कुमाउनी लेख: कोरोना और क़ानून

डॉ. के.सी. जोशी
दयाल विहार, हल्द्वानी
मो.-8958955266 
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  च्यालों भारतै में नैं बल्कि सारै संसार में एक अणकसी बीमारी फैल रै। यकैं कोरोना नाम दि राखौ। य यसि बला छू जैल अमेरिका जस ताकत देश लै हिलै हालौ। य कोरोना बिषाणु जैकैं कोविड-19 नाम दि राखौ, देखण में नी ऊन और मैंसों कणि बिमार कर द्यूं। बिषाणु एक आनुवंशिक सूक्ष्म टुकुड़ हुं जो प्रोटीनकि परतलि ढकी रौं। य बिषाणु स्वस्थ कोशिकाओं अपहरण करि बेर आपणि तादाद बणै ल्यों। जब य बिषाणु जीवित अवयवों में जै बेर बणन लागों तब संक्रामक बीमारी है जैं। कोरोना महामारी में यो बिषाणु श्वास संबंधी लक्षण पैद करनी जो भौत कष्टवाल हूं। य बीमारीक पैंल मामिल दिसंबर 2019 में चीन देशक बुहान शहर में पत्त लागौ और यस मानी जां कि य वां 17 नवंबर 2019 में है गोछी और चीनल यकणि छिपै दे। 
दुसर महायुद्धक बिनाशल दुनी कणि य सोचण पर मजबूर करि दे कि बिना संगठन बणाइए संसार में शांति और सुरक्षा नि है सकनि। यैकै लिजी संयुक्त राष्ट्र संगठन (यू.एन.ओ.) बणाई गोछी। य संगठन दुनी में शांति, सुरक्षा अलावा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक काम लै करूं। संसार में सेहत संबंधी काम देखणा लिजी यैक एक विशिष्ट एजेंसी लै छ जैथें ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ कूनी। य संगठन उ बीमारी कणि महामारी बतौं जो संसार में मस्त देशों में फैल जैं और जैक लिजी लोगनकि पास प्रतिरक्षा नि हुनि। महामारी घोषणा बाद य संभावना है जैं कि बीमारी समूहों में फैल जालि और यैक लिजी सरकारों और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं कैं तैयार रौण पड़ल। 1 मार्च 2020 क दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशकल एक पत्रकार सम्मेलन में बता कि पिछाड़ि द्वि हफ्तों में कोविड-19 ;कोरोनाद्ध मामुल चीन है भैर तेर गुणा बढ़ि गई और य बीमारिल ग्रस्त देश लै तिगुण है गई। उनूल य लै बता कि 114 देशों में ;संसार में 195 देश छन, जै में 193 संयुक्त राष्ट्र क सदस्य छन और द्वि देश फिलिस्तीन और बेटिकन ;होली सीद्ध यैक सदस्य न्हैंतनद्ध 18000 है बेर जादा मामिल यौ बीमारीक छन और 4291 लोग मरि लै गई। हजारों बीमार मैंस अस्पतालों में जिंदगी लिजी मौत दगड़ि लड़ण रई।
कोरोना भारत में ऐगो- 
य बात अब सबै जाणनी कि चाहे मैंसोंक बणाई छ या जानवरों बटि सरी छ, य महामारी चीनकि देन छ। वां य बुहान नामक शहर में पैद करी गे या पैद भैछ। 23 जनवरी 2020 का दिन दुनियल देखौ कि चीनल बुहान में यास सख्त स्वास्थक उपाय करी जा्स पैंली कभै नि भाय। शहर बुहान कणि ता्ल में जस बंद कर दे। शहराक सबै सड़क बंद करि देई। आवागमन रेल, रोड, वायुयान सब बंद कर दी। शहराक एक करोड़ दस लाख लोगों कणि उनार घरों में बंद कर दे। यस प्रतिबंध उ शहरों में लगाई जां, जो य बीमारी फैली।
चीनकि य कारवाई हमार लिजी एक प्रकारकि चेतावनी जसि छि कि य कोरोना कतुक जल्दी फैल जां और स्वास्थ्य सेवाओं पर कतुक असर डालूं। भारत में पैंल कोरोना मामिल 30 जनवरी 2020 में पत्त लागौ। मार्च तक य बीमारी भौत तेज है गैछि। यैक वास्ता सरकारकि चिंता बणि गेछि। य बीमारी सरणी भइ। यैक वास्ता आपसी स्पर्श, नाक मुख ढकण, आंखों पर हाथ नि लगूण, भीड़-भाड़ में नि जाण जास उपाय कारगर भाय। यौ महामारीक क्वे पक्की दवाई इंजक्शन आइ नि बणि रौछी, यैक लिजी भारत सरकारल कुछ उपाय शुरू करी।
रोकणा उपाय- य यसि महामारी छ जो बिना छुए लै लागि जैं। एक कोरोना मरीज जब दरवाजक हैंडिल पकड़ों या किताब, अखबार यास चीज पर हाथ लगों, भा्न-कुना में हाथ लगों या बस, रेल, रिक्स, आटो में बैठूं तो जो निरोगि आदिम इन चीजों पर हाथ लगाल तो बीमारी उकणि सरि जालि। यैक वास्ता य राष्ट्रीय मामिल पर केन्द्र सरकारल कारवाई शुरू कर दे। य इतुक गंभीर बीमारी छ कि प्रधानमंत्री कणि ये में देशवासियों कैं समझौण पड़ौ। यैक लिजी उनूल 22 मार्चक दिन सबै लोगों थें रत्तै बटि रात नौ
बाजी तक आपण घरों में रौणा लिजी कौ। यैक नाम ‘जनता कफ्र्यू’ धरी गोय, यैक उद्देश्य बीमारी सरण कें रोकणक छी।यैक बाद 24 मार्च 2020 का दिन प्रधान मंत्रील 21 दिनों लाकडाउन लगा। जैमें  सारै देश में आवाजाही बंद करी गेछी। लौकडाउन कणि फिर राज्योंक कौण पर अघिल कर दे और यैकें 31 मई तक बड़ै दे। य बीमारी इतुक करण पर लै कम नि हइ।
कोरोना कणि रोकणी कानून-
हमरि लोकतांत्रिक सरकार छ, यैक लिजी सरकाराक कामों कणि न्यायालयों में चुनौती दी जै सकैं। क्वे काम सरकार बिना कानून नि करि सकनि। सरकार द्वारा यो महामारी है बचूणा लिजी कुछ निर्देश देई गई, जनूकणि मानण जरूरी छ। जस कि भ्यैर जाण में मुख और नाख में मास्क लगूण, भीड़ नि लगूण , द्वि मीटर फासला धरि बेर हिटण, दुकान, बैंक, अस्पताल आदि में रौण, भ्यैर बै औण पर क्वारनटाइन में रूकण या घर में नियमाअनुसार क्वारनटाइन करण, यो नियम सरकारल बणै राखी। आब भौत लोग यास छन जो इन नियमों कणि नि मानन। यैक कारण महामारी और बड़ जंै। य इतुक खतरनाक महामारी छ कि 17 जून 2020 का दिन पुर देश में साड़े तीन लाख है बेर जादा मामिल छी और द्वि हजार है जादा लोग मरि ग्याछी।
सरकार एक तरफ महामारी कणि थामणा लिजी स्वास्थ्य संबंधी ब्यवस्था करणै, दुसरि तरफ ऊं लोगों कैं रोकणकि कोशिश करणै जो य महामारी कणि रोकण में पाचर डालणई। य काम द्वि मुख्य कानूनों द्वारा करी जां, जो यों छन-
1. महामारी अधिनियम, 1897-
य कानूनक पुर नाम महामारी रोग अधिनियम छ। य कानून अंग्रेजों शासनकाल में 1897 में बणाई गोछी। य कानून मुंबई में प्लेगकि महामारी कैं रोकणा लिजी बणाई गोछी। अंग्रेजी भाषा में द्वि शब्द छन इपिडमिक और पेनडेमिक । द्विनोंक संबंध महामारी दगड़ि छ। इपिडमिक में रोग भौत बड़ जांछ और एकै बखत मस्त लोग बीमारी है जानी। यै इपिडमिक तब पैनडमिक कई जांछ जब य और जादे इलाकों में फेल जांछ। म्वाट तौर पर य द्विए शब्द महामारी और देशांतरगामी महामारी द्वि रूप बतौनी।
महामारी रोग अधिनियम 1897 सबन है नान-केवल चार धाराओं वाल कानून छ। यैक उद्देश्य खतरनाक महामारी फैलण कण रोकण छ। य कानूनक द्वारा उ समयक ब्रिटिश गवर्नर जनरल स्थानीय अधिकारियों कैं महामारी रोकणा वास्ते मस्त और बिशेष अधिकार दि देई। यास बखत अस्थाई नियम लै बणाई जै सकनी जैल महामारी रोकी जै सकों। धार 2क केन्द्र सरकार कैं क्वे लै जहाजक निरीक्षण करण और क्वैलै मैंस कणि, जो जहाज में जाण चांछ या ऐरौ वीकणि नजरबंद करणक अधिकार दींछ। धारा में य कानूनक अनुसार बणाई नियम नि मानण पर सजाक बात कई गेछ। धारा 4 य कानूनक पालन करूणी अफसरों कणि कानूनी सुरक्षा दींछ। य कानून कणि हमरि आजादी बाद लै भौत बखत काम में ल्याई गो। सन 2009 में स्वाइन फ्लू रोकणा लिजी य कानून पुणे में, 2015 में डेंगू और मलेरिया रोकणा वास्ते चंडीगढ़ में और 2018 में गुजरात में हैजा रोकथाम लिजी लागू करी गोछी। मार्च 2020 में अब य कानून कोरोना महामारी कें रोकणा वास्ते एक कारगर हथियार बण रौ। कोरोना जसि महामारी कें थामणा लिजी 1897 वाल कानून कें जादे मजबूत बणूनकि जरूरत पड़ि गैछ। आब हम स्वतंत्र है ग्याय और हमार पास कदुकै मूल अधिकार भाय। भोट बटोरणा वास्ते नेता लोग भौत किसमाक स्वांग करनी, जो अस्पतालाक डाक्टर, नर्स, सफाई करणी कर्मचारी या पुलिस वालन कणि ढुङै दिणी। यों लोग उनू कैं देखणा लिजी जाणी कि इनूकणि कोरोनाक लक्षण छन या न्हैतन और छन त इलाज करूंल और लोग ढुङ, पाथर, ईट उनू पर खेड़न रई। यों कोरोना सिपाई ;कार्यकर्ताद्ध आपण ज्यानकि फिकर नी कर बेर जनता सेवा करणी और कुछ लोग उनू कणि मारण हणि जाणी। यस ब्यवहार कणि रोकण भौत जरूड़ी छ। यैक लिजी केन्द्र सरकारल एक अध्यादेश द्वारा 1897 कानून में मणी धारा जोड़ देई। आ्ब मेडिकल स्टाफ पर हमाल करणी लोगों कैं उ महैण बटि 5 साल तककि सजा और 2 लाख रूपैं बटि 5 लाख रूपैं जुर्मान है सकूं। यास अपराध में जमानत नि है सकलि। मस्त चोट लागण पर सात साल तक सजा है सकें। य कानून केन्द्र सरकार कैं भौत अधिकार द्यों, डाक्टर या अन्य लोगोंकि गाड़ि में तोड़-फोड़ या संपतिक नुकसान हुण पर संपत्तिक बजारकि कीमत है दुगुण हर्जान दिण पड़ल। कीमतक हिसाब कोर्ट लगालि। य कानूनक अन्वेषण पुलिस निरीक्षक करल और एफ.आई.आर. (प्रथम इत्तिला सूचना) दर्ज हुण बटि 30 दिना/भितर अन्वेषण करण पड़ल। यास मामिलों फैसाल लै साधारण तौरल एक साल में है जाल। एक बात और जोरदार छ। कानून साधारण नियमक अनुसार अभियुक्त (जैक खिलाफ मामिल छ) तब तक निर्दोष मानी जां, जब तक वीक खिलाफ मामिल सिद्ध नि है जान। उदाहरणा तौर पर यदि ‘क’ पर पुलिसल हत्याक अपराध करणक दोष लागै रौ तो ‘क’ तब तक निर्दोष मानी जाल, जब तक पुलिस गवाही आदि द्वारा य सि( नि करौ कि हत्या ‘क’ लै करी। कोरोना वाल अध्यादेश में य ब्यवस्था छ कि अपराध आरोप वाल आदिम दोषी छ। आ्ब उ आदिम कणि कोर्ट में सिद्ध करण पड़ल कि वील कानूनकि अणदेखी नि करि राखी।
यैक अलावा एक कानून और छ जैकें सरकारल कोरोना महामारी रोकथाम लिजी लागू कर राखो। य कानूनक नाम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम छ। य कानून 2005 में बणाई गोछ और 23 दिसंबर 2005 बटि लागू है गो। आपदा या आफत द्वि किसमकि हैं: - 1. प्रकृति द्वारा जस कि 2004 में आई सुनामी, 2013 (16 जून) में  केदारनाथ में बादल फाटण, चलक आदि और 2.  मैंसों द्वारा ल्याई आफत जस भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 रात में ओलियम गैस आफत, पुल या सड़क टुटण, फैक्ट्री में आग लागण। इन सबै आपदाओं में जन धनक भौत नुकसान है जां। यों आफतों है बचणा लिजी या इनर प्रभाव कम करणा लिजी जो उपाय करी जानी ऊ आपदा प्रबंधन कई जां। यां  इतुकै जाणण जरूरी छ कि कोरोना (कोविड-19) महामारी महाबिपत्ति कम करणा वास्ते सरकारल राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून लै लागू कर राखो। य कानून केन्द्र सरकार कणि राष्ट्रीय आपदा समय भौतै ताकत द्यों। इकीस दिनक लौकडाउन लगूण पर य कानून पैंल बार कोविड-19 जास महामारिन पर लगाई गो। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अध्यक्ष प्रधानमंत्री हुनी। केन्द्र सरकारक यो कानून कोविड‘19 जसि महामारी में लगूणा वास्ते य कौण कि उपनिवेशक बखत बणी महामारी रोग कानून है य आपदा कानून जादे स्पष्ट छ। य कानूनकि धारा 6 और धारा 10 राष्ट्रीय प्राधिकारी कैं ब्यापक शक्ति दिनी। धारा 6 केन्द्रीय प्राधिकारी कें आपदा पर कारगर नियंत्रणा लिजी नीति, योजना और नियम बणौणकि शक्ति दिंछ। धारा 10 में राष्ट्रीय कार्यकारी समितिक शक्ति और काम बताई रई। यों कामों में आपदाक निवारण और ब्यवस्था वास्ते केन्द्रक नीतियोंक समन्वय करण और सरकारि विभागों दगड़ै राज्यों साथ मिल बेर काम करण छ। धारा 10 लागू हुण पर केन्द्र और राज्यों बीच कोरोना रोकथाम वास्ते समान प्रबंधाक योजना बण जाल और राज्यों क आपदाक प्रबंधाक लिजी डबल लै मिल जाल। 
अपराधों  लिजी  दंड-
कोरोना या कोविड-19 जसि महामारी में द्वि कानून महामारी रोग कानून 1897 और वी में 2020 में करी गई बदलाव और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून 2005 लागू छन। कानून अधिकतर लोग माननी परंतु कुछ लोग नि मानन, यैक वास्ते दंडक लै ब्यवस्था कानून में करी जैं। आपदा कानून में अपराध और दंड नामक अध्याय दस में 10 धारा छन (धारा 51- धारा 60)। जो मैंस बिना उचित कारण कोरोना रोकथाम संबंधी काम में रूकावट डालल या केन्द्र या राज्य या जिला अधिकारीक यो विषय में देई निर्देश नि मानल वीकणि एक सालकि सजा या जुर्मान या द्विए है जा्ल। कुछ हालतों में य सजा द्वि साल है सकें। क्वे आदिम झुठि बुलै बेर य कानूनक भितेर क्वे सहायता ल्यल तो उकैं द्वि साल तक सजा और जुर्मान भरण पड़ल (धारा 52)। आपदाक वास्ते मिली धन या सामानक गबन या दुरपयोगा लिजी द्वि सालकि सजा और जुर्मान छ। यसिकै लोगों में आतंक/भय फैलूणा वास्ते झुटि बात फैलौण पर एक सालकि सजा या जुर्मान लागल। यदि यस अपराध सरकारि विभाग करल तो विभागाध्यक्ष पर कार्यवाही करी जालि। क्वे लै कर्मचारी जो आपणि ड्यूटि नि करल तो वीकें एक बर्ष तक जेल है सकैं।  सरकार द्वारा अधिग्रहण क्वे व्यक्ति, वाहन, भवन आदि कणि दिण में रूकावट करछौ तो उकणि एक वर्ष तक जेल और जुर्मान है सकूं। कंपनी आदि लै य कानूना अधीन छन। न्यायालय य कानूनक अधीन सक्षम अधिकारिक परिवाद बिना मामिल नि सुणल।
साधारणतया जो मैंस पर मुकरदम हुं उ न्यायालय में जां। य आपदा कानूनक अपराधी ;अभियुक्तद्ध उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय अलावा अन्य क्वे न्यायालय में नि जै सकन (धारा 71)।
आपदा कानूनन अध्यारोही प्रभाव छ अर्थात यदि य कानून अन्य कानूनक खिलाफ होलो तो आपदा वाल कानून मानी जाल। हां संविधानक अवहेलना आधार पर य कानून या यैक अधीन करी कार्यवाही कैं उच्च या उच्चतम न्यायालयों में चुनौती दी जा सकैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून ब्यापक छ और यै में 79 धारा छन।
भारतीय दंड संहिता अधीन सजा- आजकल लौकडाउना नियम नि मानणी वाल लोगों कणि पैंलिक लेखी कानूनों अलावा भारतीय दंड संहिता द्वारा लै सजा मिलण रै। कोरोना या कोविड-19 क मामिलों में दंड संहिताकि धारा 188, 269 और 270 लगाई जानी। जो क्वे सरकारि आदमियोंक कानून द्वारा देई कय नि मानल उकणि 1 महैण बटिक 6 महैण तक सजा है सकें। सरोल बीमारी फैलौण में 6 महैणकि सजा और जुर्मान है सकूं। यदि य सरणी बीमारी खतरनाक छ तब द्वि सालकि सजा और जुर्मान या द्विए है सकनी।
निष्कर्ष-
य सब लेखणक एकै कारण छ कि कोरोना या कोविड-19 नई किसमक रक्त बीज पैद है गो। य बीमारी चीनल बणै या आफी बणी यैक अब जादा मतलब न्है।यदि चीन वालोंल जस कि वांकि प्रवृत्ति है गै, यैकें बणाछ तो य वां लै भस्मासुर बण रौ। य महामारी यतुक निर्दई छ कि चार च्यालों बाब कोरोनाल मरण पर उनर कान नि पाणय। स्यैणि कोरोनाल मरी आदिमक मुख नि देखि सकनै। सबै सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक वाणिज्यिक काम बंद है गई। सरकार जो काम य बीमारी कणि रोकणा लिजी करणै, उमें हमरै हित छ, भलाई छ। कानून समाज में ब्यवस्था वास्ते बणौ, वी काम दंड या सजा दिण न्हैंत। हम सबै लोगाें कणि सरकारि निर्देश मानि बेर कोरोना कण हरौण छ। यैक लिजी कानूनी निर्देश मान लिया। •
( ‘पहरू’ फरवरी २०२१ अंक बै साभार) 



















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