कुमाउनी किताब समीक्षा-भाग-३ । 'बोध का्थ' व 'ऐपण'

 
       
(किताब पर चर्चा (भाग-३) में आपूं लोगनक भौत स्वागत छु। यां आज 'बोध का्थ' और 'ऐपण' किताबों पर चर्चा करी जाणै। चर्चा करण लागि रीं युवा 
कुमाउनी समीक्षक- ललित तुलेरा। ) 


बोध का्थ : कुमाउनी गद्य साहित्य में नई परयास

बोध का्थ जनूकैं हिंदी में ‘बोध कथा’ कई जांछ। असल में यों मनखी कैं असली मनखी बणून व गुणवान, संस्कारवान बणून में भौत कारगर हुनी। यैकै वजैल इनरि अहमियत कैं देखि बेर बोध (नैतिक) का्थ इस्कूली कोर्स में नानतिनों कैं लै पढ़ाई जानी। डाॅ. पीताम्बर अवस्थी ज्यू द्वारा लेखी ‘बोध का्थ’ किताब कुमाउनी में नई परयास रूप में देखां है रै। हिंदी व संस्कृत साहित्य में बोध काथोंक भरमार छु। ‘हितोपदेश’, ‘पंचतंत्र’ जा्स कएक किताबोंकि सैकड़ों बोध का्थ पढ़न में मिल जानी पर कुमाउनी साहित्य में बोध काथोंकि क्वे किताब ऐल तक देखण में नि आई छी। य किताब में बिबिध बिषयों पर गुण, संस्कार दिणी 40 बोध का्थ एकबट्याई छन। इमें शामिल हर बोध का्थ आपुण में खास छु। यां शामिल हर बोध का्थ एक ठुल सीख हमूकैं जरूड़ दींछ




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बोध का्थ
• लेखार- डाॅ.पीताम्बर अवस्थी
• पैंल संस्करण-2021 ई.
• कीमत- 150/- रूपैं
• पेज- 76
• छापनेर- कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार     
   समिति, कसारदेवी अल्मोड़ा
• मुबाइल- 9410725911

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       य कई जै सकीं कि डाॅ. पीताम्बर अवस्थी ज्यूल कुमाउनी साहित्य कैं ‘बोध का्थ’ रूप में नई साहित्य दी रौ। जो साहित्य आज तलक यां देखण में नी ऐ रौछी। बोध काथोंकि भाषा पूर्वी कुमाउनी रूप में सरल, सजिल छु। य उमीद करण चैं कि डाॅ. अवस्थी ज्यूल जो ‘बोध का्थ’ कुमाउनी साहित्य कैं दी रौ, उ लेखारों कैं बोध काथों पर काम करण में मधतगार होलि और प्रेरणा बणलि। कुमाउनी नानतिनों कैं नैतिक ज्ञान दिण में मधतगार बणलि।
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लोककला 'ऐपण' कैं सजूण, सँवारणकि भलि जुगुत

कुमाउनी व हिंदीक लेखार डाॅ. लता कांडपाल, डाॅ. दीपा कांडपाल द्वी बैणियों द्वारा मिल बेर कुमूकि ‘ऐपण’ कला पर किताब लेखी रै। किताब द्वी भागों में रची छु। पैंल भाग में ऐपण कला पर लिखित जानकारी दिई रै जमें ‘धरातलीय अंकन’ शीर्षकल लक्ष्मी पीठ, सरस्वती पीठ, धूल्यर्ग चैकी, स्नान चैकी आदि, ‘भित्ती चित्रण’ शीर्षकल बरबूंद, नाता, बसुधारा, ‘आकृति चित्रण’ शीर्षकल ज्योति पट्टा, जन्माष्टमी पट्टा, नागपंचमी पट्टा आदि, ‘विविध’ में सेली, षष्टी चैका, दशहरा द्वार पत्र, जन्मपत्री में चित्रांकन आदि, ‘वस्त्र सज्जा’ शीर्षकल पिछौड़ा, डाली, शिवशक्ति, जनेऊ आदि, ‘यज्ञशाला चित्रण‘ शीर्षकल वेदी विधान व भद्र अंकन,  चामुंडा हस्त चैकी व ऐपण में प्रतीक विधान पर जानकारी दिई जैरै।


                                           


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ऐपण
(उतराखंड की लोककला)
• लेखार-डाॅ.लता कांडपाल,
    डाॅ. दीपा कांडपाल
• पैंल संस्करण-2018 ई.
• कीमत- 1,000/-रूपैं
• पेज- 82
• छापनेर- आधारशिला प्रकाशन
      बड़ी मुखानी, हल्द्वानी
• मुबाइल- 7455881846

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ऐपण पर शोध और अध्ययनपरक काम लै हई छु। किताब रूप में ‘कुमाऊं की लोककला सांस्कृति एवं परंपरा (1995 ई.)- शशिकला पंत, ‘कुमाऊं की लोक कला संस्कृति और परंपरा’ (1998 ई.)- डाॅ. कृष्णा बैराठी, ‘कुमाऊं की चित्रकला’ (1998 ई.)- डाॅ. यशोधर मठपाल, ‘ऐपण’-  विश्वंबर नाथ साह ‘सखा’, ‘ऐपण’ (महिला समिति, अल्मोड़ा 1998 ई.)- लक्ष्मी पंत, ‘कुमाऊं लोक संस्कृति का सागर’ (2000 ई.)- प्रेमा पांडे, ‘हमारी सांस्कृतिक विरासत-ऐपण’ (दुसर संस. 2004 ई.)- भारती पांडे समेत हौर किताब लै देखां है रईं। निजी रूप में स्व. नाथू राम उप्रेती, स्व. विद्या सागर साह समेत अच्याल सैकड़ौं युवा लै ऐपण पर काम करनई। संस्थाओं में ‘लोक संग्रह तथा ऐपण संस्था’, ‘महिला समिति’ समेत कएक संस्थाओं द्वारा काम करी जाणौ।

किताबक दुसर भाग में पीठ, चैकी, भुईयां, नाता, स्यो, बरबूंद, वसुधारा, ज्योति पट्टा, बरबूंद, पट्टा, डिकर, दशहरा पत्र, सुप में गणेश व लक्ष्मी नारायण, जनमपत्री, रङवाली पिछौड़ा, भद्र, बेल, पदचिह्न, अलग -अलग परकाराक ऐपण समेत हौर चीज लै जानकारीक दगाड़ शामिल छन। किताबकि भाषा हिंदी छु कांई-कांई अङरेजी भाषाक इस्तमाल लै हई छु।
                                 
    आंखिरी में कै सकनू कि द्वी बैणी डाॅ. लता कांडपाल व डाॅ. दीपा कांडपालल आपणि मेहनत व लगनल उत्तराखंडकि चित्रकला ऐपण कैं बचूण, उकैं किताब रूप में सजूण, सँवारणक परयास करि रौ। किताब में न सिरफ कुमाऊंक चित्रकलाक ऐपण रूप बल्कि पट्टा, डिकर, रड.वाली पिछौड़, दशहरा पत्रकि कलाकारीक नमुन पर भलि जानकारी व चित्र लै एकबट्याई छन। द्वी बैणियोंक ऐपण मोह, मिहनत लोककला ऐपण कैं सजूण, सँवारन में और हमार कलाकारोंक ज्ञान बढूण में मददगार साबित होलि।

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( य समीक्षा पहरू कुमाउनी मासिक पत्रिकाक नवंबर २०२१ अंक में छपी छु। य वांई बै लिई जैरौ।) 


 ( ललित तुलेरा कुमाउनी समीक्षा में नई व युवा हस्ताक्षर छन। यों एक बिद्यार्थी हुणक दगाड़ै आपणि दुदबोलि कुमाउनी में 16 सालकि उमर बै उरातार गद्य व पद्य में कलम चलूनई। कुमाउनी भाषाकि नामी पत्रिका पहरू में संपादक मंडल में कुमाउनीक सेवा में जुटी छन। इनूल हालै में कुमाउनी भाषाक 17 ज्वान रचनाकारोंकि  जो य गड. बगि रै नामल संजैत काब्य संकलनक संपादन लै करि रौ। )
• ई मेल- tulera.lalit@gmail.com





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