्वतीय अंचल में अफगानिस्तान बै चंपारण तिरहुत तक नैना देवीक कयेक पुजक जाग सुमेरी सभ्यताक कुषाणों द्वारा प्रसारित करी जाणक प्रमाण छन। वी काल में गइया (गैया), मैया, पैंली, चिट्ठी, बोट, भनेर, हविक(हविष) आदि सैकड़ों शब्द हिमालय वा्ल इलाकों में रोज ब्यौहार में ऊण लागीं जो आज लै देखीनी।
                                            

       य भाषा कैं इष्ट इंडिया कंपनी और गोरखा शासकोंक बीच संधी पत्रों में पर्वतीय लेखी गो जबकि भारतीय भाषा सर्वेक्षण में इकें ‘खसकुरा’ नाम दिई छु। लंदन में प्राच्यविद्या विभागक राल्फ लिली टर्नर द्वारा पर्वतीय, खसकुरा और नेपाली इन तीनों नामों कैं पर्यायवाची कै बेर खसकुरा कैं मान्यता दी रै। इनूल नेपाली भाषा शब्दकोश सन् 1931 में लेखि रै । 

आओ जाणनू खसकुरा ( पुरानी पहाड़ी ) शब्दकोशक बार में - 
               
कोशक कबर

                    य शब्दकोश पी.सी द्वादश श्रेणी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड बड़ा बाज़ार अलीगढ़-202001 बै छपी छु । 



• युनेस्को द्वारा कुमाउनी शब्दकोशक अन्तर्राष्ट्रीय महत्व कैं देखते हुए कोश निर्माण अनुबन्धक लिजी एशिया और प्रशान्त क्षेत्रक मुख्यालय बैंकाकक आमंत्रण आ। य कोश 659 पेजकि छु जो आपुण में कई बिशेषताओं कैं समेटी हुई छु ।  बिदेश में य कोशकि कीमत ३० डालर छु और भारत में ६०० रूपैं छु ।कोश में अनुक्रमणिका य प्रकार छु जमें ११३ बटी ६१७ पेज तक कुमाउनी शब्दकोश दिई छु - 




   कोश में कुमाउनी हिंदी वर्णमालाक बै अक्षरक अर्थ दे  रीं।  नमून रूप में द्वी पेज य प्रकार छन - 






      शब्दकोश में लेखक द्वारा जुटाई हुई चित्रलिपी व उ बै जुड़ी जानकारी य कोश कैं अद्भुत बणै दिनी। बै तक वर्णोंक बार में बिशेष जानकारी दिरै जो लेखककि मिहनत कैं उजागर करैं और य जानकारी कोश में चार चाँद लगै दिनी। कुछ चित्रलिपी (चित्राअक्षर ) व वर्णों बै जुड़ी जानकारी वा्ल चित्र पेश छन- 

 अक्षर बै जुड़ी बिशेष जानकारी -


ई अक्षर बै जुड़ी बिशेष जानकारी


ए अक्षर बै जुड़ी बिशेष जानकारी-


ऐ अक्षर बै जुड़ी बिशेष जानकारी

ओ अक्षर बै जुड़ी बिशेष जानकारी-




क अक्षर बै जुड़ी बिशेष जानकारी


अक्षर बै जुड़ी बिशेष जानकारी- 


च अक्षर बै जुड़ी बिशेष जानकारी-


ड. अक्षर बै जुड़ी बिशेष जानकारी-



य अक्षर बै जुड़ी बिशेष जानकारी-



              कोशक बार में कई बिद्वानोंल आपणि राय दे रीं जैक हिसाबल य कोशक महत्व व लोकप्रियता कैं आंकी जै सकीं। किताब बै कुछ चित्र- 





'खश' शब्दक महत्व कैं देखते हुए शब्दकोशक आंखिरी कबर पन्न में कत्यूरी राजा ललित शूरदेवक ताम्रपत्रक चित्र -


***
 कोशकार परिचय- 

(य फोटुक कोश में एक पेज में छपी छु )  

 यमुनादत्त वैष्णव 'अशोक' 

        यमुनादत्त वैष्णव ‘अशोक’ य कोशक कोशकार छन । ऊं भल इतिहासकार, साहित्यकार, उपन्यासकार, कथाकार छी । कुमाउनी भाषा संस्कृतिक बिद्वान छी। उनर जनम 02 अक्टूबर 1915 हुं अल्मोड़ा जिल्लक कौसानी नजीक धौलरा गौं में भौ । साल 1990 तक उनार 34 किताब छपि ग्याछी जनूमें- विज्ञान कथा साहित्य संबंधी 07 कथा संग्रह15 उपन्यास  08 हिन्दी विज्ञान साहित्य, 05 संस्कृति और इतिहास बै जुड़ी किताब शामिल छी । कुमाऊं संस्कृति परिषद ,नैनीतालक अध्यक्ष लै रईं । उनूकैं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'द्रविण और विश्व मानवता'ग्रन्थ पर संस्कृति पुरस्कारल सम्मानित करी गईं। पैंल विश्व हिन्दी सम्मेलन नागपुर में जनवरी 1975 मेँ 'कुमाउनी  और अन्तर्राष्ट्रीय रोमनी (जिप्सी) भाषा'क समानता पर उनूल निबन्ध पढ़ौ। 
     युनेस्को द्वारा कुमाउनी शब्दकोशक अन्तर्राष्ट्रीय महत्व कैं देखते हुए कोश निर्माण अनुबन्धक लिजी एशिया और प्रशान्त क्षेत्रक मुख्यालय बैंकाकक आमंत्रण आ। मार्च1989 हुं उनूकैं  75वर्ष पूरे होने पर 02अक्टूबर सन 1990 हुं नैनीतालक बुद्धिजीवियों द्वारा अभिनन्दन करी गो और उनर ग्रन्थ "पुरस्कृत विज्ञान कथा साहित्य’क लोकार्पण करौ ।‘द्रविड़ संस्कृति और विश्व मानवता’ ग्रंथ पर उ. प्र. हिंदी संस्थान द्वारा ‘हजारी प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार मिलौ । 
• अक्टूबर 1973में राजकीय सेवा बै रिटायर हुणाक बाद कुमाउनी में आपण शोध निबंध ‘वैदिक तथा प्रागार्य सुमेरी शब्द’ कुमाऊँ विश्वविद्यालयक हिमालयन स्टडीज सेमीनीर में पेश करौ । 
     कुमाउनी भाषा में सुमेरी तथा प्रावैदिक शब्द’ क आपण शोध निबंध पर सं रा. अमेरीका में हुण लागी अनुसंधानक बिषय में भाषण दिण हुं इलिनोय, शिकागो, लोकफोर्ड , लास एंजिल्स में बुलाई गईं । 
    उ. प्र. हिंदी संस्थान द्वारा कुमाउनी शब्दकोश निर्माणक लिजी प्रधान संपादक बणाई गईजमुनादत्त वैष्णव जिंदगीक आंखिरी सालों में तल्लीताल, नैनीताल रूंछी । 

टिप्पणियाँ

ghanshyam andola ने कहा…
भौतै भल उपाम छ ललित जी छिटकी सहित्य एकबोट्यूण का वास्ता।��
Dr. Harish Chandara Andola ने कहा…
भौतै भल उपाम छ ललित जी

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