‘पहरू’ नवंबर २०२० अंक संपादकीय : बार सालक सफर



संपादक- डॉ. हयात सिंह रावत
अल्मोड़ा , उत्तराखंड 

पहरू पत्रिकाक बार सालक सफर पुर है गो। बार सालाक दरमियानपहरूकें पाठकोंक, रचनाकारोंक जो प्यार, सहयोग मिलौ, बेमिसाल छ। सबै पाठक यैक प्रचार-प्रसार में, ‘पहरूकें घर-घर पुजौन में आपण-आपण तरबै जुटी हुई छन, येकै वील आजपहरूसा्र देश में पढ़ी जनौ और बार साला भितर यैक भौत भल प्रसार है गो। आजपहरूदेशक कुण-कुण में पढ़ी जनै और करीब पच्चीस हजार लोग पढ़नई। हमरि लिजी विशेष खुशी बात यो लै कि आज कुमाउनी भाषा में लेखनेरोंकि एक भौत ठुलि जमात ठाड़ि है गै। बार सालों दरमियान सात सौ छप्पन 756 रचनाकारपहरूमें छपि गई।

आज करीब आठ सौ (800) है सकर लोग कुमाउनी में लेखनई। यतुक जादा तादाद में कुमाउनी रचनाकार हुण कुमाउनी भाषा विकासै लिजी शुभ लक्षण छन।  इन बार सालों में ;नवम्बर, 2008 बटि अक्टूबर, 2020 तक) ‘पहरूमें तमाम विधाओं /स्तंभों में छपी रचनाओंक विवरण यो प्रकार

वंदना/प्रार्थना-218, चिट्ठी-पत्री- 906, कहानि-361, लघु कथा-142, हास्य व्यंग ;गद्यद्ध-92, नाटक-54, समीक्षा, समालोचना-160, उपन्यास अंश-07, लोक का्थ-75, लेख-635, कविता-1421, अनुवाद-27, यात्रा वृतांत-59, संस्मरण-118, इंटरव्यू-19, शब्द चित्र-24, डायरी-08, आत्मकथा अंश-19, निबंध-116, जीवनी-131, पत्र लेखन-0 4 बार सालों में 2009 बटि शुरू कुमाउनी साहित्य सेवी सम्मान-110, 2011 बटि शुरू कुमाउनी भाषा सेवी सम्मान-43 2015 बटि शुरू कुमाउनी संस्कृति सेवी सम्मान-24, कुल-177 सज्जनों कें सम्मानित करी गो और 2010 बटि 2020 तक चली लेखन पुरस्कार योजनाओं में कुल-165 रचनाओं कें पुरस्कृत करी गो। 2009 बटि शुरूशेर सिंह बिष्टअनपढ़कविता पुरस्कारमें-11, 2012 बटि शुरूबहादुर बोराश्रीबंधुकहानी पुरस्कारमें 08, ‘शेर सिंह मेहता उपन्यास पुरस्कार (2015-2016) में 02, ‘प्रेमा पंत स्मृति खंड काव्य लेखन पुरस्कार 2016 में 03, ‘टीकाराम पांडे स्मृति महाकाव्य लेखन पुरस्कार 2013 में 01, ‘विक्टोरिया क्राॅस  कै. गजे घले  पुरस्कार 2018 2019 में 02, गंगा अधिकारी स्मृति नाटक पुरस्कार 2019 में 01,  कुल- 28 रचनाकारों कैं पुरस्कृत करी गो। बार सालों भितर बहादुर बोराश्रीबंधु, शेर सिंह बिष्टअनपढ़, मथुरादत्त अंडोला, महेन्द्र मटियानी, बचीराम पंतश्री कृष्ण, ब्रजेन्द्रलाल शाह, गिरीश तिवाड़ीगिर्दा, बालम सिंह जनोटी, शेरसिंह मेहता, मोहम्मद अलीअजनबी, प्रतापसिंह स्यूनरी, रमा पंत, चामूसिंह मेहता, डाॅ. केशवदत्त रुवाली पर विशेषांक तथा उनार जीवन काल में चारूचन्द्र पांडे, बंशीधर पाठकजिज्ञासु मथुरादत्त मठपाल पर केंद्रित अंक और महिला युवा रचनाकारों कें बढ़ावा दिनै लिजी युवा महिला विशेषांक निकाली गई।



पहरूमात्र एक पत्रिका न्हातैं, बलकन एक अभियान , एक आंदोलन -कुमाउनी भाषा कें अघिल बढूनक, वीकें देशाक हौर भाषाओं सामणि बराबरी में ठा्ड़ करनक, उनरि जमात में शामिल करनक, कुमाउनी भाषा कें मान्यता दिलौनक और उत्तराखंड में एक विषयाक रूप में इस्कूली कोर्स में शामिल करनक। यो लक्ष्य कें हासिल करनै लिजी हम सबन कें भौत मिहनत करणकि जरवत छ। रचनाकारों कें साहित्यकि हर विधा में श्रेष्ठ रचना लिजी साहित्य साधना करन पड़लि। जब हमा्र रचनाकार हर विधा में श्रेष्ठ साहित्य लेखाल, तब जैबेर कुमाउनी भाषा लै देशाक और संसाराक हौर भाषाओं सामणि बराबरी में ठा्ड़ है सकैं।



कुमाउनी भौत पुराणि भाषा छु। जै तकान हिंदी भाषाक साहित्य ब्रज और अवधी भाषाओं में लेखीनौछी, तकान गुमानी पंत और श्रीकृष्ण पांडे कुमाउनी भाषा में काव्य रचना करनौछी। यई नैं कत्यूरी चंद राजोंक शासनकाल में कुमाउनी यांकि राज-काज कि भाषा लै रई छु। कुमाउनी भाषाक शुरूवाती रचनाकार गुमानी पंत (1791-1846), श्री कृष्ण पांडे 1800-1850  बटी उरातार कुमाउनी में साहित्य ल्यखनक काम चलि रौ, जो आज तक जारी छु। फिरि लै हमरि भाषा कें उतुक आदर, मान-सम्मान नैं मिलि सक, जतुक मिलन चैंछी। यैक लिजी दोषी लै हम कुमाउनी लोगै छाँ। किलैकी जब हम आपणि भाषा कैं आदर और सम्मान द्योंल,  तबै हौर लै द्याल। हम आपणि भाषा कैं ह्याव करूंलौ, ल्याख नि लगोंलौ तो स्वाभाविक छु दुसर लै उसै करल।



                कुमाउनी भाषाक विकास और उकैं आदर, मान-सम्मान, मान्यता दिलौणै लिजी संस्थागत सामूहिक प्रयासोंकि जरवत समझी गै। किलैकी भाषा और संस्कृति आपस में सानी हुई छन। जब भाषा बचलि, अघिल बढ़लि, तबै हमरि संस्कृति लै बचलि, लै अघिल बढ़लि, तबै हमरि पछयाण लै बचलि। संस्कृति कें बचूणै लिजी भाषा कें बचैण जरूरी समझी गौ। तब जै बेरकुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समितिकसारदेवी, अल्मोड़ा नामल एक संस्थाक पंजीकरण सन् 2004 में करई गौ और नवम्बर 2008 बटिपहरूपत्रिका  शुरू भैछ। 2009 बै हर साल तीन दिनी राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन कराई गई। आज तक 11 बार्षिक सम्मेलन है गई। रचनाकारों सहयोगल समिति द्वारा तमाम विधाओं में आज तक 45 किताब छपि गई।



      आजपहरूकें बार साल पुर है गई। पाठकोंक प्यार और सहयोग हमरि ताकत लै और पूंजी लै। यैका बल परपहरूबार साल तक उरातार बिना नागा छपते रौ। उमीद कि अघिल कै लैपहरूकें पाठकोंक, रचनाकारोंक, कुमाउनी भाषा प्रेमियोंक प्यार, सहयोग और आशीर्वाद मिलते रौल, तबै हम आपण लक्ष्य कें हासिल करि सकुंल। •

पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका , वर्ष-१३, नवंबर २०२० अंक बै साभार । 

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टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
भौत खुशी कि बात छ।
संपादक ज्यू कैं और सब लेखक और सदस्यूं कैं बधाई।
उम्मीद करनूं कि यौ पत्रिका कुमाऊनी भाषा क् विकास में खूब मददगार साबित होलि।
Unknown ने कहा…
भौत भल प्रयास संपादक डॉ० हयात रावत ज्यू ,व उनरि सबै टीम द्वारा। आपूंक सबुक प्रयासोंकि सराहना व आपूं सबुक सहृदय धन्यवाद,नमन।
Unknown ने कहा…
भौत भल प्रयास संपादक डॉ० हयात रावत ज्यू ,व उनरि सबै टीम द्वारा। आपूंक सबुक प्रयासोंकि सराहना व आपूं सबुक सहृदय धन्यवाद,नमन।

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