कुमाउनी शब्दकोशों का इतिहास History of Kumauni Dictionaries - ललित तुलेरा
मनखी इतिहास में शब्दकोशनक दिलचस्प यात्रा रई छु। मनखील जो भाषा निर्माण करौ वीक शब्दन कैं एकबट्यूणक काम हमर सभ्यताओंक भाषाई और सांस्कृतिक जरवतों दगाड़ जुड़ी हुई छु। शब्दकोशोंक इतिहास मानव इतिहासक प्राचीन सभ्यताओं बै देखण में मिलूं। मोसापोटामियांक सुमेरियन सभ्यता में ‘सुमेरियन एकेडियन द्विभाषी सूची’ पैंल ज्ञात शब्दकोशों में गणी जां। यैक अलावा लै दुनियांक ज्ञात सभ्यताओं में विद्वानों द्वारा शब्दनक व्याख्या और परिभाषा करी जाणक प्रमाण मिलनी। जनूमें ‘ऐर्या’ चीनी सभ्यता, ‘एलीमेंटरी’ लैटिन भाषाक यूरोपीय शब्दकोश, ‘ताज-अल-लुगह’ अरबी भाषाक, राॅबर्ट काॅड्री द्वारा ‘अ टेबल अल्फाबेटिकल’ (1604 ई.) अङरेजी भाषाक पैंल शब्दकोश मानी जां। ऐल ‘ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी’ चर्चित कोशों में छु। यसिकै दुनियांक हर हिस्साक भाषाओं में कोश बणी छन।
हमर देश में लै शब्दकोशनकि समृद्ध परंपरा देखण में मिलैं। यो परंपरा संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश बै ल्हिबेर आधुनिक भाषाओं तक फैली छु। जनूमें ‘निघंटु’ वैदिक साहित्य में शुरूवाती कोश मानी जां। ‘अमरकोष’ व ‘त्रिकांडशेष’ संस्कृतक प्रसिद्ध कोश छन। पाली, प्राकृत भाषाओंक ‘अभिधानप्पदीपिका’, ‘विनयालंकार’, ‘धातुमाला’, ‘पायासद्दमहन्नव’, ‘अभिधानराजहंस’ आदि कोश छन। दक्षिण भारतीय भाषाओं में लै कोशोंक आपण इतिहास छु। हिंदी भाषा में लै ‘शब्दसागर’, ‘राजपाल हिंदी शब्दकोश’, ‘भाग्यश्री हिंदी शब्दकोश’ आदि कुछ चर्चित कोश छन। हिंदीक उप भाषान में गणी जाणी भाषान में लै दर्जनों कोशोंक निर्माण हई छु।
कुमाउनी में लै शब्दकोशोंक आपण इतिहास कई जै सकींछ। कुमाउनी में शब्दकोश निर्माणकि शुरूवात 1983 ई. में हैछ, जब कुमाउनी में पैंल शब्दकोश पिथौरागढ़ जिल्लक ग्रा.- राई आगर रैथमी भाषाविद प्रो. केशवदत्त रुवाली (8 जनवरी 1945- 13 सितंबर 2018) द्वारा ‘कुमाउनी-हिंदी व्युत्पत्तिकोश’ तैयार करी गो।
‘कुमाउनी-हिंदी व्युत्पत्तिकोश’ आवरण
य कुमाउनी में प्रकाशित पैंल शब्दकोश छु जो ग्रंथायन, अलीगढ़ द्वारा छापी गोछी और यैक कीमत उ बखत 150 रूपैं छी। 471 पेजक य कोश द्वी भागों में छु, पैंल भाग (पे.-174 तक) में कुमाउनी भाषा, साहित्य और संस्कृति पर भूमिकास्वरूप जानकारी दिई छु। दुसर भाग (पे.-175-471) में करीब 8500 शब्द एकबटयाई छन। य द्वि भाषी कोश कुमाउनी शब्दोंक उत्पत्ति पर महत्वूपर्ण जानकारी प्रदान करूं। कुमाउनी शब्दोंक भारतीय भाषाओं संस्कृत- प्राकृत- अपभ्रंश आदि बै बिकास और विदेशी भाषाओं बै कुमाउनी में आई शब्दन पर य कोश बिशेष जानकारी द्यूं, दगाड़ै आर्यभाषाओं मराठी, बंगला, गुजराती, पंजाबी, लँहदी, सिंधी, हिंदी, नेपाली आदि भाषाओंक समस्रोतीय शब्द लै दिई छन। य कोश बा्र में नामी भाषाविद डाॅ. हरदेव बाहरी ज्यूल कौ- ‘‘हिंदी की किसी बोली में आज तक ऐसा कार्य नहीं हुआ है, और मानक हिंदी में भी किसी ने ऐसा साहस नहीं किया, इसलिए हिंदी जगत के लिए यह एक आदर्श है।’’
य जाणन लै जरूरी छु कि डाॅ. रुवाली द्वारा ‘कुमाउनी शब्द-समूह का व्युत्पत्तिपरक अध्ययन’ पर आपणि शोध उपाधि ल्हे और उनूल कुमाउनी भाषा विज्ञान पर कएक महत्वपूर्ण ग्रंथ तैयार करी।
हालांकि य पैंल प्रकाशित कोश छु, पर कुमाउनीक पैंल मासिक पत्रिका ‘अचल’ अगस्त 1938 अंक में छपी श्री प्रेमबल्लभ जोशी द्वारा लेखी ‘कूर्मांचलीय भाषा कोष’ लेख में पत्त चलूं कि अल्माड़ शहर में कपीना रौनी राय बहादुर गंगादत्त उप्रेती द्वारा लै एक कोश तैयार करी गोछी। सरकारल उ बखत य कोश कैं आर्थिक मदद दिणक बचन देछी पर अचाणचक उनर सरगवास है जाण पर य कोशक काम रूकि पड़ौ। सन 1915 में इलाहाबाद हाईकोर्ट बटि य कोशकि मांग ऐ। कोशकि पांडुलिपि तीन साल तक प्रेमबल्लभ जोशीक पास रै और अल्माड़क डिप्टी कमिशनरक आर्थिक मदद संबंधी पत्र उनूकैं आ, पर आंखिरकार सरकारल य कोश कैं जरूरी नि समज बेर छपूणक खर्च नि उठाय और कोश इलाहाबाद हाईकोर्ट में अटकी रै पड़ौ। कुमाउनी विद्वान डाॅ. त्रिलोचन पांडे ज्यूक ‘पुरवासी’ में छपी ‘कुमाउनी भाषाविद् पं. हरिशंकर जोशी’ संस्मरण लेख में लेखी छु कि हरिशंकर जोशी ज्यूल एक कुमाउनी-हिंदी-अंग्रेजी त्रिभाषी कोशकि पांडुलिपि लंदन में क्वे अङरेज भाषाविदक पास देखै।
1985 ई. में अल्माड़ जिल्लक रैथमी कुमाउनी विद्वान डाॅ. नारायण दत्त पालीवाल (03 मई 1929- 02 नवबंर 2002 ई.) द्वारा ‘कुमाउनी-हिंदी शब्दकोश’ तैयार करी गो।
‘कुमाउनी-हिंदी शब्दकोश’ आवरण
416 पेजक य कोश तक्षशिला प्रकाशन, नई दिल्ली बै छपौ। यैकि कीमत- 300 रूपैं छी। य द्वी भाषी कोश में करीब 19000 कुमाउनी शब्द छन। दगाड़ में कुमाउनी कहावत और कुमाउनी भाषाक संक्षिप्त परिचय लै दिई छु।
1992 ई. में प्रसिद्ध लेखार यमुनादत्त वैष्णव ‘अशोक’ द्वारा ‘खसकुरा (पुरानी पहाड़ी) शब्दकोश’ कुमाउनी में तैयार करौ। य कोशक नामकरण उनूूल खसकुरा करौ।
हिमालय वासी खस जातिक लोगोंकि भाषा कैं खसकुरा लै कई गो। यमुनादत्त वैष्णव ज्यूल कोशक यई नाम धरौ। य कोश कैं यूनेस्को द्वारा लै सहायता मिली छु। य कोश पुरालिपिक भाषा शास्त्रकि लै भलि जानकारी दिणी छु। दगाड़ै य कोशकि भूमिका में कोशकार द्वारा पूर्वाेत्तर अफ्रीकाक कुशद्वीप बै ल्हिबेर मध्य एशिया में बसी खस जाति बार में जानकारी दिई छु। य कोशक बा्र में बिहार विश्वविद्यालयक कुलपति डाॅ. टी.बी. मुखर्जी ल कौछ- ‘‘इस समय ऐसा व्युत्पत्ति कोश अंग्रेजी में भी नहीं है। खस जाति की प्राचीन अभौतिक संस्कृति का यह गहन और व्यापक अध्ययन कोशकारों तथा भाषा, संस्कृति और पुरातत्व के शोध छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।’’
साहित्यकार बनारसीदास चतुर्वेदी ज्यूल य कोशक बार में कै रौ- ‘‘प्राचीन मानव इतिहास तथा संस्कृति का यह अंग अत्यंत महत्त्वपूर्ण है परंतु अभी तक उपेक्षित रहा है। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी में इस पुस्तक से निस्संदेह एक अभाव की पूर्ति होगी।’’
659 पेजक य कोश में लगभग 11500 शब्द छन। कोशक पुनर्मुद्रित संस्करण कोशकार यमुनादत्त वैष्णव ‘अशोक’ ज्यूक अस्सी बर्षक मौक पर 1995 ई. में छपौ। यैकि कीमत विदेश में 30 डौलर व भारत में 600 रूपैं छु।
‘हिंदी-कुमाउनी-अंग्रेजी शब्दकोश ग्रा.-डुंगरा (भनोली), जिला- अल्मोड़ा रैथमी भाषाविद डाॅ. शेर सिंह बिष्ट (10 मार्च, 1953- 18 अप्रैल 2021) द्वारा सन् 1994 ई. में तैयार करी गोछी। कुमाउनी में य पैंल त्रिभाषी कोश छु, जमें अंग्रेजी भाषा कैं शामिल करी गोछ।
‘हिंदी-कुमाउनी-अंग्रेजी शब्दकोश आवरण
य कोश में हिंदी शब्द कैं आधार बणै बेर वीक कुमाउनी अर्थ दिई छु और आंखिर में अंग्रेजी शब्द दिई छु। 343 पेजक य कोश में लगभग 9000 शब्दन कैं जा्ग दिई छु। य कोश ‘श्री अल्मोड़ा बुक डिपो’ द्वारा छापी छु और यैकि कीमत 350 रूपैं छु।
‘कुमाउनी-हिंदी शब्दकोश’ डाॅ. रुवाली द्वारा तैयार करी दुसर शब्दकोश छु। यै है पैंली उनर कोश कुमाउनी शब्दोंक व्युत्पत्ति पर एकाग्र छी, जो शोधार्थी और भाषाविदों लिजी जादा उपयोगी कोश छी। य कोश उनूल सामान्य द्विभाषिक कोश रूप में तैयार करौ।
‘कुमाउनी-हिंदी शब्दकोश’ आवरण
476 पेजक य कोश 1995 ईं में ‘श्री अल्मोड़ा बुक डिपो’ अल्मोड़ा द्वारा छपौ। उत्तर प्रदेश शासन और उत्तराखंड सेवा निधिक आर्थिक मधतल छपी य कोश में करीबन 11000 शब्द एकबटयाई छन। य कोशकि कीमत 575 रूपैं छु।
शब्दकोशोंक यई क्रम में सन 2000 ई. में डाॅ. केशवदत्त रुवाली द्वारा कुमाउनी में आपण तिसर कोश ‘मानक कुमाउनी शब्दसंपदा’ नामल बणा। य कोश ‘कुमाउनी भाषा एवं संस्कृति समिति’ रानीधारा मार्ग, अल्मोड़ा द्वारा छपौ।
‘मानक कुमाउनी शब्दसंपदा’ आवरण
य समिति लै उनूलै बणै, जै माध्यमल उनूल कुमाउनी भाषा पर कुछेक भाषा संबंधी कार्यक्रम करी। 266 पेजक य कोश में उनूल कुमाउनी भाषाक इतिहास, भाषा वैज्ञानिक जानकारी लै लेखि रै। य कोश में लगभग 10,000 शब्दन कैं एकबट्याई छु। य कोशकि कीमत 1000 रूपैं छु।
डाॅ. कृष्णानंद जोशी द्वारा सन् 2001 में ‘कुमाउनी शब्द समूह’ नामल एक छ्वट कोश तैयार करी गोछी। य कोश उनर निधन बाद उनर च्यल डाॅ. ए.के. जोशी ल छापौ।
‘कुमाउनी शब्द समूह’ आवरण
ऊं एम.बी.पी.जी. काॅलेज हल्द्वाणि में इतिहासक प्राध्यापक रई। य द्वी भाषी कोश छु, कुमाउनी शब्दनक हिंदी में अर्थ दिई छु, इमें करीब 5,500 शब्द एकबटयाई छन, दगाड़ै 223 कुमाउनी कहावत लै अलग से दिई छन। यैक छापनेर ‘प्रकाश बुक डिपो’ बरेली छु, कीमत 100 रूपैं छु। डाॅ. कृष्णानंद जोशी उत्तर प्रदेशाक विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी भाषाक प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रई और उच्च शिक्षा में संयुक्त निदेशक लै रई। उनूल ‘कुमाऊं का लोक साहित्य’ किताब लै लेखै।
2002 ई.में ‘कुमाउनी, गुजराती और मराठी समस्रोतीय-समानार्थी शब्दकोश’ छपौ। य कोश डाॅ. चंद्रकला रावत द्वारा ‘कुमाऊं विश्वविद्यालय’ बै आपण शोध ग्रंथ रूप में तैयार करी गोछी। य कोश में कुमाउनी, गुजराती और मराठी भाषाक शब्दन पर काम करी छु।
‘कुमाउनी, गुजराती और मराठी समस्रोतीय-समानार्थी शब्दकोश’ आवरण
कोश में शब्दन कैं दर्शूणै लिजी पांच स्तंभ बनाई छन। पैंल स्तंभ में कुमाउनी शब्द और वीक व्याकरणिक कोटि, दुसर में गुजराती शब्द और वीक व्याकरणिक कोटि, तिसर में मराठी शब्द और वीक व्याकरणिक कोटि, चैथ में शब्दक स्रोत और पचूं स्तंभ में शब्दक अर्थ दिई छु। कोश में कुमाउनीक करीब 4000 शब्द छन। 368 पेजक य कोशक प्रकाशक ‘ग्रंथायन’, अलीगढ़ छु, जैक कीमत 400 रूपैं छु।
2008 में कुमाऊं विश्वविद्यालय अल्माड़ परिसर में संस्कृत प्रोफेसर डाॅ. जयदत्त उप्रेती द्वारा ‘संस्कृत-कुमाउनी-हिंदी कोष’ बणाई गोछ। य एक छ्वट कोश छु, जमें कुमाउनीक संस्कृतमूलक शब्दनक बार में जानकारी दिई छु।
‘संस्कृत-कुमाउनी-हिंदी कोष’ आवरण
दरअसल य कोश कैं द्वी अध्याय में बांटी छु जैक पैंल अध्याय में ‘कुमाउनी भाषाक संस्कृत मूलकता’ पर बिचार करी छु और दुसर भाग में संस्कृत-कुमाउनी-हिंदी शब्दकोश छु। य कोश संस्कृत बै आई शब्दनक बार में जानकारी दिणी बिशेष कोश छू। य कोश में करीब 2500 शब्दन पर काम करी जैरौ। 118 पेजक य कोश ‘अंकित प्रकाशन’ हल्द्वाणि बै छपी छु, यैक कीमत 225 रूपैं छु।
2015 ई. में साहित्यकार भारती पांडे द्वारा ‘हिंदी-कुमाउनी-गढ़वाली-जौनसारी शब्दकोश’ तैयार करी गोछ। य बहुभाषी कोश छु, जमें उत्तराखंडाक तीन भाषाओं पर शब्द एकबटयाई छन। य कोश में हर भाषाक 6500 है सकर शब्दन कैं एकबटयाई जैरौ।
‘हिंदी-कुमाउनी-गढ़वाली-जौनसारी शब्दकोश’ आवरण
य कोशकि आधार भाषा हिंदी छु वीक बाद उ भाषाक अर्थ कुमाउनी, गढ़वाली और फिर जौनसारी में दिई छु। यैक अलावा इमें रं-ल्वू बोलिक गिनती समेत कएक बिषयों पर शब्दावली दिई छु। दगाड़ै कुमाउनी व गढ़वाली में कहावत लै शामिल करि री। य कोश आपूं में विशिष्ट कोश छु जो लोकभाषाओंक शब्दावली दगै परिचय करूं। 252 पेजक य कोश ‘विनसर पब्लिशिंग कंपनी’ देहरादून द्वारा छपी छु, जैक कीमत 495 रूपैं छु।
2017 ई. में ‘झिक्कल काम्ची उडायली’ नामक कोश छपौ। य कोश उत्तराखंड में भाषा-विविधताक एक मिशालक रूप में सामणि आ, जमें उत्तराखंडाक तेर भाषाओंक शब्द एकबटयाई छन।
‘झिक्कल काम्ची उडायली’ आवरण
इन भाषाओं में छन- कुमाउनी, गढ़वाली, जौनसारी, जाड़, मार्छा, रवांल्टी, रं-ल्वू, जोहारी, थारू, बोक्साड़ी, बंगाणी, जौनपुरी व राजी। 1500 आधारभूत शब्दों पर 22 बिषयों पर हर भाषाक शब्द एकबटयाई छन। य कोशक आधार भाषा हिंदी छु, फिर उ शब्दक अर्थ तेर भाषाओं में दिई छु। य कोशक कोशकारोंल यकैं उत्तराखंडाक भाषाओंक व्यावहारिक कोश कै रौ। य कोश एक प्रयासक रूप में सामणि आ कि य तरफ लै काम करी जै सकींछ। य कोशक संपादन चंद्रकला रावत व उमा भट्ट द्वारा करी छु और हर भाषाक शब्द कैं इकट्ठ करणक काम हर भाषाक जानकारल करि रौ। उत्तराखंडक भाषायी मानचित्र लै य कोश में बणै रौ, दगाड़ै हर भाषाक परिचय लै य कोश में दिई छु। 229 पेजक य कोश ‘पहाड़’ नैनीताल द्वारा छपी छु, जैक कीमत 250 रूपैं छु।
2020 ई. में ‘कुमाउनी बोली शब्द संग्रह’ नामल बागेश्वर जिल्ल बिन्तोली (दफौट) रैथमी कृष्णानंद चंदोला द्वारा कुमाउनी शब्दन पर किताब तैयार करी गैछ।
‘कुमाउनी बोली शब्द संग्रह’ आवरण
इमें वर्णमालाक हिसाबल शब्दोंक दगाड़ै कएक विषयों पर हजारों गणती कुमाउनी शब्द इकट्ठ कर रई। इमें कुमाउनी शब्दोंक हिंदी में अर्थ दिई छु। ‘आधारशिला प्रकाशन’ हल्द्वानी बै छपी य किताब 128 पेजकि छु, जैक कीमत 250 रूपैं छु। य किताबक दुसर संस्करण 2023 में ‘कुमाउनी बोली’ नामल निकलि रौ, जमें कुछेक बिषयों में विस्तार देई छु और शब्द संख्या बढ़ बेर 238 पेजकि पोथि बणि गै, जो ‘अविचल प्रकाशन’ हल्द्वाणि द्वारा छपि रौ और कीमत 500 रूपैं छु।
‘केन्द्रीय हिंदी संस्थान’ आगरा द्वारा 2021 ई. में ‘हिंदी-कुमाउनी अध्येता कोश’ तैयार करौ। य कोशक प्रधान संपादक प्रो. नंदन किशोर पांडेय छी।
‘हिंदी-कुमाउनी अध्येता कोश’ आवरण
कोश तैयार करण में कुमाउनी विशेषज्ञ प्रो. देव सिंह पोखरिया, प्रो. जगत सिंह बिष्ट, प्रो. चंद्रकला रावत, डाॅ. प्रीति आर्या व डाॅ. हयात सिंह रावत छी। यो द्वि भाषी कोश दर्जा 10 तकाक नानतिनों कैं ध्यान में धरि बेर तैयार करी छु। जमें हिंदीक 3500 आधारभूत शब्द छन, उन शब्दन पर हिंदी में वाक्य बणै बेर वाक्य कैं कुमाउनी में अनुवाद लै करी जै रौ। 365 पेजक य कोशकि कीमत 650 रूपैं छु।
‘प्यौलिपिटार’ नामल कुमाउनी-हिंदी- शब्दकोश 2021 में छपौ। य कोश अल्माड़ जिल्लक रैथमी लेखार पूरन चंद्र कांडपाल ज्यूल तैयार करौ।
‘प्यौलिपिटार’ आवरण
य द्वी भाषी कोश में लगभग 6000 ठेट कुमाउनी शब्दन कैं शामिल करि रौ और व्याकरणिक कोटि दगाड़ उनर हिंदी में अर्थ दि रौछ। दगाड़ै य कोश में 62 बिषयों पर परिचयात्मक शब्द दिई छन और सैकड़ों तादात में कुमाउनी मुहावरा और कहावत लै शामिल करी छन। य कोश ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति’ कसारदेवी, अल्माड़ बै छपि रौ। 208 पेजक य कोशकि कीमत 250 रूपैं छु।
साल 2021 में ‘कुमाउनी शब्द संपदा’ लै छपौ। य कोश भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में पूर्व वैज्ञानिक और अल्माड़ नगर रैथमी डाॅ. नागेश कुमार शाह द्वारा तैयार करी छु।
‘कुमाउनी शब्द संपदा’ आवरण
यकें तीन भाषाओं में तैयार करी छु- कुमाउनी-हिंदी-अंग्रेजी। य कोश में 4000 है सकर शब्दन कैं जाग दिई छु। 148 पेजक य कोश न्यू आस्था प्रकाशन, लखनऊ बै छपि रौ, जैकि कीमत 150 रूपैं छु।
अलीबेर 2024 में अल्माड़ रैथमी मुहम्मद नाज़िम अंसारी द्वारा ‘कुमाउनी के विदेशी शब्द’ नामल कुमाउनी-हिंदी-अंग्रेजी त्रिभाषी कोश तैयारी करी जैरौ।
‘कुमाउनी के विदेशी शब्द’ आवरण
य कोश में कुमाउनी भाषा में बिदेशी भाषाओं बै आई करीब 1700 शब्द एकबटयाई छन। व्याकरिणक कोटि में शब्दनक परिचय दगाड़ कोश में कुमाउनी में आई विदेशी भाषाक मूल शब्द कैं लै जाग दिई छु। 342 पेजक य कोशकि कीमत 399 रूपैं छु।
इनर अलावा लै कुछेक कोशकारों द्वारा कुमाउनी में शब्दकोश बणूनकि तैयारी चलि रै। प्राप्त जानकारी अनुसार जनूमें कुमाउनी भाषाक विद्वान डाॅ. देव सिंह पोखरिया द्वारा एक विशिष्ट कोश ‘कुमाउनी बोलियों का तुलनात्मक कोश’ पर काम करी जानौ। य कोश विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) शोध परियोजना तहत सन् 2009 में तैयार करि हैछी पर आजि लै य कोश कैं बेहतर बणूनै लिजी काम चलि रौ।
यैक अलावा लखनऊ रौणी डाॅ. पूरन चंद्र जोशी द्वारा लै एक शब्दकोश पर काम चलि रौ, जो शैद ‘अविचल प्रकाशन’ हल्द्वाणि बै जल्दी देखण में आल। कुमाउनी साहित्यकार बालम सिंह जनौटी द्वारा लै कुमाउनी में एक कोश पर काम चलि रौछी पर उनर निधनक बाद य कोश छपि नि पाइ। कुमाउनी कोशों पर यैक अलावा लै कोशविज्ञान में रूचि धरनेर विद्वानों द्वारा काम करी रौ हुनल पर उ देखण में नि ऐ राय।
कुमाउनी कोशविज्ञान में शब्दकोशों अलावा कुमाउनी में लोकोक्ति व मुहावरा कोश लै देखण में ऐ रईं। जनूमें डाॅ. दीपा कांडपाल व लता कांडपाल द्वारा तैयार करी ‘हिंदी-कुमाउनी लोकोक्ति व मुहावरा कोश’ ( 2002 ई. ), डाॅ. शेर सिंह बिष्ट द्वारा ‘कुमाउनी हिंदी कहावत कोश’(2012 ई.), डाॅ. गोल्डी तिवारी क ‘कुमाउनी कहावतें’ (भाग-1) छपी कोशों में खास कोश छन। अणछपी कोशों में प्राप्त जानकारी हिसाबल डाॅ. देव सिंह पोखरिया द्वारा ‘कुमाउनी मुहावरा कोश’, ‘कुमाउनी- हिंदी-लोकोक्ति कोश’ (तक्षशिला', नई दिल्ली बै प्रकाशनाधीन), डाॅ. हेम चंद्र दुबे द्वारा कुमाउनी कहावत व मुहावरों पर शोध करी छु। य तरफ चंद्रलाल वर्मा द्वारा 1960 ई. में लक्ष्मी भंडार, अल्माड़ बै ‘कुमाउनी भाषा की कहावतें’ किताब द्वी भागों में व डाॅ. सरस्वती कोहली क ‘कुमाउनी कहावतें व मुहावरे’ आदि किताब लै छपी छन।
कुमाउनी में यों सबै कोशों कैं देखि बेर पत्त लागूं कि कुमाउनी में कोश विज्ञानकि एक परंपरा विकसित हुनै और कोशसाहित्य अघिल हूं लै उन्नति करल। हालांकि य लै ध्यान दिणी बात छु कि कुमाउनी में जदुक लै कोश तैयार है रईं ऊं द्वी भाषी, त्रिभाषी कोश छन। कुमाउनी बै कुमाउनी अर्थ वा्ल कोश तैयार नि है राय। कोशविज्ञान में कएक किस्माक कोश हुनी, पर कुमाउनी में कोश निर्माणक विकास कैं देखि बेर कई जै सकीं कि कुमाउनी में कोश निर्माणकि एक भलि शुरवात है गे और य तरफ अघिल हुं भल काम देखण में आल। ●●●
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