कुमाउनी किताब समीक्षा : श्री गोलू स्तुति कथासार एवं आरती




समीक्षक- 


ललित तुलेरा 
उप संपादक- 
‘पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका
मो.-7055574602

    कुमाउनी व हिंदी लेखक डाॅ. ललित  चंद्र जोशी ‘योगी’ द्वारा लेखी ‘श्री गोलू स्तुति कथासार एवं आरती’ किताब छपि रै। 



य किताब कुमाउनी व हिंदी द्वि भाषाओं में लेखी जै रै। 47 पेजोंकि य किताब में 10 पेजों में गोल ज्यूकि कुमाउनी में स्तुति और करीब 20 पेजों में गोल ज्यूक हिंदी में का्थ लेखि रै। किताब में गोल ज्यूकि हिंदी में एक आरती, एक भजन और कुमाउनी में-
 
हिटो हिटो रे दगड़ियो हिटो गोलू ज्यू का द्वार हो।
 वां होलि भेट हमरी, वां मनूला त्यार हो।।
 चितई का थान जूंला, जूंला नैनीताल-घोड़ाखाला। 
 नागड़ा, निशाण, दिगेड़ि, नौ गजैक टांकि ल्हि जूंलो।।

नामक भजन शामिल छन। हिंदू देवी द्याप्तोंक 50 मंत्र लै य किताब में सामिल कर री दगाड़ै रंगीन में कुमू (कुमाऊँ) क  मनीला मंदिर, नैना देवी मंदिर, जागेश्वर मंदिर चितई मंदिर, कटारमल मंदिर समेत 20 है सकर मंदिरोंक फोटक एकबट्यै बेर छप रई।



कुल मिलै बेर य किताब कुमूक न्याय द्याप्त गोल ज्यूक जीवन और उनरि महिमा, चमत्कार कैं समाजकि सामणि धरणक एक भल प्रयास छु। कुमाउनी कैं घर-घर में लोकप्रिय बणूनै लिजी कुमाउनी भाषा में वंदना, प्रार्थना, आरती भजन, कीर्तन लै लेखी जाण जरूरी छन, जैक झलक य किताब में देखां हैं। लेखक डॉ. ललित चंद्र जोशी ‘योगी’ द्वारा  यो किताब में कुमाउनी में स्तुति, भजन लेख री।  अल्मोड़ा बुक डिपो, अल्मोड़ा द्वारा मार्च 2020 में छपी 21x 13.5 सेमी. आकारकि य किताबकि कीमत 51 रूपैं छु। •

किताब मगूणक लिजी - 
अल्मोड़ा बुक डिपो, अल्मोड़ा संपर्क नंबर-
+91 98379 97959
पर संपर्क करिया। 
पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका , नवंबर २०२० अंक बै साभार । 



•••

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

कुमाउनी जनगीत : उत्तराखंड मेरी मातृभूमि , मातृभूमी मेरी पितृभूमि

अमेरिका में भी उत्तराखंड की ‘ऐपण कला’ बनाती हैं डॉ. चन्दा पन्त त्रिवेदी

बिहार की विश्वप्रसिद्ध ‘मधुबनी’ पेंटिंग के साथ उत्तराखंड की ‘ऐपण’ कला को नया आयाम दे रही हैं जया डौर्बी

कुमाउनी शगुनआँखर गीत

कुमाउनी भाषा में इस वर्ष की आठ लेखन पुरस्कार योजनाएं

कुमाउनी भाषा में लेखी किताब और उना्र लेखक

खसकुरा (पुरानी पहाड़ी) शब्दकोश : 'यूनेस्को' से सहायता प्राप्त कुमाउनी शब्दकोश

सुमित्रानंदन पंत ज्यूकि 1938 में छपी कुमाउनी कबिता ‘बुरूंश’

दूर गौं में रूणी हेमा जोशी कि ऐपण कला

‘मीनाकृति: द ऐपण प्रोजेक्ट’ द्वारा ऐपण कला कैं नईं पछयाण दिणै मीनाक्षी खाती